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समाज

भारत में मुखौटों को चकनाचूर करता #Metoo

१० अक्टूबर २०१८

पत्रकारिता से राजनीति में आए, भारत के विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर छह महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. विपक्षी दलों ने एमजे अकबर के इस्तीफे की मांग की है.

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Venezuela - Ankunft Außenminister Indien M.J. Akbar auf dem 17. Summit der Blockfreien Staaten
तस्वीर: REUTERS

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड के बाद अब #Metoo अभियान शहरी भारत को हिला रहा है. ताजा मामला एशियन एज और कई प्रमुख मीडिया संस्थानों के पूर्व संपादक और दिग्गज पत्रकार रह चुके एमजे अकबर का है. भारतीय अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक विदेश राज्य मंत्री अकबर पर कम से कम छह महिला पत्रकारों ने यौन शोषण और आपत्तिजनक व्यवहार का आरोप लगाया है.

एमजे अकबर इस वक्त एक कारोबारी मंडल के साथ अफ्रीकी देश नाइजीरिया के दौरे पर हैं. उन्होंने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया.

इन आरोपों के सामने आने के बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने एमजे अकबर से इस्तीफा देने की मांग की है. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता धनश्याम तिवारी ने कहा, "मिस्टर अकबर पर लग रहे आरोप भारत के लिए हार्वी वाइनस्टीन जैसा लम्हा हैं. मोदी सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देती है, लेकिन भारत के लोगों ने महिलाओं को न्याय दिलाने का अभियान शुरू कर दिया है, मिस्टर अकबर को इस्तीफा देना चाहिए."

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के मुताबिक, "जिस मंत्री की बात हो रही है उसे बोलना चाहिए क्योंकि मौन रहना कोई विकल्प नहीं है. प्रधानमंत्री को भी बात करनी चाहिए."

चार दशक तक पत्रकारिता में सक्रिय रहने वाले एमजे अकबर ने कई बड़े मीडिया हाउसों में काम किया. एशियन एज में अकबर के साथ काम कर चुकी एक महिला पत्रकार ने अपने अनुभव भारतीय न्यूज पोर्टल द वायर में लिखे हैं. गजाला वहाब ने अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए लिखा, "1997 के पतझड़ के दौरान, एक बार में झुककर डिक्शनरी देख रही थी, तभी वह चुपके से मेरे पीछे आए और मुझे कमर से पकड़ लिया. मैं डर के मारे लड़खड़ा गई. वह हाथ मेरे स्तनों से लेकर कूल्हों तक ले गए." वहाब ने आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके साथ अकबर ने ऐसा यौन दुर्व्यवहार एक बार नहीं बल्कि कई बार किया. मैनेंजमेंट ने भी उनकी शिकायत को नजरअंदाज किया. आखिर में वहाब को नौकरी छोड़नी पड़ी.

वरिष्ठ महिला पत्रकार प्रिया रुमाली ने भी अकबर पर कुछ ऐसे ही आरोप लगाए हैं. पत्रकारों पर यौन शोषण या दुर्व्यवहार के आरोप पहली बार नहीं लग रहे हैं. 2013 में तहलका के संपादक तरुण तेजपाल पर यौन हमले के आरोप लगे और उन्हें पद से हटने के साथ ही जेल जाना पड़ा. लेकिन इस बार #Metoo के तहत यौन दुर्व्यवहार झेल चुकी कई महिलाएं सामने आ रही हैं.

भारत के प्रमुख अंग्रेजी अखबार द हिंदुस्तान टाइम्स के पॉलिटिकल एडिटर प्रशांत झा पर भी एक महिला सहकर्मी को अहसज करने वाले मैसेज भेजने के आरोप लगे हैं. अखबार के प्रबंधन के मुताबिक मामले की जांच की जा रही है और प्रशांत झा को पद से हटने के लिए कहा गया है.

मीडिया जगत में मीटू के मामले सामने आने के बाद एडिटर्स गिल्ड ने हर मामले की जांच की मांग की है. भारतीय एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान जारी करते हुए कहा है, "उन महिला कर्मचारियों को पूरा सहयोग मिलेगा जिन्हें अपने करियर के दौरान किसी भी तरह की यौन मंशा के चलते नुकसान, शारीरिक या मानसिक सदमा झेलना पड़ा."

ओएसजे/एनआर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)