भारत में क्राइम के लिए कुख्यात शहर
भारत के कुछ इलाके खास किस्म के अपराधों के लिए कुख्यात हैं. एक नजर इन इलाकों पर.
गाड़ियों की चोरी
उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर गाड़ियों की चोरी के लिए बदनाम हैं. उत्तर भारत के कई शहरों से चोरी हुई गाड़ियां इन्हीं शहरों में ही काट पीटकर बेची जाती हैं.
हत्या
सुपारी लेकर हत्या करने जैसे अपराधों के मामले में उत्तर प्रदेश के इटावा और बुलंदशहर कुख्यात हैं. बिहार के बेगूसराय जिले से भी कई गैंगस्टर निकले हैं. कर्नाटक का बेल्लारी भी ऐसे अपराधों के लिए बदनाम होता रहता है.
कार्ड फर्जीवाड़ा
वोटर आईडी और पैन कार्ड की धांधली के ज्यादातर मामले हैदराबाद से शुरू होते हैं. हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस की जांच में इस बात का पता चला.
लूट पाट, डकैती
मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच बसा चंबल का इलाका आज भी लूट पाट और डकैती के लिए बदनाम है. वहां की कई सड़कों पर आज भी रात में लोग अकेले गाड़ी चलाने से घबराते हैं.
आईटी फ्रॉड
बेंगलुरू में दुनिया भर की कंपनियों के लिए सॉफ्टवेयर बनते हैं और वहीं से खूब हैकिंग भी होती है.
बलात्कार
इस मामले में देश की राजधानी सबसे बदनाम है. दिल्ली की छवि ऐसी बन चुकी हैं कि भारत घूमने जाने वाली विदेशी महिलाएं भी दिल्ली के नाम से थरथराती हैं.
अपहरण
इसके लिए बिहार बदनाम है. हालांकि बीते बरसों में वहां अपहरण की वारदातों में काफी कमी आई है. लेकिन अभी भी बीच बीच में अपहरण के कुछ मामले सामने आ ही जाते हैं.
प्रॉपर्टी विवाद
दिल्ली से सटे गुरुग्राम (गुड़गांव) और ग्रेटर नोएडा प्रॉपर्टी के विवादों के लिए कुख्यात हैं. वहां रियल स्टेट का काम करने वाले गुटों में संघर्ष भी लगा रहता है.
कोयला माफिया
कोयला की कालिख ने झारखंड के धनबाद शहर को बदनाम किया. कोल ब्लॉक आवंटन के बाद हालात कुछ सुधरे, लेकिन अब भी वहां माफिया की जंग छिड़ी रहती है.
वन्य जीव तस्करी
वन्य जीवों की खाल और जड़ी बूटियों के तस्कर उत्तराखंड में खासे सक्रिय रहते हैं. हर साल उत्तराखंड में कीड़ा जड़ी और तेंदुओं की खाल के साथ तस्करों के पकड़े जाने के मामले सामने आते हैं.
चरस, अफीम
हिमाचल प्रदेश में कुल्लू-मनाली की हसीन वादियों को चरस के लिए भी जाना जाता है. कई युवा वहां चरस की खातिर भी पहुंचते हैं. वहीं राजस्थान के बाड़मेर और मध्य प्रदेश के नीमच और मनसौर को अफीम की काला बाजारी भी होती है.
नकल
नकल के लिए बिहार बदनाम है. हर साल वहां से बड़े स्तर पर नकल की खबरें आ ही जाती हैं. साथ ही राज्य टॉप करने वालों पर भी फर्जीवाड़े के केस चलने आम हो चुके हैं.