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भारत में काम करने वाले नेपाली कामगारों का बीमा

३ फ़रवरी २०१७

नेपाल पहली बार भारत में काम करने वाले नागरिकों के लिए नियम बनाने जा रहा है. प्रधानमंत्री के मुताबिक इन नियमों से नेपाली नागरिकों को सुरक्षा मिलेगी.

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Artikelbild Nepal
तस्वीर: Sasha Quaiser

1950 में भारत के साथ हुई शांति और मैत्री संधि के बाद पहली बार नेपाल सरकार भारत में काम करने वाले अपने नागरिकों के लिए नियम बनाने जा रही है. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने विदेशों में काम करने वाले नेपाली नागरिकों के लिए एक योजना शुरू करने का एलान किया है. प्रधानमंत्री के मुताबिक अब नेपाल सरकार भारत में काम करने वाले नेपाली कामगारों को संख्या को नियंत्रित करेगी. भारत में काम करने के इच्छुक नेपाली नागरिकों को भविष्य में सरकार से परमिशन लेटर लेना होगा. परमिशन लेटर लेने वाले नागरिकों को बीमे की सुविधा भी मिलेगी.

योजना के मुताबिक, "अब से भारत जाकर काम करने वालों को जिला प्रशासनिक ऑफिस (डीएओ) से अनुमति लेनी होगी. ऐसी अनुमति देने से पहले डीएओ को उन्हें अनिवार्य बीमा और कल्याण फंड में रजिस्टर करना होगा." योजना 12 फरवरी से शुरू होगी. बीमा स्कीम के तहत 12.50 नेपाली रुपये का इश्योरेंस कवर लिया जा सकता है.

नेपाल के हजारों नागरिक काम की तलाश में भारत जाते हैं. दोनों देशों की बीच खुली सीमा होने की वजह से उन्हें भारत में कहीं भी जाकर काम करने की आजादी रहती है. लेकिन इसी मुक्त आवाजाही की आड़ में अपराध और हादसे भी होते हैं. भारत में हर साल दर्जनों नेपाली कामगार मारे जाते हैं, सैकड़ों घायल होकर घर लौटते हैं. नौकरी का झांसा देकर भारत तक लाई गई महिलाओं को देह व्यापार में भी धकेला जाता है. समाजिक संगठनों के मुताबिक तस्कर हर साल नेपाल और बांग्लादेश से 500 से 28,000 लड़कियां भारत पहुंचाते हैं.

लेकिन क्या नेपाल सरकार की नई योजना अपने नागरिकों की हिफाजत कर पाएगी. इस पर संदेह बना हुआ है. खुली सीमा पार कर हर दिन भारत जाने वाले नागरिकों को रोकने के लिए कोई ढांचा नेपाल के पास नहीं है.

भारत और चीन के बीच बसे नेपाल में रोजगार के बहुत कम मौके हैं. यही वजह है कि नेपाली नागरिक रोजी रोटी की तलाश में दूसरे देशों का रुख करते हैं. दुनिया के 110 देशों में इस वक्त 50 लाख नेपाली नागरिक काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री कहते हैं बीमा योजना प्रवासी कामगारों को सुरक्षा देगी. वहीं अधिकारियों को लगता है कि पहले से गरीबी से जूझ रहे नागरिक कैसे महंगा बीमा खरीदेंगे.

ओएसजे/एमजे (पीटीआई)