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भारत में इंटरनेट कानून को चुनौती

२९ नवम्बर २०१२

फेसबुक और ट्विटर पर हुए हालिया विवादों के बाद भारत में इंटरनेट कानून बदलने की बात आगे बढ़ चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें सूचना तकनीक के कानून को बदलने की अपील है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत के मुख्य न्यायाधीश अलतमस कबीर की खंडपीठ ने कहा कि अदालत को इस मामले में खुद से संज्ञान लेने की सोच रही थी और इस बात पर हैरान थी कि अभी तक किसी ने आईटी कानून को चुनौती क्यों नहीं दी.

इसके बाद बेंच ने कहा कि दिल्ली की एक छात्रा श्रेया सिंघल के पीआईएल पर अदालत ने फौरी कार्रवाई करने का फैसला कर लिया. श्रेया ने अपनी अपील में कहा है कि 2000 के आईटी कानून की धारा 66 इतनी जटिल और अस्पष्ट है कि इस आधार पर फैसला लेना आसान नहीं. उसने अपनी अर्जी में कहा है कि जब तक इन नियमों को न्यायसंगत नहीं बनाया जाता, मुश्किलें आती रहेंगी.

श्रेया ने अपनी अर्जी में जिन मुद्दों को उठाया है, उसमें मुंबई की उन दो लड़कियों का भी जिक्र है, जिन्होंने शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे की मौत के अगले दिन मुंबई बंद होने पर फेसबुक पर अपनी प्रतिक्रिया डाली थी. मुंबई पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया और बाद में मीडिया और सोशल मीडिया पर हुए बवाल के बाद उन्हें छोड़ा गया और बाद में पुलिस वालों पर भी कार्रवाई हुई. इस मामले में जहां पुलिस की खूब खिल्ली उड़ी, वहीं कानून के बारे में भी सवाल उठे. इसे अभिव्यक्ति की आजादी के हनन के तौर पर देखा गया.

श्रेया ने पश्चिम बंगाल की अप्रैल, 2012 की उस घटना का भी जिक्र किया, जिसमें जाधवपुर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर को सोशल नेटवर्किंग साइट पर कार्टून डालने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. यह कार्टून पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ था. अर्जी में अक्तूबर, 2012 की पुडुचेरी की उस घटना का भी जिक्र है, जब एक बिजनेसमैन रवि श्रीनिवासन को उनके ट्वीट की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्होंने एक नेता के खिलाफ ट्वीट किया था.

इसी तरह मई, 2012 में एयर इंडिया के तमिलनाडु के दो कर्मचारियों वी जगन्नाथ राव और मयंक शर्मा को भी मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर फेसबुक और ऑर्कुट पर एक ट्रेड यूनियन नेता के खिलाफ पोस्ट डालने का आरोप था.

इस अर्जी में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि वह इंटरनेट और आईटी के मामले में दिशा निर्देश जारी करे. भारत में जब 2000 में आईटी कानून बना था, तो इंटरनेट ने इतना व्यापक रूप नहीं लिया था. लेकिन हाल के आंकड़ों के मुताबिक भारत में अब 15 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं और मोबाइल पर भी इंटरनेट इस्तेमाल करना आम बात हो गई है. इसके अलावा सोशल मीडिया ने समाज को बदल कर रख दिया है, जिसकी वजह से लोगों की विचारधारा बदली है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए आईटी कानून को बदलने की शिद्दत से जरूरत महसूस हो रही है.

एजेए/एमजी (पीटीआई)