भारत, नेपाल और बांग्लादेश में बाढ़ का प्रकोप
उत्तर भारत, दक्षिणी नेपाल और उत्तरी बांग्लादेश के इलाके में लाखों लोग हाल के सालों में आयी सबसे भयंकर बाढ़ की चपेट में हैं. अब तक हजार से भी अधिक लोगों की जान बाढ़ की आपदा के कारण चली गयी है.
मॉनसून की बारिश
उत्तरी भारत में मूसलाधार वर्षा के कारण हुए भूस्खलन के कारण लाखों लोग प्रभावित हुए. उत्तर प्रदेश और बिहार के कई गांव खाली कराने पड़े और हजारों लोगों ने अस्थायी शिविरों में शरण ली.
काफी अधिक विस्तार
इस साल बारिश के महीनों में केवल उत्तर भारत ही नहीं, उत्तरी बांग्लादेश और दक्षिणी नेपाल में भी बड़े स्तर पर विनाश हुआ है.
कई सालों बाद
भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश का करीब आधा हिस्सा बाढ़ की चपेट में है. उत्तर पश्चिम भारत में 50 से अधिक लोग भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में मारे गये हैं.
बांग्लादेश में भी तबाही
बांग्लादेश का एक तिहाई हिस्सा बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है. लगभग साठ लाख लोग मॉनसून की बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से जुड़े हादसों में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है.
भूख से मरते
बांग्लादेश में 10,000 हेक्टेअर में फैले खेत बह गये हैं और 600,587 हेक्टेअर की खेती बर्बाद हुई है. अप्रैल में ही देश की 10 लाख मीट्रिक टन धान की फसल नष्ट हो गयी थी. यह बांग्लादेश को भीषण भुखमरी की ओर धकेल सकता है.
कमी झेलता नेपाल
नेपाल में 90,000 से अधिक घर बर्बाद हो गये और 150 से अधिक लोगों की जान जाने की खबर है. बाढ़ के अलावा, बारिश के कारण हो रहे भूस्खलनों से प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य भी ठीक से नहीं हो पा रहा है.
केवल इंसान ही नहीं शिकार
पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम में वन्यजीवों का दर्दनाक हाल सामने आ रहा है. काजीरंगा जैसे राष्ट्रीय पार्कों के जीवों की जान बचाना बहुत मुश्किल हो रहा है. एक बंगाल टाइगर और 15 गैंड़ों के शव मिल चुके हैं.
गंदा पानी
बाढ़ का पानी अपने साथ कई समस्याएं ला रहा है. औद्योगिक शहर ढाका के पानी में घुल कर आ रहे रसायन पूरे माहौल को प्रदूषित कर रहे हैं. साफ पीने का पानी मिलना और बीमारी फैलने वाले रोगाणुओं से बचना कठिन हो गया है. (अलिस्टेयर वाल्श/आरपी)