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एसी का तापमान 24 डिग्री से कम नहीं होगा

आमिर अंसारी
७ जनवरी २०२०

गर्मियों में जब आप नया एसी खरीदने जाएंगे तो आपको 24 डिग्री पर चलने वाले एसी ही मिलेंगे. ऊर्जा मंत्रालय ने एयर कंडीशनर में डिफॉल्ट तापमान 24 डिग्री तय कर दिया है. एसी शुरू होने के बाद तापमान को कम ज्यादा किया जा सकेगा.

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तस्वीर: Colourbox/waewkid

तापमान की डिफॉल्ट सेंटिंग 24 डिग्री पर एसी चलने से सालाना 4000 रुपये की बिजली की बचत संभव है. हालांकि अगर एसी शुरू होने के बाद कोई तापमान को डिफॉल्ट सेंटिंग से कम या ज्यादा करना चाहता है तो वह कर पाना मुमकिन होगा. ऊर्जा मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक नए साल में नई सेटिंग के साथ ही रूम एयर कंडीशनर बनेंगे. सभी ब्रांडों के स्टार रेटिंग वाले एसी के लिए सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किए हैं. नए नियम 1 जनवरी 2020 से लागू हो चुके हैं. इस नियम के तहत सभी रूम एयर कंडीशनरों में 24 डिग्री सेल्सियस की डिफॉल्ट तापमान सेंटिंग होगी.

बिजली बचत के नियम तय करने वाली एजेंसी ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के साथ विचार करने के बाद सरकार ने रूम एसी के लिए नए उर्जा कार्य प्रदर्शन मानक तय किए हैं. नए मानकों के मुताबिक, "स्‍टार लेबल वाले सभी ब्रांड और सभी प्रकार के रूम एयर कंडीशनरों यानी मल्टी स्टेज कैपेसिटी एयर कंडीशनर और स्प्लिट एयर कंडीशनरों को 10,465 वॉट (9,000 किलो कैलोरी/घंटा) की कूलिंग क्षमता तक की आपेक्षिक ऊर्जा, दक्षताओं के आधार पर एक से पांच स्टार तक रेटिंग दी गई है. जिन मशीनों का भारत में निर्माण किया गया है या व्यावसायिक रूप से खरीदा या बेचा गया है, वे सभी 1 जनवरी 2020 से चौबीस डिग्री सेल्सियस पर कमरे के एयर कंडीशनर में तापमान की डिफॉल्ट सेटिंग सुनिश्चित करेंगे."

ऊर्जा और पैसे की बचत

बीईई के मुताबिक एसी के 24 डिग्री सेल्सियस तापमान डिफॉल्ट सेटिंग होने से 24 फीसदी तक की ऊर्जा की बचत हो सकती है. जापान और अमेरिका जैसे देश पहले ही एसी के तापमान को लेकर नियम तय कर चुके हैं. जापान ने एसी में डिफॉल्ट तापमान को 28 डिग्री सेल्सियस पर तय किया है. अमेरिका के कुछ इलाकों में एसी के तापमान को 26 डिग्री से कम नहीं करने का नियम है.

बीईई ने 2006 में स्थिर गति रूम एयर कंडीशनरों के लिए स्टार लेबलिंग कार्यक्रम शुरू किया था. यह कार्यक्रम 12 जनवरी 2009 को अनिवार्य बना दिया गया. बीईई के मुताबिक रूम एयर कंडीशनरों के लिए स्टॉर लेबलिंग कार्यक्रम ने अकेले वित्तीय वर्ष 2017-18 में अनुमानित 4.6 अरब यूनिट ऊर्जा बचत की है और इसके अलावा 3.8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिली है. बीईई को उम्मीद है कि सभी उपभोक्ता अगर इस नियम का पालन कर लेते हैं तो भारत भविष्य में 23 अरब यूनिट बिजली की बचत कर लेगा.

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