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भारत ने की जाधव की हिरासत को गैरकानूनी मानने की मांग

१८ फ़रवरी २०१९

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में कुलभूषण जाधव मामले की पैरवी कर रहे पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा कि बिना किसी कॉन्सुलर एक्सेस के जाधव को हिरासत में रखे जाने के पाकिस्तानी फैसले को गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए.

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Indien Bangalore Demonstration für Kulbhushan Jadhav
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Rahi

पाकिस्तान की जेल में कथित जासूसी के आरोप में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर कुलभूषण जाधव के मामले में द हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में सोमवार को सुनवाई शुरू हुई. भारत का पक्ष रख रहे वकील हरीश साल्वे ने अदालत से कहा, "जाधव के खिलाफ जासूसी के पाकिस्तानी दावे महज बयानबाजी हैं, इनका तथ्यों से कोई लेना-देना नहीं है." 

साल्वे ने कहा कि जाधव पर दिया गया फैसला न्यायिक प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी नहीं छूता है और इसे गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत की सुनवाई सही नहीं है. साथ ही साल्वे ने पाकिस्तान पर आईसीजे का प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा इस मामले में जाधव की रिहाई को ही सही न्याय माना जाएगा जो मानवाधिकारों की भी सच्चाई बयां करेगा.

वहीं, पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया कि जाधव का संबंध आतंकवाद के चलते देश में हुई 1,345 मौतों से हैं, साथ ही वह ईरान से कई गुप्त यात्राएं भी करता रहा है. आईसीजे की कार्रवाई द हेग में 18 फरवरी से लेकर 21 फरवरी तक चलेगी. माना जा रहा है कि चार दिन की इस सुनवाई के कुछ हफ्तों बाद जाधव मामले में फैसला आ सकता है.

भारत का तर्क

भारत कहता रहा है कि जाधव कोई जासूस नहीं हैं बल्कि पाकिस्तान में उनका अपहरण किया गया था. भारत का आरोप है कि पाकिस्तान जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस न देकर वियना समझौते का उल्लंघन कर रहा है, जो मानवाधिकारों के खिलाफ है.

वहीं पाकिस्तान कहता आया है कि जाधव को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है इसलिए कॉन्सुलर एक्सेस नहीं दिया जा सकता. पाकिस्तान के मुताबिक, जाधव ने पाकिस्तानी अदालत में स्वीकार किया था कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने उसे पाकिस्तान की जासूसी करने और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बनाने का काम सौंपा था.

पाकिस्तान में गिरफ्तार

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को तीन मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जाधव को आतंकवाद और जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी. सैन्य अदालत के इस फैसले के खिलाफ भारत ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था.

Internationaler Strafgerichtshof in Den Haag | Prozess Kulbhushan Jadhav
तस्वीर: Reuters/E. Plevier

वहीं शुरुआती सुनवाई में आईसीजे ने न्यायालय के फैसला आने तक जाधव को सजा देने से रोक दिया था. माना जा रहा है जाधव के मामले में आने वाला कोई भी फैसला दोनों देशों के संबंधों पर बड़ा असर डालेगा.

तनाव का माहौल

यह सुनवाई ऐसे वक्त में शुरू हुई है जब पूरे भारत में कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकवादी हमले को लेकर आक्रोश का माहौल है. बीते 14 फरवरी को आतंकवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की बस को निशाना बनाया था, जिसमें करीब 40 जवानों की मौत हो गई थी. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. हमले के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि पाकिस्तान को इसकी "भारी कीमत" चुकानी होगी. 

एए/आरपी (एपी, एएफपी)

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