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भारत चीन का मिडल क्लास करेगा दुनिया का विकास

२० अगस्त २०१०

भारत और चीन के नेतृत्व में एशिया का मध्यवर्ग बनेगा दुनिया के विकास की गाड़ी का पहिया. यह कहना है एशियाई डेवलपमेंट बैंक का. बहुत जल्द दुनिया के विकास में अमेरिका और यूरोप की भूमिका कमज़ोर हो जाएगी. भारत चीन छा जाएंगे.

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बढ़ रहे हैं खाते पीते इंडियनतस्वीर: AP

2030 तक एशिया के खाते पीते मिडल क्लास लोगों की जेब में खर्च के लिए डेढ़ लाख अरब रुपये होंगे. जी हां, डेढ़ लाख करोड़. अगर इस रकम को समझने में मुश्किल हो रही हो तो आंकड़े पर नज़र डालिए. इसे लिखने के लिए 15 पर चौदह शून्य लगाने होंगे यानी 1500,00,00,00,00,00,00 रुपये. जो तब की पूरी दुनिया के मध्यवर्ग के खर्च का करीब 43 फीसदी होगा.

China Alltag 2009 Wanderarbeiter Arbeitsvermittlung in Chengdu
चीन भी चमकेगातस्वीर: AP

एशियाई मध्यवर्ग के दायरे में वे लोग आते हैं जो हर दिन 120 रुपये से 2400 रुपये तक खर्च करते हैं. एशियाई विकास बैंक के मुताबिक 1990 में एशिया की कुल आबादी में मध्यवर्ग की 21 फीसदी हिस्सेदारी 2008 में बढ़ कर 56 फीसदी हो गई है. ये सारे आंकड़े एडीबी की ताज़ा रिपोर्ट की इंडिकेटर्स ऑफ एशिया एंडर पैसिफिक में सामने आई है. रिपोर्ट जारी करते हुए एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री जॉन्ग वा-ली ने बताया कि 2030 तक एशियाई मध्यवर्ग की आबादी 1.9 अरब से बढ़कर 2.7 अरब तक पहुंच जाएगी. ली के अनुसार एशिया के खाते पीते लोगों की जेब का वजन लगातार और बहुत तेजी से बढ़ रहा है. इस बढ़ी आबादी में सबसे ज्यादा हिस्सा चीन का है, जहां फिलहाल मध्यवर्ग के दायरे में करीब 81 करोड़ लोग हैं. 27.5 करोड़ संपन्न लोगों के साथ भारत की हिस्सेदारी दूसरे नंबर पर है.

ली का कहना है, "एशियाई खपत को जो बड़ा हिस्सा फिलहाल निर्यात से आ रहा है वह जल्दी ही घरेलू खपत में बदल जाएग और तब एशिया 2008 की आर्थिक मंदी जैसे हालातों में भी बिना डिगे खड़ा रह सकेगा."

भारत के बारे में ली ने कहा कि लाख रुपये में कार और साढ़े तीन हज़ार में फ्रीज के साथ ही सस्ते मोबाइल जैसी चीजें बनाकर भारत ने मध्यवर्ग के दायरे को फैलाने की तैयारी कर ली है. यही मध्यवर्ग भारत के घरेलू खपत और विकास को बढ़ावा दे रहा है.

हालांकि एडीबी का ये भी कहना है कि अभी भी भारतीय मध्यवर्ग आर्थिक झटकों से उबरने में पूरी तरह दक्ष नहीं है इसके लिए लंबे समय तक चलने वाली आर्थिक नीतियां बनानी होंगी. भारतीय मध्यवर्ग यानी करीब 27.5 करोड़ आबादी के 75 फीसदी लोग हर दिन 120 से 240 रुपये खर्च करते हैं. ऐसे में कोई भी बड़ा आर्थिक झटका उन्हें वापस गरीबी की तरफ धकेल सकता है. सरकार को मध्यवर्ग को बचाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए नई नीतियों पर विचार करना होगा जो विकास की राह पर ले जाएं.

रिपोर्टः पीटीआई/ एन रंजन

संपादनः ए जमाल