भारत की होली जैसी होती है जर्मनी में कार्निवाल की धूम
दुनिया में सबसे बड़ा कार्निवाल ब्राजील में मनाया जाता है. उसके बाद नंबर आता है जर्मनी के कोलोन का. लेकिन ये ब्राजील के कार्निवाल से बहुत अलग होता है और कई मायनों में भारत की होली की याद दिलाता है.
पहचान कौन?
जिस तरह होली के रंगों में डूबे लोगों के असली चेहरे पहचानना मुश्किल होता है कुछ वैसा ही कार्निवाल के दौरान भी होता है. फर्क ये है कि यहां लोग बहुत मेहनत से अपने चेहरे को रंगते हैं. कोई जोकर बनता है तो कोई शेर.
क्या पहनें?
त्यौहार कोई भी हो, कपड़े क्या पहनेंगे इस बारे में लोग महीनों पहले से ही सोचने लगते हैं. गुजरात में नवरात्रि में जब गरबा होता है तो हर रात के लिए अलग पोशाक तैयार की जाती है. यही हाल कार्निवाल का भी. छह दिन तक चलने वाली पार्टी के लिए रोज एक अलग लिबास चाहिए.
सस्ता उपाय
अगर कॉस्ट्यूम खरीदने या बनाने में पैसा खर्च नहीं करना चाहते हैं तो सबसे आसान है कि चेहरे को जैसे तैसे पेंट कर लें. मकसद ये है कि आप मजेदार दिखें. आपको देख कर दूसरों के चेहरे पर मुस्कान दिखे. वैसे एक मजेदार सी टोपी पहन लें तो सबको अच्छा लगेगा.
बुरा ना मानो कार्निवाल है
कोलोन में परेड के दौरान अगर कोई आपके हाथ में हाथ डाल दे या कंधे से कंधा मिला कर झूमने लगे तो बुरा मत मानिए क्योंकि कार्निवाल के संगीत पर लोग इसी तरह झूमते हैं. अनजान लोग भी एक दूसरे का हाथ पकड़ कर लंबी सी कतार बना लेते हैं और खुल कर मस्ती करते हैं.
टाई काटने की रस्म
कार्निवाल का पहला दिन गुरुवार का होता है जिसे वाइबर-फास्ट-नाख्ट कहा जाता है. इस दिन पुरुषों की टाई काटने का चलन है. अकसर दफ्तरों में भी ऐसा होता है. जो महिला टाई काटती है वह गालों पर चूमती भी है. इसका कतई गलत मतलब नहीं निकाला जाता.
पागलों का दिन
आधिकारिक रूप से कार्निवाल की शुरुआत हो जाती है नवंबर की ग्यारह तारीख यानी 11.11 को ठीक 11 बज कर 11 मिनट पर. इसे पागलों का वक्त भी कहा जाता है. नवंबर से फरवरी तक कार्निवाल से जुड़े छोटे मोटे कार्यक्रम होते हैं लेकिन असली मजा तो फरवरी में वाइबर-फास्ट-नाख्ट को 11 बज कर 11 मिनट से ही शुरू होता है.
हफ्ते भर का उत्सव
कार्निवाल की शुरुआत होती है गुरुवार को वाइबर-फास्ट-नाख्ट के दिन और यह चलता है अगले बुधवार आशेर-मिटवॉख तक. कोलोन और आसपास के इलाके में इस दौरान स्कूलों में छुट्टी होती है. गुरुवार को लोग अकसर दफ्तरों में सज धज कर आते हैं. और शुक्रवार से छुट्टी ले कर पार्टी करने लगते हैं.
कोलोन की परेड
सोमवार को रोजेन-मोनटाग यानी रोज-मंडे होता है. इस दिन कोलोन में बहुत बड़ी परेड निकलती है. वैसे परेड तो आसपास के शहरों में भी होती है लेकिन कोलोन जैसी नहीं. इसमें कई झांकियां होती हैं जो बच्चों और बड़ों के लिए टॉफी चॉकलेट की बरसात करती चलती हैं.
कामेले
कार्निवाल के दौरान हर बच्चे की जबान पर यह शब्द होता है. कामेले यानी वो टॉफी चॉकलेट जो बच्चे परेड के दौरान जमा करते हैं. कुछ लोग तो अपने साथ छाता ले कर जाते हैं. इसे उल्टा कर के पकड़ लेते हैं ताकि टॉफियों की बरसात से पूरा छाता भर जाए.
बीयर ही बीयर
कार्निवाल के दौरान बच्चों का ध्यान कामेले पर तो बड़ों का सारा ध्यान बीयर पर होता है. अगर आपको लगता है कि जर्मनी में लोग अक्टूबर फेस्ट के दौरान ही बीयर पीते हैं तो ऐसा नहीं है. यहां हर इलाके की अलग बीयर होती है और कार्निवाल में कोलोन की कोएल्श पी जाती है.
अलाफ!
जिस तरह से होली में रंग फेंकते वक्त जोर से "होली है" कहा जाता है या फिर मकर संक्रांति के दिन पतंग काटते वक्त "काई पो छे" कहते हैं, ऐसे ही कार्निवाल के दौरान "अलाफ" कहा जाता है. पूरा हफ्ता अलाफ की धूम होती है. कार्निवाल के संगीत में भी इस शब्द का खूब इस्तेमाल होता है.
कार्निवाल की गुजिया
बिना गुजिया के होली क्या और बिना बर्लिनर के कार्निवाल क्या. इस मिठाई को बर्लिनर कहा जाता है लेकिन इसका बर्लिन से कोई लेना देना नहीं है. असली नाम प्फानकूखन यानी पैनकेक है और होता ये एक डोनट जिसके अंदर जैम भरा होता है. कार्निवल के दौरान बेकरियां इनसे भरी रहती हैं.