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भारत की नोटबंदी में नेपाल भी दबा

१५ दिसम्बर २०१६

भारत में बड़े नोट बंद किए जाने के कदम का असर देश के भीतर तो हर तरफ दिख ही रहा है, पड़ोसी देश भी इससे अछूते नहीं हैं. उत्तरी सीमा से लगे देश नेपाल में व्यापार, भुगतान और पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर इसका भारी बोझ पड़ा है.

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Nepal Feierlichkeiten vor der Wiedereröffnung eines buddhistischen Tempels in Kathmandu
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Shrestha

फिच रेटिंग एजेंसी की रिसर्च विंग बीएमआई रिसर्च की ताजा रिपोर्ट को देखें तो उसने नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए लगाए अपने पहले के अनुमानों में सुधार करते हुए घटा दिया है. विश्लेषकों का कहना है कि भारत में नोटबंदी के कारण नेपाल में इस साल केवल 2.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होगी. जुलाई 2017 में खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए अब का अनुमान पहले के 2.5 प्रतिशत से काफी कम है.

करीब 21 अरब डॉलर वाली नेपाली अर्थव्यवस्था पर 2015 के भीषण भूकंप और तबाही के कारण पहले से ही दबाव था. इस भूकंप में करीब 9,000 लोग मारे गए थे. रिसर्च पेपर में लिखा है, "भारत से मिलने वाले फंड में रुकावट के कारण नेपाल में चल रहे पुनर्निमाण के प्रयासों को धक्का लगेगा." विशेषज्ञ बताते हैं कि नेपाल की अर्थव्यवस्था व्यापार, नौकरियों और मदद के लिए भारत पर बहुत ज्यादा निर्भर है.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. इसका मकसद उन अरबों रुपयों को बाहर निकालना बताया गया, जिनका कहीं हिसाब नहीं था और जिससे कथित तौर पर आतंकी कार्रवाइयों को मदद पहुंचाई जा रही थी.

नेपाल के सेंट्रल बैंक नेपाल राष्ट्र बैंक ने इन भारतीय नोटों को बंद कर दिया है. उनकी मांग है कि भारत के सेंट्रल बैंक से उन्हें नए भारतीय नोटों की उपलब्धता के बारे में औपचारिक तौर पर जानकारी मिलनी चाहिए. सेंट्रल बैंक अधिकारी राजेन्द्र पंडित ने बताया, "जब तक हमें ऐसा कोई नोटिस नहीं मिलता है, हम नए भारतीय नोट स्वीकार नहीं कर सकते."

इस दुविधा के कारण हजारों नेपाली भारत से लगी अपनी खुली सीमा पर अनौपचारिक व्यापार करने को मजबूर हैं.

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने नोटबंदी की घोषणा के बाद भारतीय प्रधानमंत्री से बात की थी और नेपाल में मौजूद उन बंद हो चुके नोटों के बारे में व्यवस्था करने को कहा था. अब तक इस बारे में कोई व्यवस्था नहीं हुई है.

इस बीच भारतीय पर्यटकों का नेपाल आना भी काफी कम हो गया है. हर साल नेपाल पहुंचने वाले कुल पर्यटकों का करीब एक चौथाई हिस्सा भारतीयों का ही होता है. नेपाल में हर साल लगभग आठ लाख टूरिस्ट पहुंचते हैं. जो भारतीय पर्यटक पहुंचे भी वे पुराने नोटों के साथ पहुंचे.

नेपाल की अर्थव्यवस्था में भारत में काम करने वाले नेपालियों द्वारा भेजे जाने वाली धनराशि का भी योगदान होता है. 2016 में नेपाल के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 2.6 फीसदी यानि लगभग 64 करोड़ डॉलर रेमिटेंस के भुगतान से ही आया था. भारत में नौकरी से बाहर किए जाने पर कई हजार नेपाली प्रवासी वापस नेपाल लौट गए हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में 22 दिसंबर को नोटबंदी के निर्णय पर सुनवाई होनी है.

आरपी/ओएसजे (रॉयटर्स)