भारत का नया कैबिनेट
शपथ ग्रहण के बाद भारत में मंत्रियों को उनके विभाग बांट दिए गए हैं. बहुत से मंत्रालय मोदी ने अपने पास रखे हैं, जबकि कुछ मंत्रालयों को लेकर चर्चा भी हो रही है. देखते हैं कैसी है मोदी की टॉप टीम.
भारत का नया कैबिनेट
शपथ ग्रहण के बाद भारत में मंत्रियों को उनके विभाग बांट दिए गए हैं. बहुत से मंत्रालय मोदी ने अपने पास रखे हैं, जबकि कुछ मंत्रालयों को लेकर चर्चा भी हो रही है. देखते हैं कैसी है मोदी की टॉप टीम.
प्रधानमंत्री
सरकार के प्रमुख नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय अपने पास रखे हैं. हर मंत्रालय के अहम नीतिगत फैसले पर उनकी राय जरूरी होगी.
वित्त, कॉरपोरट और रक्षा
अरुण जेटली वित्त मंत्री बने हैं. जेटली के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी है. विकास दर 4.5 फीसदी रह गई है. चुनवी भाषणबाजी के बाद अब असल में महंगाई और भ्रष्टाचार को काबू करना होगा. वह रक्षा और कॉरपोरट मामलों के मंत्री भी हैं.
विदेश और एनआरआई
सुषमा स्वराज के सामने पड़ोसी देशों से सीमा विवाद सुलझाने की चुनौती है. 30 साल बाद पूर्ण बहुमत में आई किसी पार्टी के पास मौका है कि वो विवादों का पक्का हल खोजे. कूटनीति के सहारे उन्हें भारत के आर्थिक हितों का भी ख्याल रखना होगा.
गृह
भारत में लंबे समय से पुलिस सुधारों की बात हो रही है. बीजेपी ने सीबीआई के दुरुपयोग की बात बहुत बार उठाई है. अब देखना है कि राजनाथ सिंह इस पर नई नीति अपनाते हैं या नहीं. सांप्रदायिक सद्भाव भी गृह मंत्रालय के जिम्मे होगा.
रेल
दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भारत में है. लेकिन सबसे ज्यादा रेल हादसे भी वहीं होते हैं. नए पटरियां नहीं बिछ रही हैं. मोदी ने बुलेट ट्रेन का वादा किया है. रेल मंत्री सदानंद गौड़ा के सामने इन चुनौतियों के अलावा सस्ता टिकट रखने की भी चुनौती होगी.
सड़क परिवहन व जहाजरानी
भारत को सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से तेज तर्रार काम की उम्मीद है. बीते पांच साल में चार लेन वाले हाइवे का निर्माण धीमा पड़ गया. सड़कों की क्वालिटी आम तौर पर खराब होती है. सड़क दुर्घटनाओं के मामले में भी भारत सबसे जोखिम भरा है. जरूरत सड़कों को अच्छा और सुरक्षित बनाने की है. नदी मार्गों की योजनाएं भी जस की जस लटकी हुई हैं
जल संसाधन और गंगा पुनर्जीवन
उमा भारती को यह जिम्मेदारी मिली है. भारत की कई सरकारों ने नदियों की सफाई के नाम पर अरबों रुपये फूंके हैं. अब देखना उमा भारती पुराने ढर्रे पर चलती हैं या नया करती हैं. उनके सामने नदियों को गंदा करने वाले उद्योगों को सुधारने की भी चुनौती होगी.
अल्पसंख्यक मामले
कभी कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आई नजमा हेपतुल्लाह अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री बनाई गई हैं. आरएसएस, बजरंग दल और वीएचपी जैसे कट्टर संगठनों के दबाव से निपटते हुए नजमा को अल्पसंख्यक के हितों की हिफाजत करनी होगी.
स्वास्थ्य
दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने से चूके हर्षवर्धन के सामने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की चुनौती है. देश के दूर दराज के इलाकों में अच्छे अस्पतालों और डॉक्टरों की भारी कमी है. सरकारी अस्पतालों की हालत बुरी है. जीवनशैली में बदलाव से नौजवान बीमार हो रहे हैं.
मानव संसाधन विकास
अभिनेत्री स्मृति ईरानी यह मंत्रालय संभालेंगी. भारत में शिक्षा को लेकर बड़ा असमंजस है. सीबीएसई, आईसीएससी और राज्य बोर्डों के सिलेबस एक दूसरे से अलग हैं. इसकी वजह से परेशानियां भी आती हैं. उच्च शिक्षा के मामले भी देश पिछड़ रहा है.
सूचना प्रसारण और पर्यावरण
भारत प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है. औद्योगिक कचरे की जवाबदेह निकासी के अभाव में पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है. शहरों की आबोहवा जहरीली होती जा रही है. विकास में बाधा डाले बिना टिकाऊ पर्यावरण बनाए रखना पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर के इम्तिहान जैसा है. जावड़ेकर ही सूचना प्रसारण मंत्रालय भी संभालेंगे.
नागरिक उड्डयन
भारत एक विशाल देश है, जहां तेज रफ्तार परिवहन चुनौती है. ट्रेनों में रिजर्वेशन के लिए तमाम जतन करने पड़ते हैं. हवाई परिवहन को अब भी संभ्रांत तबके से जोड़ा जाता है. अशोक गजपति राजू अगर इसमें सुधार करें, तो क्रांति हो सकती है. जनता व उद्योगों को तेज रफ्तार सेवाएं मिल सकती हैं.
खाद्य एंव उपभोक्ता
लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान यह मंत्रालय संभालेंगे. आम तौर पर हर सरकार में मंत्री रहने वाले पासवान के सामने कंपनियों को जवाबदेह बनाने की चुनौती है. यूपीए-1 में पासवान ने दवाओं में एमआरपी लिखवाने का फैसला किया था.
शहरी विकास और संसदीय मामले
यह मंत्रालय एम वैंकया नायडू को दिया गया है. मंत्रालय में शहरों से गरीबी खत्म करने का शब्द भी जोड़ा गया है. राह बाधाओं से भरी है. चार महानगरों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. नायडू को हर सुविधा के साथ नए शहर बसाने होंगे. साथ ही वह संसदीय मामलों का मंत्रालय भी देखेंगे.
महिला एवं बाल कल्याण
मेनका के सामने कुपोषण और प्रसव के दौरान महिलाओं को सुरक्षित सेवाएं मुहैया कराने की चुनौती होगी. महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए उन्हें बाकी मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करना होगा.