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भारत एशिया में रिश्वतखोरी के मामले में अव्वल

७ मार्च २०१७

सरकारी दफ्तर में काम करवाने के लिए रिश्वत देने का अनुभव बहुत से लोगों का होगा. बर्लिन स्थित संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार एशिया में एक चौथाई लोगों को पिछले साल सरकारी सेवा लेने के लिए घूस देनी पड़ी.

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Vijay Singh Kampf gegen Korruption und Mafia in Indien
तस्वीर: DW/S.Waheed

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी ताजा रिपोर्ट के लिए पाकिस्तान से ऑस्ट्रेलिया तक एशिया प्रशांत के 16 देशों में 20,000 लोगों के साथ बातचीत की. इस सर्वे से आये नतीजों के अनुसार 90 करोड़ लोगों को पिछले साल कम से कम एक बार सरकारी अधिकारियों की जेब गरम करनी पड़ी. रिपोर्ट के अनुसार रिश्वत की दर भारत और वियतनाम में सबसे अधिक थी जहां दो तिहाई लोगों ने कहा कि सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी आधारभूत सेवाओं के लिए भी उन्हें सरकारी कर्मचारियों को खुश करना पड़ा. इस सर्वे में जापान, दक्षिण कोरिया, हांग कांग और ऑस्ट्रेलिया में घुसखोरी के सबसे कम मामले बताये गये.

जहां तक रिश्वत लेने वाले सरकारी अधिकारियों का सवाल है तो सर्वे के अनुसार घूस मांगने के मामले में पुलिस सबसे ऊपर है. पिछले साल पुलिस के संपर्क में आने वाले करीब एक तिहाई लोगों ने कहा कि उन्होंने रिश्वत दी. बर्लिन की भ्रष्टाचार विरोधी संस्था का कहना है कि रिश्वतखोरी से सबसे ज्यादा गरीब लोग प्रभावित होते हैं. सर्वे में शामिल गरीब तबके के 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें रिश्वत देनी पड़ी. यह तादाद किसी भी आय वर्ग में सबसे ज्यादा थी.

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार भारत, पाकिस्तान और थाइलैंड जैसे देशों में घूसखोरी का निशाना गरीब लोगों के बनने की संभावना ज्यादा है तो वियतनाम, म्यांमार और कंबोडिया जैसे देशों में उल्टा रुझान देखा गया. अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के प्रमुख जोस उगास ने एक बयान में मांग की, "सरकारों को अपने भ्रष्टाचार विरोधी वादों को पूरा करने के लिए ज्यादा प्रयास करने चाहिए." उन्होंने कहा कि रिश्वतखोरी कोई छोटा अपराध नहीं है, "यह टेबल पर से खाना छीनता है, यह शिक्षा में बाधा डालता है, यह उचित स्वास्थ्य सुविधा को रोकता है और आखिरकार यह जान ले सकता है."

जहां तक देश में भ्रष्टाचार के अहसास का सवाल है तो मलेशिया और वियतनाम में लोगों ने अपने देश को सबसे कम अंक दिये. उनका कहना था कि उनके देशों में भ्रष्टाचार व्यापक रूप से फैला है और सरकार पर इसके खिलाफ गंभीर नहीं होने के आरोप लगाये. पिछले सालों में कई सरकारों को भ्रष्टाचार कांडों का सामना करना पड़ा है. दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गेउन हाय पर तो संसद ने दिसंबर में महाभियोग चलाया था और लाखों लोग उनके इस्तीफे की मांग में सड़कों पर उतरे थे. मलेशिया में प्रधानमंत्री नजीब रजाक पर अरबों के गबन का आरोप है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की पिछले साल की एक रिपोर्ट में कंबोडिया के प्रधानमंत्री हून सेन के परिवार के लोगों और दोस्तों की अकूत संपत्ति का ब्यौरा दिया गया था.

चीन इस बीच व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चला रहा है जिसके दायरे में 10 लाख से ज्यादा सरकारी अधिकारी आये हैं. कई वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेताओं को सजा भी दी गई है. चीन की ही तरह पड़ोसी वियतनाम ने भी कई भूतपूर्व उद्यमियों को भ्रष्टाचार के आरोप में सजा दी है. थाइलैंड की सैनिक सरकार ने भी वियतनाम जैसे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का आश्वासन दिया है लेकिन अभी तक किसी को सजा नहीं मिली है.

एमजे/एके (एएफपी)