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भाजपा में मंदिर मुद्दे पर मतभेद उभरे

२२ मार्च २००९

भारत में संसदीय चुनाव से पहले बनती बिगड़ती राजनीतिक दोस्तियों के बीच कांग्रेस और लालू यादव में विवाद बढ़ रहा है तो भारतीय जनता पार्टी के लिए राम मंदिर का मुद्दा पार्टी के आंतरिक विवाद का मुद्दा बनता लग रहा है.

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अयोध्या में मंदिर निर्माण पर भाजपा में मतभेदतस्वीर: dpa - Bildarchiv

अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जगह राम-मंदिर निर्माण का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के गले की फाँस बन गया है. खासकर उसके उन गिने-चुने मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए जो मुस्लिम-बहुल सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश के एक ऐसे ही लोकसभा चुनावक्षेत्र रामपुर से बीजेपी के उम्मीदवार मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार को यह कह कर मंदिर मुद्दे से पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि मंदिर बनाने का काम राजनीतिक दलों का नहीं, धार्मिक संगठनों या इमारत बनाने वाली कंपनियों का है.

नकवी ने यह भी कहा कि मंदिर निर्माण आपसी बातचीत के ज़रिये समाधान या अदालत के निर्णय के बाद ही किया जा सकता है. रामपुर में नकवी का सामना समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार और प्रसिद्द फिल्म अभिनेत्री जयप्रदा से है जो यहीं से पिछले चुनाव में जीतकर लोकसभा सदस्य बनी थीं.

Indien Arun Jaitley von Bharatiya Janata Party
वरिष्ट भाजपा नेता ने मानी पार्टी प्रमुख से मतभेदों की बाततस्वीर: AP

चूंकि मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, इसलिए पार्टी के लिए उनके बयान को नज़रंदाज़ करना असंभव था. नतीजतन पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने यह कहकर इस पर लीपापोती करने की कोशिश की कि नकवी का आशय था कि मंदिर धार्मिक संगठन बनायेंगे और बीजेपी उसमें सहयोग करेगी.

इसी बीच शनिवार को ही यह सिद्ध हो गया कि बीजेपी के प्रमुख चुनावी रणनीतिकार अरुण जेटली और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के बीच गंभीर मतभेद हैं. शुक्रवार को ही राजनाथ सिंह ने मतभेद होने की खबरों का खंडन किया था. लेकिन जेटली ने बंगलोर में कहा कि उनके राजनाथ सिंह के साथ कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं हैं, लेकिन राजनीतिक मतभेद अवश्य हैं. पार्टी की परंपरा रही है कि उन्हें वरिष्ठ नेता पार्टी के मंचों पर सुलझाते हैं और इसलिए वह मीडिया में इस पर और कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.

अरुण जेटली को प्रधानमंत्री पद के लिए बीजेपी के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी के नज़दीक माना जाता है. शनिवार को मोहन भागवत के आरएसएस प्रमुख बनाने का फायदा आडवाणी को ही होगा क्योंकि भागवत उनके समर्थक माने जाते हैं जबकि निवर्तमान आरएसएस प्रमुख के एस सुदर्शन और आडवाणी के बीच का तनाव जगजाहिर था.

इसी बीच शिवसेना और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध तेज़ हो गया है. शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हिजडा कह दिया. इस पर कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने शनिवार को कहा कि यदि उनका सम्बन्ध गांधीवादी पार्टी से न होता तो वह ठाकरे की ज़बान खींच लेते. वरुण गाँधी के भाषण और इस बयानबाजी से स्पष्ट है कि भारत में राजनीतिक संवाद का स्तर किस कदर गिरता जा रहा है.

कुलदीप कुमार, नई दिल्ली

संपादन: महेश झा