भाई-बहन से थाइलैंड परेशान
२ दिसम्बर २०१३थाइलैंड में महीने भर से जारी गतिरोध में कोई कमी आती नहीं दिख रही है. सोमवार को प्रधानमंत्री यिंगलक ने कहा कि संविधान के तहत प्रदर्शनकारियों की मांगें स्वीकार करना संभव नहीं है. सख्ती के साथ हल्की नरमी का भी संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं, "अगर मैं लोगों को खुश करने के लिए कुछ कर सकती हूं तो मैं वो करने को तैयार हूं. लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर मैं वही कर सकती हूं जो मुझे संवैधानिक तौर पर करना है."
उनके बयान के बाद राजधानी बैंकॉक में प्रदर्शन और उग्र हो गया. कई प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और दूसरे सरकारी भवनों में घुसने की कोशिश की. उन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में तैनात दंगारोधी पुलिस आंसू गैस, पानी की बौछार और रबर की गोलियों का सहारा ले रही है.
कब्जा करते प्रदर्शनकारी
इस बीच प्रदर्शनकारियों ने बजट ब्यूरो को अपनी गिरफ्त में लिया हुआ है. रविवार को सरकारी टेलीविजन चैनल पर भी प्रधानमंत्री के विरोधियों ने कब्जा कर लिया. बीते दो हफ्तों में अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
प्रदर्शनकारी एक के बाद एक सरकारी दफ्तरों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. पूर्वी बैंकॉक में सरकार विरोधी और समर्थक आपस में भिड़ रहे हैं. प्रदर्शनों की अगुवाई पूर्व उप प्रधानमंत्री सुथेप थौगसुबान कर रहे हैं. डैमोक्रैटिक पार्टी से इस्तीफा दे चुके सुथेप ने सरकारी कर्मचारियों से आह्वान किया है कि वो "थकसिन सत्ता" को उखाड़ने के बाद ही काम पर लौटें.
लोकतंत्र या परिवारवाद
असल में एक नवंबर को यिंगलक सरकार ने संसद में एक माफी विधेयक पास कराने की कोशिश की. विधेयक के तहत यिंगलक के भाई थकसिन शिनवात्रा समेत सैकड़ों नेताओं पर चल रहे मुकदमों में माफी दी जाती लेकिन विधेयक को संसद ने खारिज कर दिया. इसके बाद राजनीतिक अंसतोष सुलग उठा.
2001 से 2006 तक थाइलैंड के प्रधानमंत्री रह चुके थकसिन शिनवात्रा सत्ता के दुरुपयोग के दोषी करार दिये जा चुके हैं. इसके लिए उन्हें दो साल की सजा भी सुनाई गई है. कार्यकाल के दौरान उन पर भ्रष्टाचार और गलत नियुक्तियों के आरोप भी लगे. 2006 में सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें थाइलैंड से भागना पड़ा. 2008 में सजा सुनाये जाने के बाद से वह विदेश में रह रहे हैं. लेकिन बीच बीच में उनके समर्थक भी सरकार विरोधी प्रदर्शन करते रहे हैं.
2011 के आम चुनावों में यिंगलक चुनाव मैदान में उतरीं और गठबंधन के सहारे सत्ता में आने में कामयाब रहीं. विपक्षी दलों का आरोप है कि माफी विधेयक के जरिए यिंगलक अपने भाई की थाइलैंड में सुरक्षित वापसी का रास्ता बनाने की कोशिश कर रही थीं. राजनीति में आने से पहले कारोबारी रह चुकी यिंगलक पर अब आरोप लग रहे हैं कि वो थकसिन के इशारों पर थाइलैंड को चला रही हैं.
ओएसजे/एमजी (डीपीए)