ब्रिटेन में सेनेटरी उत्पादों पर टैक्स की लड़ाई
२२ नवम्बर २०१७ब्रिटेन में दो साल पहले एक कैंपेन के बाद सेनेटरी उत्पादों पर लगने वाला टैक्स घरेलू हिंसा की पीड़ितों लिए चैरिटी के रूप में दिया जा रहा है. लेकिन इस पर ब्रिटेन की नारीवादी कार्यकर्ता लौरा कोरीटन टी का कहना है कि घरेलू हिंसा इस पूरे समाज का मुद्दा है, न कि सिर्फ महिलाओं का और इसके लिए सिर्फ महिलाएं पैसा क्यों दें.
बुधवार को वित्त मंत्री फिलिप हमंड यूके का बजट पेश करने वाले हैं और ब्रिटिश महिलाएं अब भी सेनेटरी उत्पादों को टैक्स फ्री करने का इंतजार कर रही हैं. सरकार का कहना है कि वह अभी यूरोपियन यूनियन के नियमों से बंधी हुई है. ब्रिटेन जब 1970 में यूरोपियन यूनियन में शामिल हुआ था जब टैम्पॉन्स उन चीजों में शामिल नहीं था, जो टैक्स फ्री हों और फिलहाल यूरोपियन यूनीयन किसी भई देश को तय चीजों के अलावा किसी चीज को टैक्स फ्री करने की इजाजत नहीं देता.
यूरोपीय आयोग के एक प्रवक्ता ने ईमेल से कहा कि नए नियमों के प्रस्तावों को अगले साल बनाया जाएगा. इससे सदस्य देशों को कम और शून्य कर दरों को लागू करने में अधिक स्वायत्तता की अनुमति मिल सकेगी. ब्रिटेन ने पिछले साल जनमत संग्रह में ब्रेक्जिट के लिए मतदान के बाद यूरोपीय संघ छोड़ने की तैयारी कर ली है.
विपक्षी सांसद पाउला शेरिफ ने ईमेल से कहा, "सरकार कानून में ब्रेक्जिट का सही समय लिखना चाहती है, लेकिन वे अभी भी हमें नहीं बता सकते हैं कि टैम्पॉन पर टैक्स कब खत्म होगा? यहां तक कि वे किसी एक तय तारीख का वादा भी नहीं करेंगे." उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह उन्होंने वित्त मंत्री को पत्र लिखकर यह पूछा है कि यूरोपियन यूनियन से अलग जो जाने के बाद क्या सरकार सेनेटरी उत्पादों से कर समाप्त करेगी.
कोरीटन टी ने मई 2014 में सेनेटरी उत्पादों से कर समाप्त करने के लिए कैंपेन शुरू किया था. उस वक्त वे एक स्टूडेंट थीं. वे कहती हैं कि उन्हें यह कर बहुत ही बेतुका और लैंगिक भेदभाव पूर्ण लगा, जब उन्होंने पाया कि बिंगो गेम्स से लेकर हेलीकॉप्टर के रखरखाव पर कोई टैक्स नहीं है.
उन्होंने सेनेटरी उत्पादों को टैक्स फ्री करने के लिए एक ऑनलाइन याचिका दायर की. कुछ ही समय में इस याचिका पर 3 लाख से भी ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किये. इस कैंपेन के बाद पूर्व वित्त मंत्री जॉर्ज ऑसबोर्न ने 2015 में यह घोषणा की थी कि टैम्पॉन टैक्स से मिलने वाले कर को चैरिटी के तौर पर दिया जाएगा. इस घोषणा के बाद पिछले वित्त वर्ष में 70 संस्थाओं को 19 करोड़ डॉलर मिले.
इस चैरिटी पर कोरीटन ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि महिलाओं को चैटरी के लिए इसलिए पैसा देना चाहिए क्योंकि उन्हें मासिक धर्म होते हैं."
एसएस/ओएसजे (थॉमस रॉयटर्स फाउंडेशन)