ब्रिटेन की गायों में मिला महाकीटाणु
३ जून २०११वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है लेकिन कहा कि ऐसा संभव नहीं है कि मेथिसीलीन के लिए प्रतिरोधी स्टैफिलोकॉकस ऑरियस कीटाणु दूध के जरिए खाद्य श्रृंखला में आने पर संक्रमण पैदा कर सकता है. कीटाणुओं की इस प्रजाति पर कुछ एंटीबायोटिक काम नहीं करते.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के मार्क होल्म्स और वैज्ञानिकों के जांच दल को एमआरएसए कीटाणु एस ऑरियस की जांत के दौरान मिला. यह बैक्टीरिया गायों में जानलेवा बीमारी का कारण बन सकता है. शुक्रवार को यह शोध जरनल द लांसेट में छापा गया है. लॉरा गार्सिया अल्वारेज कहती हैं, "एक ही प्रजाति मनुष्यों में और गायों में मिलना खतरनाक है. हालांकि पाश्चुरीकृत दूध के कारण यह फूड चेन में नहीं आएगा."
अमेरिका में हर साल 19 हजार लोगों की एमआरएसए से मौत होती है जो एचआईवी और एड्स से कहीं ज्यादा है. यूरोप में इस संक्रमण की दर बहुत ज्यादा है.
एंटीबायोटिक दवाइयों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल दवाई प्रतिरोधी जीवाणुओं और कीटाणुओं के बनने के कारण है.
मनुष्यों में
शोध में होल्म्स की टीम को पता लगा कि एमआरएसए की नई प्रजाति कुछ दवाइयों के लिए प्रतिरोधी है. लेकिन इसे सामान्य म़ॉलिक्यूलर टेस्ट से नहीं पता लगाया जा सका. इस टेस्ट से सिर्फ यही पता लगाया जा सकता है कि सुपरबग में मेथिसीलिन प्रतिरोधी जीन मौजूद है या नहीं.
जब एक और टीम ने बैक्टीरिया के डीएनए की जांच की तो उन्हें पता लगा कि इसमें मेथिसीलिन प्रतिरोधी जीन मेकए है. यह सामान्य एमआरएसए जीन से सिर्फ 60 फीसदी ही मिलता जुलता है. शोधकर्ताओं को यह बैक्टीरिया स्कॉटलैंड, इंग्लैंड और डेनमार्क के लोगों में भी मिला. इसे आयरलैंड और जर्मनी में भी पाया गया.
इस शोध से एक सवाल जरूर पैदा हुआ कि कैसे गाय इस नए कीटाणु का घर बन सकती है. "हालांकि ऐसे सबूत हैं कि डेयरी की गाएं इस संक्रमण का कारण है. लेकिन यह साफ नहीं है कि क्या गायों से लोग संक्रमित हो रहे हैं या गाएं लोगों से. यह कुछ ऐसे मामले हैं जिन पर हम आगे शोध करेंगे."
ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी एचपीए ने कहा कि इस नई प्रजाति से कोई डर नहीं है. एजेंसी की स्टैफिलोकॉकस लैब प्रमुख एंजेला कीयर्न्स ने कहा, "यह याद रखना बहुत जरूरी है कि एमआरएसए का इलाज कई एंटीबायोटिक्स के किया जा सकता है. साथ ही इस नई प्रजाति से संक्रमित होने का डर बहुत कम है."
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़