ब्राजील में बांध से खतरा
९ सितम्बर २०११ब्राजील में इन दिनों इसी सवाल पर चर्चा चल रही है. वहां शिंगू नदी पर बन रहा बेलो मोंटे बांध पर्यावरणविदों की आंखों में खटक रहा है. इसी साल जून में मंजूरी मिलने के बाद अब इस बांध के निर्माण का काम शुरू हो गया है. योजना के अनुसार चीन के थ्री गॉर्जियस डैम और ब्राजील और पारागुए की सीमा पर बने इतापिऊ डैम के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा जल विद्युत प्लांट होगा. इसमें 11 हजार मेगावाट की क्षमता होगी.
पर्यावरणविदों का मानना है कि एमेजॉन डेल्टा के करीब इस डैम के बनने से शिंगू नदी कुछ इस तरह से मुड़ेगी कि करीब 40 हजार लोगों को अपने घर छोड़ने पड़ेंगे. इसके अलावा वैज्ञानिक यहां मीथेन की मात्रा बढ़ने के बारे में भी चर्चा कर रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ट्रॉपिक इलाकों में बांध बनाने से पर्यावरण में जितनी मीथेन फैलती है उसके सामने कोयले से बिजली के उत्पादन में होने वाला प्रदूषण कुछ भी नहीं है.
मीथेन फैक्ट्री
नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर एमेजॉन रिसर्च के फिलिप फर्नसाइड ने डोएचे वेले से बातचीत में कहा, "हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम इतनी ज्यादा ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं कि मैं तो उन्हें मीथेन फैक्ट्री का नाम दूंगा." फर्नसाइड बताते हैं कि पेड़ फोटोसिनथेसिस के कारण वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड को खींच लेते हैं, जो उनमें इकट्ठा होता रहता है. बांध बनने के कारण जब आसपास की लकड़ी सड़ने लगेगी तो यह गैस मीथेन के रूप में वातावरण में वापस आएगी. मीथेन कार्बन डाईऑक्साइड की तुलना में कई गुणा ज्यादा जहरीली होती है और वातावरण का तापमान तेजी से बढाती है.
बांध के प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के अनुसार वे इस परेशानी के बारे में पहले से ही जानते हैं, लेकिन इसके बाद भी बांध बनाने की अनुमति दी गई है. बेलो मोंटे प्रोजेक्ट के प्रवक्ता जोआओ पिमेंटल ने कहा कि इसे रोकने के लिए वह बांध के आस पास से पेड़ पौधों को पूरी तरह हटाने के बारे में सोच रहे हैं, "इस कदम से हम समस्या का हल निकालने में सफल हो पाएंगे."
बनेंगे सैंकड़ो बांध
ब्राजील की गैर सरकारी संस्था शिंगू विवो ने राष्ट्रपति डिल्मा रुसेफ से इस प्रोजेक्ट को रोकने की मांग की है. हालांकि उनकी इस मांग को खारिज कर दिया गया है. कई लोगों को यह डर भी है कि इस प्रोजेक्ट के तहत शिंगू नदी पर और भी बांध बनाए जाएंगे. फर्नसाइड के अनुसार यदि नदी पर दो बांध भी बनते हैं तो एक साल में उनके कारण एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जित होगा.
ब्राजील के अलग अलग इलाकों में सैंकड़ों ऐसे प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल इन्हें रोका हुआ है. जानकारों का मानना है कि यदि बेलो मोंटे प्रोजेक्ट पूरा हुआ तो यह उन सैकड़ों प्रोजेक्ट्स के लिए एक उदाहरण बन जाएगा और इसी के आधार पर उन सब को भी अनुमति मिल जाएगी. ऐसे में देश में कार्बन का स्तर खतरे की सीमा को छूने लगेगा. इसीलिए इस प्रोजेक्ट की एक बार फिर जांच की मांग की जा रही है.
रिपोर्ट: डॉयचे वेले/ईशा भाटिया
संपादन: वी कुमार