ब्राजील: कमजोर होता विकास
आर्थिक प्रगति की मिसाल बना ब्राजील कमजोर हो रहा है लेकिन अभी भी वह 2,243 अरब डॉलर के सकल राष्ट्रीय उत्पादन के साथ दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. 2012 से विकास दर की तेजी रुक गई है.
तेज विकास
पिछले दस सालों में ब्राजील की अर्थव्यवस्था का तेज विकास हुआ है, औसत चार फीसदी की दर से. हालांकि 2012 से उसमें ठहराव है. इस साल सिर्फ 0.5 फीसदी विकास की उम्मीद की जा रही है. अगले साल भी यही स्थिति रहने की उम्मीद है, लेकिन उसके बाद विकासदर 2 प्रतिशत तक गिर सकती है.
विकास का मोटर
अब तक ब्राजील के विकास का मोटर 20 करोड़ आबादी वाला बड़ा घरेलू बाजार रहा है. पिछले सालों में देश के तेज आर्थिक विकास के कारण 3.5 करोड़ लोग मध्यवर्ग में शामिल हुए हैं. अभाव में जी रहे ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास नई चीजें खरीदने का पैसा आया. हर चीज के लिए यहां मांग थी.
सामाजिक अंतर
आर्थिक विकास की वजह से ब्राजील में सामाजिक अंतर कम हुआ है. 2003 में 12 फीसदी ब्राजीलवासी भारी गरीबी में जीते थे. आज उनकी तादाद पांच फीसदी भी नहीं है. मजदूर आंदोलनों से आए राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा और डिल्मा रूसेफ के शासन में देश का मध्यवर्ग बढ़कर आबादी का आधा हो गया है.
बढ़ा निर्यात
ब्राजील से मुख्य रूप से सोया, कॉफी और चीनी जैसी कृषि सामग्रियों के अलावा लोहा, तांबा और खनिज तेल निर्यात किया जाता है. कुल निर्यात का 20 फीसदी हिस्सा यूरोपीय संघ के देशों में जाता है और 32 फीसदी चीन को निर्यात होता है. वर्षावनों को काटकर बनाए जा रहे बड़े फार्म आलोचना के केंद्र में रहते हैं.
लौह निर्यातक
दुनिया का सबसे बड़ा लौह निर्यातक ब्राजील का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स कंपनी भी है. खनन कंपनी वाले के पास खान, लोडिंग स्टेशन, शिपिंग कंपनी, लॉजिस्टिक्स कंपनी और ब्राजील के रेल नेटवर्क का बड़ा हिस्सा है. हालांकि इस कंपनी को 1997 में बेच दिया गया था लेकिन इसमें सरकार का बड़ा शेयर है.
बड़ी उम्मीदें
ब्राजील की उम्मीदें खनिज तेल पर टिकी हैं. देश के समुद्रतल में बड़े तेल भंडार का पता चलने के बाद पेत्रोब्रास कंपनी दुनिया की सबसे अहम तेल उत्पादक बनना चाहती है. कभी सरकारी कंपनी रहा पेत्रोब्रास का 64 फीसदी हिस्सा अभी भी सरकारी नियंत्रण में है.
सरकार से नजदीकी
सरकार के साथ पेत्रोब्रास की नजदीकी फिलहाल चर्चा में है. भ्रष्टाचार, काला धन, कर चोरी और अरबों की बर्बादी के आरोप लग रहे हैं. राष्ट्रपति बनने से पहले डिल्मा रूसेफ पेत्रोब्रास कंपनी की निगरानी परिषद की प्रमुख थीं. उन्होंने कंपनी के मौजूदा प्रमुख मारिया दास ग्रासास सिल्वा फोस्टर को नियुक्त किया था.
आधारभूत संरचना
सड़क, हार्बर, रेल और बिजली के तारों का स्तर अभी भी दूसरे विकासमान देशों के स्तर पर नहीं पहुंचा है. मैककिंजी कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्राजील की पूरी संरचना का मूल्य सकल राष्ट्रीय उत्पादन के 16 प्रतिशत के बराबर है. भारत में यह 58 और चीन में 76 और दक्षिण अफ्रीका में 87 प्रतिशत है.
बढ़ती महंगाई
लंबे समय से मुद्रास्फीति समस्या पैदा कर रही है. अर्थशसास्त्री 2 से 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति को सही मानते हैं, उससे ज्यादा होने को चिंताजनक माना जाता है. 2008 से ब्राजील में महंगाई दर लगातार 4 प्रतिशत से ज्यादा चल रही है. इस साल तो वह 6.5 प्रतिशत हो गया है. इसके कारण निवेश महंगा हो रहा है.
ऊंची कीमतें
महंगाई उद्यमों और निवेशकों पर बोझ डाल रही है. बुनियादी ढांचे और भ्रष्टाचार के अलावा जटिल कायदे कानून और टैक्स लोगों की जिंदगी मुश्किल बना रहे हैं. ब्राजीलवासियों ने इस महंगाई को कुस्टो ब्राजील कहना शुरू कर दिया है. पिछले साल ट्रेड यूनियनों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आम हड़ताल का आह्वान किया था.
बढ़ता कर्ज
कर्ज का बोझ आम लोगों के मत्थे तो चढ़ा ही है, सरकार भी भारी कर्ज में डूबी है. रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर ने मार्च में ब्राजील की रेटिंग गिराकर बीबीबी माइनस कर दी है.