बेहद सावधानी से चांद को छूने चला विक्रम
६ सितम्बर २०१९सात सितंबर को भारतीय समय के मुताबिक सुबह 1:30 से 2:30 के बीच विक्रम नाम के लैंडर को चंद्रमा पर उतारना है. सफल लैंडिंग भारत को ऐसा कारनामा करने वाला विश्व का चौथा देश बना देगी. अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसा कर सके हैं. भारतीय अतंरिक्ष एजेंसी इसरो के चैयरमैन डॉक्टर के सिवन लैंडिंग की आखिरी तैयारियों को "डरावने 15 मिनट" बता रहे हैं. इस दौरान तमाम उपकरणों से लैस विक्रम नाम के लैंडर को चांद की सतह पर उतरना है.
1,471 किलोग्राम भारी इस लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के संस्थापक डॉक्टर विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. करीब डेढ़ टन वजनी विक्रम में 27 किलोग्राम का एक रोवर भी है. प्रज्ञान नाम का यह रोवर चंद्रमा की सतह को टटोलेगा. इस मिशन के दौरान 3डी तस्वीरें लेने वाले टेरैन मैपिंग कैमरा भी इस्तेमाल किए जाएंगे. एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, सोलर एक्स-रे मॉनिटर, इमेंजिग स्पेक्ट्रोमीटर और हाई रिजोल्यूशन कैमरे भी पेलोड का हिस्सा हैं.
इसरो ने 22 जुलाई 2019 को जीएसएलवी एमके तीन रॉकेट के जरिए चंद्रयान को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया. निर्धारित ऊंचाई में पहुंचने के बाद यान को पांच बार कक्षाओं में बदलाव करना था. दो सितंबर को जटिल गणनाओं से गुजरते हुए चंद्रयान-2 लैंडर और ऑर्बिटर अलग अलग हुए. ऑर्बिटर अगले एक साल तक बेहद करीब से चांद की परिक्रम करेगा. वहीं लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा.
इसरो ने इस लैंडिंग को विस्तार से एक एनिमेटेड वीडियो के जरिए समझाया है.
अब सबसे आखिरी और जटिल चरण की बारी है. शनिवार को विक्रम लैंडर चंद्रमा के बहुत ही करीब पहुंचेगा. इसरो के मुताबिक इसके बाद लैंडिंग के लिए 500 गुणा 500 मीटर के दो स्थानों का चुनाव किया गया है. दोनों लैंडिंग स्पॉट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 350 किलोमीटर उत्तर की तरफ हैं. 100 किलोमीटर की दूरी पर मिशन को तय करना होगा कि अगले 78 सेकेंड में विक्रम किस जगह पर उतरेगा. इन 78 सेकेंडों के दौरान इंजनों से लैस विक्रम का वेग और संतुलन इतना सटीक होना चाहिए कि वह आराम से चंद्रमा की सतह पर उतरे.
यह मिशन इसरो के चंद्रयान-1 की अगली कड़ी है. अक्टूबर 2008 में लॉन्च किए गए चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर मौजूद पानी के ठोस सबूत जुटाए थे. चंद्रयान-1 की तस्वीरों से ही पता चला कि चंद्रमा की सतह पर बर्फ मौजूद है. 140 करोड़ डॉलर की लागत वाला चंद्रयान-2 इसी खोज को आगे बढ़ाएगा.
लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की उम्र करीब 14 दिन की है. दो हफ्ते की रोशनी की बाद दोनों मशीनें चंद्रमा के अंधकार का सामना करेंगी. इस दौरान वहां तापमान माइनस 170 डिग्री तक गिर सकता है. चांद्र की सबसे करीब कक्षा में चक्कर काटने वाले चंद्रयान-2 ऑर्बिटर कम से कम एक साल तक काम करता रहेगा.
ओएसजे/आरपी (एपी, डीपीए, एएफपी)