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बेवजह तनाव देते हैं दफ्तर के ईमेल

७ मई २०१२

कुछ लोगों को हर वक्त दफ्तर के ईमेल चेक करने की आदत होती है. अगर आप भी उनमें से एक हैं तो सावधान हो जाइए. यह आदत बेवजह तनाव बढ़ाती है, दिल को हमेशा तेज धड़काती है और एक जगह ठीक से मन भी नहीं लगने देती है.

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तस्वीर: AP

सुबह उठते ही ईमेल, दफ्तर में घुसने से पहले इनबॉक्स में घुसने की लत और सोने से पहले या छुट्टियों के दौरान भी बीच बीच में ईमेल चेक करने की आदत. अमेरिकी संस्थान यूसी इरविन के मुताबिक जो लोग हर समय दफ्तर के ईमेल चेक करते रहते हैं, वह ज्यादा तनाव में रहते हैं. उनमें एकाग्रता की कमी रहती है. इनके उलट बिना ईमेल देखे काम करने वाले कर्मचारी ज्यादा खुश रहते हैं और वह बढ़िया काम भी करते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूसी इरविन बोस्टन शहर के एक दफ्तर के कर्मचारियों पर शोध किया गया. कर्मचारियों को दो समूहों में बांटा गया. एक समूह से कहा गया कि वह हर दिन समय समय पर अपने ईमेल चेक करें. दूसरे समूह से कहा गया कि वह पांच दिन तक कोई ईमेल चेक न करें. इस दौरान दोनों समूहों के कर्मचारियों की धड़कन पर हर वक्त नजर रखी गई.

यूसीआई इंफोर्मेटिक्स की प्रोफेसर ग्लोरिया मार्क के मुताबिक लगातार ईमेल चेक करने वालों की धकड़न हमेशा तेज रही. वहीं ईमेल चेक न करने वालों की धड़कन में बदलाव आता रहता है. पांच दिन बाद यह भी पता चला कि ईमेल से दूर रहने वालों ने मेलबाजी में व्यस्त अपने साथियों से ज्यादा अच्छा काम किया. ज्यादा समय और एकाग्रता की वजह से उन्होंने अपने ज्यादातर काम पूरे किए.

अमेरिकी अखबार लॉस एजेंलिस टाइम्स से बातचीत में मार्क ने कहा, "कुछ पेशों में लगातार ईमेल चेक करना जरूरी है. लेकिन अन्य लोगों में ज्यादातर यह मानते हैं कि ईमेल बेवजह था. "मुझे लगता है कि ईमेल से दूरी बनाने के मामले में लोगों को खुद अनुशासित होना होगा. मैं देख सकती हूं कि बहुत सारे लोग छुट्टी के दिन ईमेल नहीं देखते. उनके साथी उनकी इस आदत से वाकिफ है. ऐसे लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं."

पिछले साल दिसंबर में ही एक फ्रांसीसी कंपनी अटोस ने एलान किया था कि वह 2013 तक 'जीरो ईमेल कंपनी' बन जाएगी. मार्क के मुताबिक हर कंपनी के लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं लेकिन अति ईमेलबाजी से बचने के रास्ता निकालना भी जरूरी है.

रिपोर्ट: ओ सिंह

संपादन: ईशा भाटिया