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बेरोजगारी से सहमी दुनिया,हर साल चाहिए 6 करोड़ नौकरियां

२८ जनवरी २०१२

क्या विकसित और क्या विकासशील दुनिया का लगभग हर देश इस समय बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने जो ताजा तस्वीर पेश की है उसमें विश्व में रोजगार की स्थिति को बेहद निराशाजनक बताया है

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तस्वीर: dapd

वर्ष 2012 की रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष दुनिया भर में 6 करोड़ नौकरियों की जरूरत है. आने वाले 10 वर्षों में सरकारों को 60 करोड़ नौकरियां पैदा करनी होंगी. हालांकि इतने बुरे दौर में भी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) ने भारत की स्थिति को बेहतर माना है. कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के संकट का सामना करने में भारत दूसरे देशों से बेहतर स्थिति में है. उधर भारतीय अर्थशास्त्रियों ने इसे सिरे से नकारते हुए देश में रोजगार की हालत बेहद खराब बताई है.

Bangladesch Frauen
तस्वीर: DW

ग्लोबल एम्प्लायमेंट ट्रेंड नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न देश की सरकारों के काफी कोशिश करने के बाद भी रोजगार संकट कम होने की बजाय बढता जा रहा है. 1 अरब से अधिक लोगों के पास या तो रोजगार नहीं है या वे बेहद गरीबी में जीवन गुजार रहे हैं.

भारत की सराहना

आइएलओ ने रिपोर्ट में भारत की सराहना करते हुए कहा कि धीमी अर्थव्यवस्था के संकट का सामना करने में भारत की स्थिति दूसरे देशों से बेहतर है. भारत के सामने बड़ी चुनौती बेरोजगारी की नहीं बल्कि तेज विकास के बाबजूद असंगठित क्षेत्र की परेशानियों की है. यहां उत्पादकता तेजी से बढ रही है.

विशेषज्ञों ने नकारा, नहीं है नौकरियां

अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ इससे सहमत नही हैं. अर्थशास्त्री और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्दालय (जेएनयू) दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर प्रवीन झा के अनुसार रोजगार के मामले में भारत की स्थिती काफी खराब है. नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट में तो 2009-10 में रोजगार वृद्धि दर लगभग शून्य प्रतिशत रही. यही चिंता व्यक्त की जा रही है कि विकसित देशों की तरह भारत में भी रोजगार विहीन वृद्धि हो रही है. यहां की विकास दर तो ठीक है लेकिन रोजगार का इंतजाम तेजी से करना होगा. प्रोफेसर झा ने कहा कि पश्चिमी देश अक्सर भारत और चीन के विकास का श्रेय उनकी जनसंख्या को देते हैं. चीन की स्थिति भारत से बेहतर भी है. लेकिन रोजगार की स्थिती वहां भी बेहद खराब है. लोग गांवो से शहरों की और जा रहे हैं. चीन के होकू सिस्टम के अनुसार उन्हें तब तक सुविधाओं का लाभ नही मिलता जब तक वे रजिस्ट्रेशन नही करवा लेते.

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तस्वीर: A4e Deutschland GmbH

जेएनयू के सहायक प्राध्यापक और अर्थशास्त्री डा. हिमाशु के अनुसार देश में गुणवत्तापूर्ण रोजगार की स्थिति काफी बिगड़ी है. उत्पादकता भले ही बढ़ी हो लेकिन कामगारों को इसका लाभ नही मिला. मुनाफा बढ़ा है लेकिन कर्मचारियों का वेतन नहीं. उत्पादक क्षेत्र, आईटी सेक्टर में भी नौकरियों का संकट है. पिछले 10 वर्ष में देश में शिक्षा का स्तर काफी बेहतर हुआ है. अब श्रम क्षेत्र में भी पढे लिखे लोग आ रहे हैं. डा.हिमांशु कहते हैं हमें उत्पादन के क्षेत्र में बदलाव लाना होगा. क्योंकि अब तक हम इस क्षेत्र को बाइपास कर आगे निकलते गए. हम इसी में खुश थे कि सेवा क्षेत्र की वृद्धि तेजी से हो रही है.

रिपोर्टः जितेन्द्र व्यास

संपादनः एन रंजन

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