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बेनजीर की तीसरी बरसी, अनसुलझी गुत्थी

२७ दिसम्बर २०१०

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या को तीन साल पूरे हो गए. पर अब तक पता नहीं चला है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. कुछ दिन पहले गिरफ्तार पुलिस अधिकारियों ने आईएसआई के कुछ अफसरों के नाम जरूर बताए हैं

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तस्वीर: AP

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री और देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की नेता बेनजीर भुट्टो तीन साल पहले 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमले में मारी गईं. बेनजीर की मौत के बाद चुनावों में पीपीपी को कामयाबी मिली और उनके पति आसिफ अली जरदारी सत्ता के शिखर पर पहुंचे और देश के राष्ट्रति बने. लेकिन पीपीपी के सत्ता में दो साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी बेनजीर हत्या कांड की जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई. यह अब भी एक रहस्य ही बना हुआ है.

जांच सही रास्ते पर

वरिष्ठ राजनेता और पीपीपी के सीनेटर ताज हैदर इन आरोपों से इनकार करते हैं कि सरकार ने बेनजीर के हत्यारों को पकड़ने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाते हैं. वह कहते हैं, "बेनजीर की हत्या से एक बड़ा विवाद पैदा हुआ है. हम इस मामले की जांच वैज्ञानिक आधार पर करना चाहते हैं. पहले इस मामले की जांच संयुक्त राष्ट्र ने की. इससे कुछ सुराग मिले और अब हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं."

Pakistan Wahlen Wahlkampf Partei von Benazir Bhutto
तस्वीर: AP

हाल ही में रावलपिंडी के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों सउद अजीजी और खुर्रम शहजाद को गिरफ्तार किया गया. इन दोनों को बेनजीर की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इनकी गिरफ्तारी को सरकार एक बड़ी कामयाबी मान रही है.

सरकारी वकील चौधरी जुल्फिकार ने बताया कि दोनों पूर्व अधिकारियों ने चार पांच ऐसे बड़े अधिकारियों के नाम बताए हैं जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं. लेकिन राजनीतिक जानकारों को इस बात पर शक है कि सरकार आईएसआई के खिलाफ वाकई कोई कदम उठा सकती है. पाकिस्तानी अख़बार डॉन से जुड़े पत्रकार कामरान शफी कहते हैं, "जब बात सेना और आईएसएस पर हाथ डालने की आती है तो देश की सरकार को पास कोई ताकत नहीं है. बहुत सी बातें छिपा ली जाती हैं."

आईएसआई कनेक्शन

ताज हैदर कहते हैं कि सरकार दोषियों को कानून के कठघरे तक ला सकती है, भले उनकी पहुंच कहीं तक भी हो. वह एक संस्था के तौर पर आईएसआई की आलोचना नहीं करते हैं. वह कहते हैं, "खुफिया एजेंसियों के बीच खुफिया एजेंसियां होती हैं. साथ ही समानांतर एजेंसियां भी होती हैं. आईएसआई के कुछ रिटायर्ड अधिकारियों ने भी अपना तामझाम बना रखा है जिसके जरिए वह धार्मिक चरमपंथ को बढ़ावा दे रहे हैं. इसी की वजह से बेनजीर की हत्या हुई."

Männer in Pakistan vor Plakatwand mit Benazir Bhutto Flash-Galerie
तस्वीर: AP

पीपीपी सरकार के आग्रह पर बेनजीर भुट्टो की हत्या के जांच के लिए बने संयुक्त राष्ट्र के आयोग पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा को नाकाफी बताया गया. बताया जाता है कि कुछ सुरक्षा एजेंसियों ने शुरुआती जांचों में बाधा डालने की कोशिश भी की. हालांकि सरकार संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को बहुत महत्व देती है, लेकिन कई आलोचक कहते हैं कि सरकार ने अब तक इस रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू तक नहीं किया है.

मुशर्रफ से जुड़े सवाल

इस मामले में एक अहम पहलू पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की भूमिका भी है. सरकार पर इस बात के लिए बहुत दबाव है कि वह मुशर्रफ को ब्रिटेन से पाकिस्तान लाए. 2008 में राष्ट्रपति पद से हटने के बाद मुशर्रफ ब्रिटेन में ही स्वनिर्वासन की जिंदगी गुजार रहे हैं. लेकिन कामरान शरीफ कहते हैं कि मुशर्रफ को जल्द पाकिस्तान लाना मुमकिन नहीं दिखता.

Flash-Galerie Mächtige Politikerinnen Benazir Bhutto
तस्वीर: picture alliance/dpa

उनके मुताबिक, "अब तक जो हम जानते हैं, वह यही है कि सरकार ने उन्हें कुछ लिखित सवाल भेजे हैं. हम दूसरी बार ऐसा सुन रहे हैं. वहीं मुशर्रफ कहते हैं कि उन्हें किसी तरह के सवाल नहीं मिले हैं. लेकिन असल बात यह है कि वह बेनजीर की हत्या के वक्त राष्ट्रपति थे. वह इस हत्याकांड में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे, लेकिन इसकी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर आती है."

पाकिस्तान सरकार ने सोमवार को शहीद बेनजीर की बरसी पर कई कार्यक्रमों का आयोजन कराया. लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं और उसके आलोचक सिर्फ इतने भर से तो संतुष्ट नहीं होंगे.

रिपोर्टः शामिल शम्स/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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