बेड़ियों से मुक्त होती किताबें
फ्रैंकफर्ट बुक फेयर, दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है. यहां साहित्य के भविष्य का अंदाजा होता है. चलिए देखते हैं कैसे प्रकाशकों की बेड़ियों से आजाद हो रही हैं किताबें.
हर किसी के लिए मौका
इंटरनेट और सेल्फ पब्लिशिंग ने पश्चिम में किताबों के प्रकाशन को काफी हद तक बदल दिया है. अब तक प्रकाशक तय करते थे कि वह किस लेखक की किताब छापेंगे. अब यह बंधन टूट रहा है. अब कोई भी इंटरनेट के माध्यम से अपनी लेखनी को दुनिया भर में पहुंचा सकता है.
मुश्किल में प्रकाशक
अपनी किताब की मूल प्रति प्रकाशक को देना और फिर जबाव का इंतजार करना, अब तक लेखक इसी प्रक्रिया से गुजरते रहे हैं. लेकिन अब इंटरनेट पर पीडीएफ फाइल के जरिये ई-बुक लॉन्च करने का चलन जोरों पर है. अब प्रकाशकों की अहमियत कम होने लगी है.
उजड़ते ग्राहक
फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में भारतीय कंपनी स्प्रिंग टाइम सॉफ्टवेयर का स्टॉल. यह कंपनी प्रकाशकों और पुस्तकालयों को सपोर्ट सिस्टम मुहैया कराती है. लेकिन जैसी हालत इस स्टॉल की है, वैसी ही कंपनी के ग्राहकों की भी हो रही है. सेल्फ पब्लिशिंग के चलते बाजार सिकुड़ रहा है. बचे खुचे हिस्से के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा हो रही है.
बच्चों का बाजार
तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बावजूद ज्यादातर देशों में मां-बाप अब भी अपने बच्चों को किताबों से सिखाना पसंद करते हैं. यही वजह है कि फ्रैंकफर्ट बुक फेयर में इस बार बच्चों की किताबें प्रकाशित करने वालों की बाढ़ दिखी.
नकल से परेशान
एक्जैक्ट बुक्स, निर्यात के मामले में भारत का सबसे बड़ा प्रकाशन घर है. कंपनी 66 विदेशी भाषाओं में बच्चों की किताबों के डिजाइन का कॉपीराइट बेचती है. लेकिन डिजाइन की चोरी या नकल एक बड़ी समस्या है.
दूसरी मुश्किलें
जेजे इम्प्रिंट्स के सीईओ श्रवण जैन के मुताबिक भारत में भी बच्चों की किताबें बनाना और बेचना मुश्किल हो गया है. प्राइवेट स्कूलों द्वारा खुद किताबें बेचने का असर भी प्रकाशकों पर पड़ रहा है.
पुस्तक मेले का बहिष्कार
भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी के फ्रैंकफर्ट आने से ईरान नाराज हुआ. ईरान ने पुस्तक मेले एक भी किताब पेश नहीं करते हुए मेले का बहिष्कार किया.
मेला कब तक चलेगा
एक तरफ सेल्फ पब्लिशिंग और दूसरी तरफ अमेजन जैसी बड़ी कंपनी, छोटे और मध्यम स्तर के प्रकाशक इनके बीच घुटने लगे हैं. कम प्रकाशकों के आने से पुस्तक मेले पर भी असर पड़ा है. कभी 8 से 10 हॉलों तक फैला फ्रैंकफर्ट मेला इस बार चार हॉलों में सिमट गया.
भविष्य कुछ ऐसा
कंप्यूटर पर अपनी किताबों की मूल प्रति तैयार करने के बाद अब लेखकों के सामने कई तरह विकल्प हैं. वे चाहें तो किताब को इंटरनेट पर खुद प्रकाशित कर दें या फिर किसी प्रिटिंग प्रेस को सीधे मांग के हिसाब से ऑर्डर देकर अपनी किताब छपवा लें. यह काम बिना प्रकाशकों के बड़ी आसानी से होता रहेगा.