बुश ने फांसी दिलाई, अब सबूत झूठा निकला
१२ नवम्बर २०१०अमेरिका के टेक्सस राज्य में साल 2000 में क्लाउडे हावर्ड जोन्स को फांसी दी गई. उसकी फांसी के लिए आधार बने सबूतों की खातिर टेक्सस ऑब्जर्वर मैग्जीन ने तीन साल तक लड़ाई लड़ी और वे सबूत हासिल किए. इन सबूतों में एक बाल भी था. मीटोटाइपिंग टेक्नॉलजीज ने इस बाल का डीएनए टेस्ट किया, तो पता चला कि बाल जॉन का नहीं था.
फांसी पर चढ़े जोन्स का लंबा अपराधिक रिकॉर्ड था. लेकिन इस मामले में उसका कहना था कि हत्या उसने नहीं की. 1989 में उसे कत्ल का दोषी करार दिया गया. इसके लिए बाल को ही सबूत बनाया गया जो पुलिस को मौक ए वारदात पर मिला था. इस फैसले के खिलाफ जोन्स की हर अपील को ठुकरा दी गई.
तब फॉरेंसिक साइंस ने इतनी तरक्की नहीं की थी कि बाल का डीएनए टेस्ट कराया जा सके और उसे सिर्फ माइक्रोस्कोप के नीचे ही परखा जा सका. हालांकि जोन्स ने कहा था कि उसके बाल का डीएनए टेस्ट कराया जाए और जब तक टेस्ट संभव नहीं हो पाता है उसकी सजा पर रोक लगा दी जाए. लेकिन इसके लिए तब के टेक्सस के गवर्नर जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इजाजत नहीं दी और जोन्स की अर्जी खारिज कर दी.
टेक्सस ऑब्जर्वर का कहना है कि गवर्नर बुश को वकीलों ने सही जानकारी ही उपलब्ध नहीं कराई.
जब जोन्स को फांसी दी जानी थी उन दिनों बुश राष्ट्रपति चुनावों में उलझे हुए थे. हालांकि इससे पहले एक ऐसे ही मामले में बुश ने फांसी को यह कहकर रोक दिया था कि डीएनए टेस्ट होने तक इंतजार किया जाए. लेकिन जोन्स के मामले में ऐसा नहीं हो पाया.
टेक्सस ऑब्जर्वर ने लिखा है, "डीएनए टेस्ट के जरिए किसी अन्य गोली चलाने वाले का पता नहीं चल पाया है इसलिए जोन्स की मासूमियत साबित नहीं होती. लेकिन बाल का वह टुकड़ा ही एकमात्र सबूत था जो अपराध की जगह से मिला था. और अब जबकि बाल उसका नहीं है तो उसके दोषी होने के फैसले पर सवाल खड़े होते हैं."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार