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बुझ गई जॉर्ज नाम की ज्वाला

ओंकार सिंह जनौटी
२९ जनवरी २०१९

भारतीय राजनीति में लोहिया के समाजवादी विचार के समर्थक और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस का निधन हो गया. फर्नांडीस जैसा राजनीतिक संघर्ष भारत के बहुत कम नेताओं ने देखा.

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George Fernandes
तस्वीर: Getty Images/AFP

समाजवादी नेता के रूप में मशहूर जॉर्ज फर्नांडिस ने दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. 88 साल के फर्नांडिस लंबे समय से मस्तिष्क की बीमारी अल्जाइमर से जूझ रहे थे. हाल ही में वह स्वाइन फ्लू की चपेट में भी आए.

राम मनोहर लोहिया के सिद्धांतों से प्रभावित जॉर्ज फर्नांडीस विद्रोह के साथ भारतीय राजनीति में खिंचे चले आए. 3 जून 1930 को कर्नाटक के मंगालुरू में जन्मे जॉर्ज फर्नांडीस शुरुआत में एक रोमन कैथोलिक पादरी बनना चाहते थे. फर्नांडीस ने इसकी पढ़ाई भी की. लेकिन 19 साल की उम्र में जब उन्हें चर्च की बातों और कार्यशैली में बड़ा अंतर दिखाई दिया, तो वे खिन्न हुए और शोषण का सामना करने वाले मजदूरों की आवाज बन गए. उनकी ट्रेड यूनियन राजनीति की शुरुआत ऐसे ही हुई.

1967 के लोक सभा चुनावों में फर्नांडीस समयुक्त समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बने. उन्होंने मुंबई में कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार सदाशिव कन्नौजी पाटिल को हराकर सबको चौंका दिया. उनकी जीत ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रह चुके पाटिल का राजनीतिक करियर खत्म कर दिया.

George Fernandes
जॉर्ज फर्नांडीस (3 जून 1930-29 जनवरी 2018)तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

ट्रेड यूनियन के नेता के तौर पर 1974 की रेल हड़ताल फर्नांडीस की बड़ी उपलब्धि थी. तब वे ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन के अध्यक्ष थे. रेलवे कर्मचारियों को बेहतर वेतन और भत्ते देने की मांग करते हुए फर्नांडीस ने हड़ताल का एलान किया. 8 मई 1974 से 27 मई 1974 तक चली इस हड़ताल के दौरान पूरे भारत की रेल व्यवस्था ठप हो गई. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने फर्नांडीस को एक राजनीतिक खतरे के तौर पर देखा.

1975 में आपातकाल के दौरान फर्नांडीस को "बड़ौदा डायनामाइट कांड" के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उन पर आरोप लगाया गया कि वे सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमला करने की साजिश रच रहे थे. जेल से ही फर्नांडीस ने 1977 का चुनाव लड़ा और बिहार की मुजफ्फरापुर सीट विशाल अंतर से जीती. इमरजेंसी के दौरान वे हीरो के तौर पर उभरे.

1970 के दशक में समाजवाद की राजनीति का वे सबसे प्रमुख चेहरा थे. जनता दल के प्रमुख नेता के वरिष्ठ नेता फर्नांडीस ने बाद में अलग होकर समता पार्टी की स्थापना की.

1990 के दशक के आखिर में वे अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में प्रमुख सहयोगी के रूप में उभरे. 1998 से 2004 के बीच फर्नांडीस भारत के रक्षा मंत्री भी रहे. वे भारत के पहले ऐसे रक्षा मंत्री थे जो सेना के जवानों से मिलने 16 बार सियाचिन ग्लेशियर पहुंचे. उन्हीं के कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण भी किए. हालांकि कारगिल युद्ध के बाद कफन घोटाले के आरोपों के चलते वे राजनीति से दूर हो गए.

राजनीतिक जीवन में रहते हुए जॉर्ज फर्नांडीस ने रक्षा मंत्री, संचार मंत्री, उद्योग मंत्री और रेल मंत्री के रूप में कार्य किया. श्रमिक नेता के रूप में पहचान बनाने वाले फर्नांडिस 1967 से 2004 तक नौ बार लोकसभा के सदस्य बने. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जॉर्ज फर्नांडीस के निधन पर शोक व्यक्त किया है.