बुकर पुरस्कार के वो विजेता जिन्होंने साहित्य को ही बदल दिया
बुकर पुरस्कार को विश्व साहित्य की दुनिया का ऑस्कर भी कहा जाता है. 1997 की विजेता अरुंधति रॉय से लेकर 2020 के विजेता डगलस स्टुअर्ट तक, जानिए किस किस ने जीता इस पुरस्कार को.
अरुंधति रॉय
अरुंधति रॉय ने 1997 में अपनी किताब 'द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' से तहलका मचा दिया था. यह केरल में राजनीतिक उथल पुथल के बीच जुड़वां भाई-बहन रहेल और एस्था के बड़े होने की कहानी है. कहानी 1960 के दशक की है और इसमें भारत की जाति व्यवस्था, धार्मिक विविधता और पेचीदा सामाजिक वर्गीकरण की तस्वीर है.
माइकल ओंदात्ये
1992 में माइकल ओंदात्ये द्वारा लिखा गया नॉवेल 'द इंग्लिश पेशेंट' द्वितीय विश्व युद्ध के अंत होने के समय की कहानी है. यह इटली के एक विला में एक बुरी तरह से जल चुके ब्रिटिश मरीज, एक थकी हुई नर्स, एक अपंग चोर और एक सैन्य इंजीनियर के तजुर्बे की कहानी है. 1996 में इस किताब पर आधारित एक फिल्म भी बनाई गई थी, जिसने नौ ऑस्कर जीते.
मार्गरेट ऐटवुड
कैनेडियन लेखक मार्गरेट ऐटवुड को 1985 में लिखी गई उनकी किताब 'द हैंडमेड्स टेल' के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है लेकिन उन्होंने सबसे पहली बार अपनी किताब 'ब्लाइंड अस्सासिन' के लिए 2000 में बुकर जीता. यह एक बुजुर्ग महिला की कहानी है जो अपनी लेखक बहन की कम उम्र में हुई रहस्मयी मौत और उसके बाद हुए विवाद के बारे में सोचती है.
हिलेरी मैंटेल
हिलेरी मैंटेल बुकर पुरस्कार एक नहीं बल्कि दो बार जीतने वाली पहली महिला और पहली ब्रिटिश लेखक हैं. पहले उनके नॉवेल 'वुल्फ हॉल' को बुकर मिला और फिर उसकी उत्तरकथा 'ब्रिंग अप द बॉडीज' को भी बुकर से नवाजा गया. यह इंग्लैंड के ट्यूडर काल की कहानी है जिसमें हेनरी अष्टम और उनकी पत्नी ऐन बोलिन को पुत्र ना होने की वजह से राजसिंहासन के उत्तराधिकारी को लेकर संकट खड़ा हो जाता है.
रिचर्ड फ्लैनगन
ऑस्ट्रेलियाई लेखक रिचर्ड फ्लैनगन की किताब 'द नैरो रोड टू द डीप नॉर्थ' को 2014 में बुकर मिला था. यह एक जापानी युद्ध बंदी की कहानी है जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान थाईलैंड-बर्मा की मौत की ट्रेन का विवरण किया गया है.
जॉर्ज सॉन्डर्स
अमेरिकी लघु कथा लेखक जॉर्ज सॉन्डर्स का पहले नॉवेल 'लिंकन इन द बार्डो' एक प्रयोगात्मक किताब थी जिसे 2017 में बुकर दिया गया. इसमें 1862 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन वॉशिंगटन की एक कब्रिस्ता में अपने 11 साल के बेटे की लाश को देखने जाते हैं, जिसकी आत्मा अभी भी जिंदा है.
बर्नान्डिन एवरिस्तो
बर्नान्डिन एवरिस्तो 2019 में बुकर जीतने वाली पहली अश्वेत लेखक बनीं. अपनी किताब 'गर्ल, वुमन, अदर' में उन्होंने इंग्लैंड में 12 ऐसे लोगों के बड़े लोगों की कहानी सुनाई जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं, अश्वेत थीं और अलग अलग पीढ़ियों और सामाजिक वर्गों से आती थीं.
डगलस स्टुअर्ट
2020 का बुकर जीतने वाली किताब 'शुग्गी बैन' को लिखने में डगलस स्टुअर्ट को 10 साल लगे और उसे 32 बार अस्वीकार भी किया गया. लेकिन 2020 में बुकर की निर्णायक मंडली को इस किताब को चुनने में सिर्फ एक घंटा लगा. यह उनका पहला नॉवेल था और 1980 में ग्लासगो में एक समलैंगिक के तौर पर बिताए गए उनके अपने जीवन पर आधारित था.