1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

बुंदेलखंड के सोहन सिंह चीन में सिखाते हैं योग

२५ अक्टूबर २०१८

अगर कोई व्यक्ति अपने शौक को ही पेशा बना ले तो सफलता मिलना लगभग तय माना जा सकता है. ऐसी ही सफलता की एक मिसाल हैं सोहन सिंह. कंप्यूटर क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले सिंह आज चीन में योग गुरू के नाम से जाने जाते हैं.

https://p.dw.com/p/37BEF
Inder Sohan Singh arbeitet als Yogalehrer in China
तस्वीर: IANS

उत्तरप्रदेश के ललितपुर जिले से आने वाले सोहन सिंह को आज चीन में "योगगुरु" के नाम से जाना जाता है. हालांकि उनकी जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी था जब उनके पास खाने के पैसे नहीं होते थे. सिंह बताते हैं कि पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इंदौर और थाइलैंड में नौकरी की लेकिन योग हमेशा उनकी पहली पसंद रहा. सोहन सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि पढ़ाई के दौरान एक शिक्षक ने उन्हें योग का रास्ता दिखाया, जिसके बाद योग पर उनका ध्यान गया. उन्होंने बताया की पढ़ाई के बाद नौकरी करना उनकी प्राथमिकता थी और उसके बाद योग. वे रात में नौकरी करते और दिन में लोगों को योग सिखाते थे. कुछ समय बाद वे चीन पहुंच गए जहां उन्होंने योग को प्राथमिकता बनाया. 

सोहन सिंह का चीन में 'सोहन योगा' के नाम से संस्थान है और उसके विभिन्न स्थानों पर नौ क्लब चलते हैं. उनका जोर आधुनिक योग(एडवांस योग) पर है. योग तीन तरह के होते हैं, उनमें से अष्टांग योग एडवांस योग है. अष्टांग योग की खूबी यह है कि वह मन और शरीर को आपस में मिला देता है.

Inder Sohan Singh arbeitet als Yogalehrer in China
तस्वीर: IANS

अपने जीवन के कठिन पलों को याद करते हुए सिंह कहते हैं कि पिता रेलवे में नौकरी करते थे, मगर उनका वेतन सूदखोरों के पास चला जाता था. सोहन सिंह के मुताबिक उनके पिता ने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लिया था. उनकी मां भी सबका पेट भरने के लिए मजदूरी करती थीं. 

सिंह कहते हैं कि उनके लिए सब लोगों के भोजन का इंतजाम करना बड़ी चुनौती थी. यही चुनौती उन्हें इंदौर और फिर थाइलैंड ले गई. इंदौर और थाइलैंड में वे कंप्यूटर कंपनी में नौकरी करते रहे मगर योग उनके जीवन का बड़ा हिस्सा रहा. वक्त गुजरने के साथ वे थाइलैंड में एक आईटी कंपनी के मालिक बन गए, मगर उनके दिल और दिमाग पर योग छाया रहा. थाइलैंड में वे लगभग ढाई साल रहे. कंप्यूटर में डॉक्टरेट करने के लिए सोहन चीन पहुंचे, जहां उन्होंने नौकरी के साथ योग की कक्षाएं लेना शुरू किया, जल्द ही वो विख्यात हो गए.

वे मानते हैं कि योग से इंसान की जिंदगी बदल सकती है. साथ ही मन भी स्थिर रहता है और व्यक्ति स्वस्थ भी रहता है. वे चीन के अलावा भारत में भी आकर लोगों को प्रशिक्षण देते हैं. सिंह मानते हैं कि, "भारत में लोग योग मजबूरी में करते हैं. वे उम्र बढ़ने और बीमारी होने पर योग की तरफ बढ़ते हैं, जबकि चीन में लोग तब योग करते हैं, जब वे पूरी तरह स्वस्थ होते हैं. यही कारण है कि वहां योग करने वालों में किशोर और युवाओं की संख्या ज्यादा है. चीनी लोगों की सेहत का राज ही योग है." उन्होंने कहा कि वे भारत के युवाओं को योग से जोड़ना चाहते हैं.

आईएएनएस

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें