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बिहार में फिर एनडीए की सरकार

मनीष कुमार, पटना
१० नवम्बर २०२०

बिहार विधानसभा के लिए तीन चरणों में हुए चुनाव में बिहार में एनडीए सरकार की वापसी का रास्ता साफ हो गया है. मंगलवार को हुई मतगणना में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) को 125 तो प्रतिद्वंदी महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं.

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Indien Bihar Wahlkampf Valmeki Nagar und  Nitish Kumar
तस्वीर: IANS

तीन चरणों में 28 अक्टूबर, तीन व सात नवंबर को हुए बिहार चुनाव के परिणामों ने पिछली विधानसभा चुनाव की तरह ही एक बार फिर एक्जिट पोल के नतीजे को नकार दिया है. 2020 के इस विधानसभा चुनाव में 74 सीटों पर विजयी होकर भारतीय जनता पार्टी तेजस्वी यादव के आरजेडी के साथ सबसे बड़ी पार्टियों के रूप में उभरी है. आरजेडी को 75 सीटें मिली हैं. कांटे की टक्कर में कभी कोई आगे जाता दिखा तो कभी कोई पीछे. बिहार में एकबार फिर नीतीश कुमार सरकार के मुखिया बनेंगे. एनडीए ने यह चुनाव ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा था. पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर व जयप्रकाश नारायण के शिष्य रहे 69 वर्षीय नीतीश कुमार ने अपना पहला चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में लड़ा था. करीब 32 फीसद वोट हासिल करने के बाद भी वे निर्दलीय प्रत्याशी भोला सिंह से चुनाव हार गए थे. दूसरी बार उन्होंने 1980 में चुनाव लड़ा लेकिन वे फिर हार गए.

Indien | BJP Anhänger
बीजेपी समर्थकों में जीत की खुशीतस्वीर: IANS

दो बार की हार से विचलित हुए बिना नीतीश 1985 में लोकदल के उम्मीदवार बने और भारी मतों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे. उन्हें करीब 54 प्रतिशत वोट मिले थे. इसके बाद नीतीश कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. यह जरूर है कि साल 1989 में उनके राजनीतिक जीवन में खासा उछाल आया. 1989 में बाढ़ (पटना) लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर अप्रैल 1990 से नवंबर, 1991 तक वे केंद्रीय कृषि मंत्री रहे. 1991 में वे फिर लोकसभा के लिए चुने गए. 1995 में जार्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर उन्होंने समता पार्टी बनाई. फिर 1996 में भी वे सांसद चुने गए. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वे रेल मंत्री बने. 1999 में फिर 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए और फिर केंद्रीय मंत्री बने.

सात दिन के मुख्यमंत्री

नीतीश कुमार पहली बार तीन मार्च, 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री बने किंतु उनका यह कार्यकाल महज सात दिनों का यानी दस मार्च तक रहा. 2004 में वे छठी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके बाद वे फिर 24 नवंबर, 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने. 2010 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बिहार सरकार के मुखिया बने किंतु लोकसभा चुनाव में हुई हार की वजह से उन्होंने इस्तीफा देकर 20 मई, 2014 को जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. मांझी 20 फरवरी, 2015 तक मुख्यमंत्री रहे.

Wahlveranstaltungen in Bihar, Indien 2020
तेजस्वी ने दी कड़ी टक्करतस्वीर: IANS

नीतीश कुमार ने 2015 में एनडीए से नाता तोड़ लिया और उसके बाद अपने विरोधी राजद व कांग्रेस के साथ मिलकर उन्होंने महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा और 22 फरवरी, 2015 को पुन: उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि 18 महीने तक सरकार चलाने के बाद 2017 में महागठबंधन से अलग होकर वे एक बार फिर अपने पुराने सहयोगी एनडीए के साथ आ गए और बीजेपी तथा अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई.

नीतीश की पार्टी को नुकसान

Indien | Patna Stimmauszählung
कोरोना सुरक्षा में वोटों की गिनतीतस्वीर: IANS

2020 के चुनाव परिणाम में जो एक खास बात सामने आई है, वह है जदयू के सीटों की संख्या में कमी आना. एनडीए में जदयू अब तक बड़े भाई की भूमिका में था जबकि भाजपा छोटे भाई की. इस बार जदयू के सीटों की संख्या में खासी कमी आ गई. इस चुनाव में भाजपा को 74 तथा जदयू को 44 सीटें मिलीं. 2015 में जदयू को 71 तथा भाजपा को 53 सीटें मिलीं थीं. इसकी सबसे बड़ी वजह लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) रही. लोजपा राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए की घटक है किंतु बिहार विधानसभा चुनाव में उसने एनडीए के साथ दोस्ताना लड़ाई लड़ी.

लोजपा प्रमुख ने उन सभी जगहों पर अपने उम्मीदवार दिए जहां से जदयू के प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. चुनाव प्रचार में भी उन्होंने नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया. यहां तक की उन्हें जांच के बाद जेल भेजने की बात कही. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि लोजपा की वजह से वोटों का बिखराव हुआ. जिन जगहों पर भाजपा थी वहां तो जदयू का वोट भाजपा को ट्रांसफर हुआ किंतु उन जगहों पर जहां जदयू के उम्मीदवार थे वहां भाजपा के वोटों का बिखराव हुआ.

Wahlveranstaltungen in Bihar, Indien 2020
कांग्रेस नहीं दिखा पाई कमालतस्वीर: IANS

नीतीश मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं

अब जब नीतीश कुमार की पार्टी जदयू व भाजपा की सीटों का फासला काफी है इसलिए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे या कोई और? पत्रकार सुमन शिशिर कहते हैं, "यही तो भाजपा की रणनीति थी और वह नीतीश कुमार का कद छोटा करने में सफल भी रही. इसलिए लोजपा को एक मायने में छूट ही दी गई थी." वाकई राजनीतिक गलियारे से अब यह चर्चा जोर पकड़ रही कि क्या मुख्यमंत्री भाजपा का होगा या नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे. ऐसे भाजपा के बड़े से बड़े नेता कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार ही हमारे मुख्यमंत्री होंगे और भाजपा जैसी बड़ी पार्टी से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि मुख्यमंत्री के नाम पर वह किसी भी रूप में पुनर्विचार करेगी. जहां तक नीतीश कुमार को जानने वाले लोगों का कहना है कि भाजपा तो अपनी ओर से ऐसा कुछ नहीं कहने जा रही किंतु सीटों के फासले को देखते हुए संभव है कि नीतीश कुमार खुद ही कोई फैसला ले सकते हैं.

Indien | RJD | Tejashwi Yadav
आरजेडी समर्थकों का जश्नतस्वीर: IANS

वाकई, कोरोना संकट के दौरान हुआ यह विधानसभा चुनाव सत्तारूढ़ दल के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था. कोरोना के कारण लॉकडाउन के कारण प्रवासियों की स्थिति को लेकर भी बिहार सरकार की किरकिरी हुई थी और प्रदेश में आई बाढ़ ने भी कोढ़ में खाज का काम किया. फिर तेजस्वी यादव के दस लाख सरकारी नौकरी देने, कांट्रैक्ट पर नियुक्त विभिन्न सेवा संवर्ग के लोगों के मानदेय में इजाफा करने तथा समान काम के लिए समान वेतन जैसी लोकलुभावन घोषणाओं ने एनडीए को काफी मुश्किल में डाला. किंतु, परिणामों ने यह साबित कर दिया कि लोग नीतीश कुमार को एक और मौका देना चाहते हैं और शायद इसलिए कांटे की टक्कर होते हुए भी एनडीए को विजयश्री हासिल भी हुई.

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