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बिहार उपचुनाव में 'सियासी दोस्ती' कसौटी पर

२४ सितम्बर २०१९

बिहार में लोकसभा की एक और विधानसभा की पांच सीटों पर अगले महीने होने वाले उपचुनाव में प्रत्याशियों की हार-जीत तो तय होगी ही, विपक्षी महागठबंधन भी कसौटी पर कसा जाएगा.

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Indien Ramzan
तस्वीर: UNI

इस उपचुनाव को अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. बिहार के जिन पांच विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा हुई है, उन सभी सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का कब्जा था. इनमें चार सीटों पर जेडीयू के उम्मीदवार, जबकि किशनगंज सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी हुए थे. उस समय जेडीयू महागठबंधन में था, मगर अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल है. ऐसे में इस चुनाव में बदले समीकरण में महागठबंधन की चुनौती इन सीटों पर कब्जा बनाए रखने की होगी. उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का स्वरूप अलग था. उस समय आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस साथ थी. अब जेडीयू महागठबंधन से अलग है और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी महागठबंधन के साथ है.

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में पांच विधायकों के सांसद बन जाने के कारण खाली हुई बिहार विधानसभा की पांच सीटों पर उपचुनाव होना है, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद रामचंद्र पासवान के निधन से खाली हुई समस्तीपुर संसदीय सीट पर भी साथ ही चुनाव होना है. महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीट बंटवारे की है. सभी दलों ने अपने-अपने दावे कर सीटों पर पेच फंसा दिया है.

आरजेडी के प्रवक्ता मत्युंजय तिवारी कहते हैं, "बिहार में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है. वर्ष 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में आरजेडी चार सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. इन चार सीटों पर कई बार आरजेडी के उम्मीदवार विजयी भी हुए हैं. ऐसे में चार सीटों पर उसका दावा बनता है. फिर भी महागठबंधन के सभी नेता मिल-बैठकर सीटों का बंटवारा करेंगे."

Bildergalerie Neujahr in Indien 2015
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी भी इनमें से एक सीट पर जीत हासिल करने का दावा कर रहे हैं.तस्वीर: UNI

इधर, कांग्रेस ने भी उपचुनाव को लेकर दो सीटों पर दावा किया है. कांग्रेस विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि किशनगंज विधानसभा और समस्तीपुर लोकसभा सीट उनकी परंपरागत सीट है. शेष सीटों पर महागठबंधन की ओर से जीतने वाले उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाए, ऐसी कोशिश रहेगी.

इधर, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी एक सीट पर दावा ठोंका है. मांझी ने सोमवार को कहा था, "नाथनगर सीट पर हमारी तैयारी शुरू हो गई है. इस सीट को लेकर महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेताओं से भी बात हो गई है." मांझी हालांकि यह भी कहते हैं कि सीट बंटवारे को लेकर 24 सितंबर को महागठबंधन की बैठक होगी.

इस बीच राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी और वीआईपी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन इन बयानों के बाद इतना तय है कि महागठबंधन के घटक दलों में सीट बंटवारा इतना आसान नहीं है. महागठबंधन के एक नेता की मानें तो समस्तीपुर लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में जाना लगभग तय है और दरौंदा व बेलहर सीट पर राजद की दावेदारी पर बात बनती दिख रही है. नाथनगर और सिमरी बख्तियारपुर दो ऐसी सीटें हैं, जिन पर कई दलों की दावेदारी के बाद फंसे पेंच को सुलझाना आसान नहीं होगा. किशनंगज विधानसभा सीट पर कांग्रेस की दावेदारी बनती है. बहरहाल, उपचुनाव के रण में जाने से पहले महागठबंधन के घटक दलों को सीट बंटवारे को लेकर भी जूझना होगा और फिर एकजुट होकर बदले समीकरण के तहत चुनाव परिणाम को अपने पक्ष में करना चुनौती होगी.

-- मनोज पाठक (आईएएनएस)

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