बिना ड्राइवर के चलेंगी फ्रांस की हजारों ट्रेनें
२८ सितम्बर २०१८फ्रांस की सरकारी रेलवे कंपनी एसएनसीएफ ने लंबी दूरी की यात्री व मालगाड़ियों को चालक रहित बनाने का एलान किया है. कंपनी का कहना है कि 2023 तक रेल नेटवर्क को ड्राइवर फ्री बना दिया जाएगा. इसके लिए 5.7 करोड़ यूरो का बजट तय किया गया है. पहले चरण में खुद चलने वाली मालगाड़ियों को उतारा जाएगा. इस प्रोजेक्ट में विमान निर्माता कंपनी एयरबस और जापानी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी हिटाची भी शामिल हैं.
दूसरे चरण में पैसेंजर ट्रेनों को ड्राइवरलेस बनाया जाएगा. यह प्रोजेक्ट बमबार्डियर, बॉश और थालिस जैसी कंपनियों के साथ चलेगा. एसएनसीएफ के मुताबिक पूरे प्रोजेक्ट को लेकर जर्मनी की रेलवे कंपनी डॉयचे बान से भी बातचीत की जा रही है. इस बातचीत के जरिए पूरे यूरोप में चालक रहित ट्रेनों का नेटवर्क तैयार करने के लिए जरूरी मानकों पर चर्चा हो रही है.
पूरी तरह स्वचालित ट्रेनों के प्रोजेक्ट के डायरेक्टर लुक लारोशे के मुताबिक, "इंसान और तकनीक से जुड़े मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है. हमारे पार्टनर तमाम क्षेत्रों से आते हैं और उनके साथ सामूहिक बुद्धि और दक्षता के जरिए हम आगे बढ़ेंगे."
जर्मनी कंपनी बॉश की फ्रांसीसी शाखा बॉश फ्रांस के प्रेसिडेंट हाइको कारी ने भी प्रोजेक्ट की पुष्टि की है, "मोबिलिटी के क्षेत्र में अच्छे समाधानों का नेतृत्व करने वाला बॉश ग्रुप इस समूह का हिस्सा बनकर काफी खुश है, हम अपना योगदान देंगे, तकनीक की बदौलत हम स्वचालित ट्रेनों के नए और अहम चरण में दाखिल हो रहे हैं."
एसएनसीएफ का दावा है कि ड्राइवर रहित ट्रेनों से पूरे रेल नेटवर्क को फायदा होगा. कंपनी के मुताबिक इस सिस्टम से ट्रेनें समय से चलेंगी, रेलवे ट्रैफिक ज्यादा स्मार्ट बनेगा और ईंधन की खपत भी कम होगी. ड्राइवरों के शिफ्ट में काम करने की वजह से यूरोप के रेल नेटवर्क को कई बार देरी का सामना करना पड़ता है.
फ्रांसीसी रेलवे कंपनी के पास इस वक्त 17,000 ट्रेनें हैं. इनका इस्तेमाल हर दिन 40 लाख यात्री करते हैं. लेकिन एसएनसीएफ को हर साल तीन अरब यूरो का घाटा हो रहा है. 2017 और 2018 में 1,48,000 कर्मचारियों वाली कंपनी ने कई बार हड़तालों का सामना किया.
बदलावों को फ्रांस सरकार की हरी झंडी मिली हुई है. फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रुनो ले मैर पहले ही कह चुके हैं, "तीस साल तक हमने एसएनसीएफ को जरूरी बदलावों से बचाए रखा और इन्हीं तीस बरसों में हमने इसकी सेवाओं को लगातार खराब होते देखा. हम इस तरह नहीं चल सकते. हम दीवार से टकराने जा रहे हैं." इस वक्त फ्रांस की सरकार एसएनसीएफ को हर साल 14 अरब यूरो की सब्सिडी देती है.
नई योजना के मुताबिक 2020 में पहली सेमी ऑटोमैटिक ट्रेन चलेगी और तीन साल बाद पूरी तरह स्वचालित ट्रेनें चलने लगेंगी.
(पहली बार कोई ट्रेन 600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चली है. इस ऐतिहासिक गति को छूने वाली रेल है सेंट्रल जापान रेलवे की मैग्लेव ट्रेन. एक नजर दुनिया की तीव्रतम ट्रेनों पर.)
जैन मैकिंटॉस/ओएसजे