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बिक गया गांधीजी का घर

७ अक्टूबर २००९

दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहानिसबर्ग में वो घर बिक गया है जहां महात्मा गांधी दो साल तक रहे. नीलामी के दौरान फ्रांस की एक कंपनी ने बापू के घर को दोगुनी कीमत में ख़रीदा. भारत सरकार ने नाराज़गी जताई.

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बापू की धरोहरों की नीलामीतस्वीर: AP

नीलामी में गांधीजी धरोहर की न्यूनतम क़ीमत पौने चार लाख डॉलर तय की गई थी. इस दौरान दुनिया भर की कई कंपनियों और फर्मो ने तयशुदा क़ीमत से ज़्यादा की बोलियां लगाई. लेकिन फ्रांस की एक पर्यटन कंपनी ने क़रीब दो गुनी बोली लगाकर घर अपने नाम कर लिया. इस घर में युवा वकील मोहनदास करमचंद गांधी 1908 से 1910 तक रहे थे.

पैरिस स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड फ्रांस की मशहूर पर्यटन कंपनी वोयगेयर्स डू मोंडे अब इस घर को संग्रहालय बनाना चाहती है. कंपनी का कहना है कि इस घर को अब पूरी तरह विश्वस्तरीय गांधी संग्राहलय में बदल दिया जाएगा. वैसे नीलामी की रेस में भारतीय मूल के मलेशियाई उद्योगपति भी थे लेकिन उन्हें निराशा ही मिली.

उनके अलावा बापू के धरोहर को बचाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड ने घर के मालिक से संपर्क किया था. इसके लिए कोल इंडिया के सभी कर्मचारियों की एक दिन तनख्वाह देने को भी तैयार हो थे लेकिन नीलामी नहीं रुक सकी. नीलामी पर निराशा जताते हुए भारत के केंद्रीय इस्पात मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा, ''यह मामला देश की भावनाओं से जुड़ा है. हम अब भी हर तरह की कोशिशें करेंगे.''

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह़

संपादन: एस जोशी