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बाल दिवस पर गूगल का डूडल

१४ नवम्बर २०११

चार दिन पहले नोएडा के रेयान इंटरनेशनल स्कूल की सात साल की वर्षा गुप्ता को 'डूडल फॉर गूगल' प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया. बाल दिवस के मौके पर गूगल ने वर्षा गुप्ता द्वारा बनाए गए डूडल को अपने होमपेज पर लगाया है.

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तस्वीर: http://www.google.co.in/

डूडल बनाने के लिए थीम दिया गया "दुनिया में भारत का योगदान". सात साल की वर्षा ने इसे संगीत के नजरिए से देखा और पांच प्रकार के संगीत वाद्यों को चित्र में उतारा. गूगल कंज्यूमर मार्केटिंग के रॉबिन जोसेफ ने गूगल के ब्लॉग पर लिखा, "वर्षा गुप्ता का डूडल फॉर गूगल वाला लोगो दिखाता है कि भारत एक ऐसा देश है जहां कई संस्कृतियां एक साथ रहती हैं और संगीत इसमें एक अहम भूमिका निभाता है. यह डूडल कुशलता के साथ कई तरह के संगीत वाद्यों को दर्शाता है जिन्हें भारत ने दुनिया को दिया है - तबला, सरोद, वीणा और शहनाई."

पुरस्कार लेने के बाद वर्षा ने अपने डूडल के बारे में कहा, "सरस्वती वीणा बजाती हैं और शिव डमरू. हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार हर अवसर पर संगीत बजाया जाता था. युद्ध के दौरान भी संगीत बजता था. भगवान कृष्ण की बांसुरी पूरी दुनिया में अपने मोहक संगीत के लिए मशहूर है. आज की दुनिया में पंडित जाकिर हुसैन जाने माने तबला वादक हैं और पंडित शिव कुमार शर्मा को संतूर के लिए जाना जाता है."

Screenshot Google.co.in Doodle
वर्षा गुप्ता का डूडलतस्वीर: http://www.google.co.in/

वर्षा को गूगल की ओर से एक लैपटॉप, एक साल का इंटरनेट कनेक्शन और दो लाख रुपये नकद पुरस्कार में मिले हैं. डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता में पहली से दसवीं कक्षा तक के स्कूली बच्चे हिस्सा ले सकते हैं. यह प्रतियोगोता पिछले तीन साल से भारत में आयोजित की जा रही है. इस साल इस प्रतियोगिता में डेढ़ लाख से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया. देश भर से छह हजार डूडल चुने गए जिन्हें जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स भेजा गया. यहां इनमें से छह सौ को चुना गया. अगले पड़ाव में कुल 45 डूडल चुने गए. जूरी में प्रसून जोशी और नंदिता दास जैसी बड़ी हस्तियां भी शामिल थी.

क्या है डूडल?

हर कंपनी का अपना एक लोगो होता है, गूगल का भी है, लेकिन वह समय समय पर उसमें कुछ बदलाव करना पसंद करता है. इन बदलावों के जरिए कई बार गूगल बड़ी हस्तियों की याद दिलाता है तो कई बार लोगों के लिए यह मस्ती मजे का एक कारण बन जाता है. गूगल अपने नाम से इस्तेमाल होने वाले अक्षरों को एक नया रूप देता है जिस से कभी चांद पर लगता हुआ ग्रहण दिखता है तो कभी आइनस्टाइन का दिया हुआ फॉर्मूला.

Google Books Flash-Galerie
गूगल का लोगोतस्वीर: dpa

इसकी शुरुआत 1998 में हुई जब गूगल के मालिक लैरी और सरजी ने गूगल के दूसरे ओ के पीछे एक व्यक्ति का चित्र बनाया. जब लैरी और सरजी को यह एहसास हुआ कि लोगों को यह पसंद आया है तो उन्होंने अपने एक इन्टर्न डेनिस वांग को इस पर काम करने के लिए कहा. बाद में डेनिस को चीफ डूडलर नियुक्त किया गया. शुरुआत में केवल त्यौहारों पर इसका प्रयोग किया जाता था, ताकि लोग छुट्टियों के दिनों में इंटरनेट के इस्तेमाल का भी ज्यादा मजा ले सकें. क्रिसमस के मौके पर गूगल के लोगो को क्रिसमस ट्री की तरह सजाया जाता था. बाद में इसे ओलम्पिक खेलों और ऐसे ही अन्य मौकों पर भी इस्तेमाल किया जाने लगा.

गूगल के अनुसार अब तक 700 डूडल बनाए जा चुके हैं. इनमें से 300 को अमेरिका में बनाया गया है. इन्हें डिजाइन करने के लिए गूगल के पास अपनी एक खास टीम है. गूगल के अनुसार साल की खास घटनाओं पर नजर रखी जाती है और फिर उन पर आधारित डूडल तैयार किया जाता है. इसके अलावा गूगल अपने यूजर्स से भी मदद लेता है. लोग अपने सुझाव गूगल तक पहुंचा सकते हैं और अगर चाहें तो अपना डूडल तैयार कर के गूगल को भेज सकते हैं. इसके अलावा पिछले तीन सालों से स्कूलों में 'डूडल फॉर गूगल' नाम की प्रतियोगिता शुरू की गई है. बच्चों की रचनात्मकता से गूगल को काफी फायदा मिल रहा है.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे

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