बाबा का बवंडर
खुद को संत कहने वाले बाबा रामपाल को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. भारी तनाव और विरोध और झड़पों के बाद पुलिस बाबा को गिरफ्तार कर पाई है.
सतलोक आश्रम में रामपाल के करीब 10,000 समर्थक थे. इनमें से अधिकतर तो बाहर आ गए हैं लेकिन करीब 200 अभी भी आश्रम में बताए जाते हैं. पुलिस और भक्तों के बीच भारी झड़पें हुई.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस को आदेश दिया था कि 17 नवंबर तक रामपाल को अदालत में हाजिर किया जाए. पुलिस को यह करने में भारी दलबल का इस्तेमाल करना पड़ा.
पांच नवंबर को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अवमानना के मामले में रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. उन पर हत्या का आरोप है.
1999 में रामपाल ने हरियाणा के करौंथा में दान की जमीन पर सतलोक आश्रम बनाया. आर्य समाज के स्वामी दयानंद की किताब सत्यार्थ प्रकाश पर टिप्पणी के कारण 2006 में आर्य समाज के अनुयायियों से हिंसक झड़प भी हुई.
13 जुलाई 2006 को रामपाल और उनके 24 अनुयायियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया और आश्रम पर कब्जा किया. बाबा ने डेढ़ साल जेल की सजा काटी. तस्वीर में देखा जा सकता है कि नवंबर में रामपाल को गिरफ्तार करने गई पुलिस को किस तरह के विरोध का सामना करना पड़ा.
वैसे तो आश्रम के मामले में फरवरी 2013 में ही सुप्रीम कोर्ट ने रामपाल की याचिका खारिज कर दी थी. लेकिन उसी साल अप्रैल में गुपचुप तरीके से आश्रम रामपाल को सौंप दिया गया. तस्वीर में भक्तों को तितर बितर करने की पुलिस की कोशिश.
मई 2013 में फिर रामपाल समर्थकों और आर्य समाजियों के बीच हिंसक टकराव हुआ जिसमें तीन लोग मारे गए और करीब 100 घायल हुए. इसी सिलसिले में 2014 जुलाई में रामपाल की अदालत में पेशी थी लेकिन वह हाजिर नहीं हुए.