सैटेलाइटों के जरिये इंसान को बादलों की स्थिति का पता चलता है और आने वाले मौसम का अंदाजा लगाया जाता है. लेकिन अगर इंसानी गतिविधियों से बादलों पर वाकई वैसा असर हो रहा है, जैसा कि वैज्ञानिकों को डर है, तो आने वाले समय में बरसात इतनी कम हुआ करेगी कि जमीन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.