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बादल बनाओ, बारिश कराओ लेकिन कितनी

१८ दिसम्बर २००९

मौसम को नियंत्रित करने के लिहाज से चीन ने बादल जमा करने की तकनीक में सिल्वर आयोडाइड का उपयोग करता आया है जिससे न केवल सूखे में बारिश कराई जा सकती है बल्कि घने बादलों को बांधकर बारिश भी रोकी जा सकती है.

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तस्वीर: AP

कोपनहेगन में जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण नियंत्रण पर दुनिया भर के देशों में बहस हो रही है. पर्यावरण में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से जनसंख्या पर हो रहे हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए सभी देश भरसक कोशिश कर रहे हैं. चीन ने मौसम नियंत्रण उपायों की मदद से ग्लोबल वार्मिग के हानिकारक प्रभावों को कम करने की कोशिश की.

अकाल, सूखा, बढ़ती जनसंख्या, सूखते जल स्रोतों जैसी समस्याओं से निजात के लिए अब कई देश मौसम को नियंत्रित कर क्लाउड सीडिंग के जरिए ज्यादा बारिश लाने की तकनीकी अपना रहे हैं. मौसम को नियंत्रित करने के लिहाज से चीन ने बादल जमा करने की तकनीक में सिल्वर आयोडाइड का उपयोग करता आया है जिससे न केवल सूखे में बारिश कराई जा सकती है बल्कि घने बादलों को बांधकर बारिश भी रोकी जा सकती है. ओलंपिक खेल के दौरान संभावित बारिश को इसी तकनीक से रोका गया था.

Brasilien Amazonas Dürre
मनचाही जगह घुमड़ते बादलतस्वीर: AP

पिछले पांच सालों में क्लाउड सीडिंग तकनीक पर तक़रीबन पांच अरब डॉलर ख़र्च किया जा चुका है. हालांकि अमेरिका, रूस, वेनेजुएला और जर्मनी इस तकनीक का इस्तेमाल ओस और बर्फ़ के आकार को कम करने के लिए करते हैं. विमान से सिल्वर आयोडाइड को बादलों में वाष्प के जरिए छिड़क दिया जाता है जिससे बादल का घनत्व बढ़ जाता है और बारिश होती है.

जर्मनी के मौसम विज्ञान केंद्र में काम कर रहे आंद्रियास फ्रेडरिच कहते हैं कि देखा जाए तो 1950 से ही बादल बनाने की तकनीक काम कर रही है लेकिन सारे मौसम वैज्ञानिक इसे असरदार नहीं मानते. फ्रेडरिच कहते हैं, ''वायुमंडल मे जो ऊर्जा है वो बहुत ज्यादा शक्तिशाली है. मेरी नज़र में विमान या रॉकेट के जरिए सिल्वर आयोडाइड वायुमंडल से जो बदलाव लाता है उससे स्थानीय वातावरण पर कम प्रभाव पड़ता है . मानो आपने सागर में अगर एक बूंद डाली तो उस पर क्या प्रभाव होगा. प्रकृति अपरिमित है और इस तकनीक से होने वाले बदलाव का प्रभाव अस्थाई है.''

इस तकनीक के ज़रिए समय से पहले नवंबर में बर्फ़बारी कराने की वजह से चीन की आलोचना हुई. देश के मौसम विभाग ने सिल्वर आयोडाइड से भरे सौ से भी ज्यादा रॉकेटो का इस्तेमाल किया लेकिन विभाग ने दक्षिण से आने वाली ठंडी हवा के बारे में पहले नहीं सोचा. अब अचानक बढ़ी ठंड की वजह से एक करोड़ टन से भी ज्यादा बर्फ़ सड़कों पर जमी हुई है जिससे आम नागरिकों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

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सहूलियत या प्रकृति से छेड़छाड़?तस्वीर: AP

चीन में ग्रीनपीस से जुड़े विशेषज्ञ यांग आइलुन कहते हैं कि चीन में इस्तेमाल की जा रही क्लाउड सीडिंग पर भारी खर्च हो रहा है. हालांकि देखा जाए तो यह तकनीक बेहद सुरक्षित विकल्प है लेकिन ये सवाल भी पूछे जा रहे हैं कि क्या इसमें निवेश करने को समझदारी भरा फ़ैसला माना जा सकता है. क्या चीन में पर्यावरण संबंधित समस्याओं का यह उपयुक्त समाधान होगा. जानकारों की राय में चीन पर्यावरण प्रदूषण संबंधित जिन चुनौतियों से जुझ रहा है उसके लिए उसे स्थायी समाधान ढ़ूढ़ने की जरूरत है. इसके लिए कड़े नियमों को बनाने के साथ उन्हें सख्ती से लागू करने की आवश्यकता भी है. समस्या ये है कि क्या चीन को पर्यावरण को नियंत्रित करने के लिए इस अस्थाई खर्चीले माध्यम पर निर्भर होना चाहिए या फिर स्थाई हल ढूंढ़ना चाहिए.

क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड पर्यावरण प्रदूषण भी चिंता का विषय है. अमेरिका में डाटमाउथ कॉलेज के ज़हरीली धातु की रिसर्च से जुड़े प्रोग्राम के अनुसार वायु और जल में सिल्वर के ज़्यादा संकेन्द्रण होने से स्वास्थ्य को स्थायी नुकसान हो सकता है. ख़ासकर जलीय जीवों के लिए ये ज़्यादा हानिकारक है. लेकिन कुछ ऐसे संगठन भी है जो क्लाउड सीडिंग के पक्ष में हैं. अमेरिका के नैशनल वेदर मॉडिफ़िकेशन एसोसिएशन का कहना है कि अब तक उपयोग में लाए गए सिल्वर की मात्रा इतनी कम है इससे ज़्यादा नुकसान नहीं हो सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां, सारा बंर्निग/ सरिता झा

संपादन: एस जोशी