बांस की मांग के कारण जंगल खतरे में
वैसे तो बांस का इस्तेमाल कई सदियों से होता आया है लेकिन हाल के सालों में इसकी बढ़ती मांग के कारण बांस को उगाने के लिए बाकी पेड़ों का बड़े पैमाने पर सफाया हो रहा है. ऐसे 'मोनोकल्चर' के कारण प्रकृति खतरे में है.
क्या बांस पेड़ है?
असल में बास कोई पेड़ नहीं है. यह एक तरह की सदाबहार घास है जो अंदर से खोखली होती है. इसकी करीब 1,400 किस्मों के बारे में पता है, जो घुटनों से लेकर 100 फीट तक ऊंची हो सकती हैं. गर्म और नम माहौल में अच्छी तरह पनपने वाला बांस दक्षिण अमेरिका, लगभग पूरे अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में खूब पाया जाता है.
बांस के घर
बांस की कई किस्में बड़ी तेजी से बढ़ती हैं. उगाने वाले इससे भले ही खुश हों लेकिन एक बार जड़ पकड़ने के बाद इसे किसी जगह से जड़ से हटाना लगभग असंभव हो जाता है. अपनी मजबूती और लचीलेपन के कारण खासकर एशिया के कई हिस्सों में बांस का इस्तेमाल इमारतें बनाने में भी होता है.
बांस के बर्तनों में बांस ही खाना
बांस के कई तरह के इस्तेमाल हैं. इसके बर्तन बनते हैं तो कई एशियाई देशों में इसकी कोपलें खाई भी जाती हैं. बांस को बुनकर फर्श बनती है, तो टूथब्रश, कागज, कपड़े और लोकप्रिय केन फर्नीचर भी. मांग पूरी करने के लिए चीन में कई उत्पादक जंगल में बाकी पेड़ों को हटा कर उसकी जगह बांस बोने लगे हैं. इसे जैवविविधता पर असर पड़ रहा है.
पानी सोखने में अव्वल
जमीन में पानी का घटना जलस्तर वैसे ही समस्या बना हुआ है ऊपर से बांस की बढ़ती खेती इस पर और बोझ बढ़ा रही है. बांस काफी पानी सोखता है. वहीं केन्या के कुछ इलाकों में अपर ताना नदी के बेसिन में बांस के पेड़ उगाने से फायदा हो रहा है. ये नदी के किनारे की जमीन को स्थाई बनाने में मदद करते हैं. इसकी जड़ें मिट्टी को जकड़ कर रखती हैं.
बांस के कप का प्रचलन
हाल ही में बांस के बने कपों में कॉफी पीने के चलन ने जोर पकड़ा है. इन्हें बार बार इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि इसी साल जर्मनी के एक उपभोक्ता समूह ने बाजार में उपलब्ध सभी 12 तरह के बांस के कपों में हानिकारक रसायन मिलने की बात कही थी. बांस का चूरा बनाकर उसे जिस गोंद में घोलकर कप का आकार दिया गया था, रसायन उससे आ रहे हैं. दावों से उलट ये कप पूरी तरह विघटित भी नहीं होते.
पांडा ही नहीं सबका पसंदीदा
बांस खाना पांडा को बहुत पसंद है और वे ज्यादा कुछ खाते भी नहीं. लेकिन चिम्पैंजी, गोरिल्ला और इंसान भी बांस खाते हैं. अचार बनाकर या पका कर बांस के शूट दुनिया के कई देशों में खाए जाते हैं. पत्तियों में चावल के डंपलिंग्स लपेटे जाते हैं और कहीं कहीं बांस के खोखले तने का इस्तेमाल उसके भीतर कुछ पकाने के लिए भी होता है.
देखनी होगी पूरी तस्वीर
चॉपस्टिक, स्ट्रॉ, टूथब्रश, बर्तन या किसी भी काम में लाई जाएं - बांस दुनिया भर में लोगों के रोजमर्रा का हिस्सा बनता जा रहा है. लोकप्रियता बढ़ने का साथ ही इसे उगाने वाले बाकी पेड़ों को हटा कर इसे उगाने लगे हैं. केवल 2018 में ही बांस का कारोबार करीब 69 अरब डॉलर का रहा और बढ़ती मांग के कारण जंगलों पर इसका असर बढ़ता ही नजर आ रहा है. (तिमोथी रूक्स/आरपी)