एंटी नारकोटिक क्रैकडाउन में 96 की मौत
२८ मई २०१८देश भर में चल रहे एंटी नारकोटिक क्रैकडाउन के तहत बांग्लादेश में ड्रग कारोबार से जुड़े संदिग्धों को निशाना बनाया जा रहा है. 12 मई 2018 को शुरू हुए अभियान के तहत अब तक 96 लोग मारे जा चुके हैं. सुरक्षा बलों का दावा है कि संदिग्ध ड्रग माफियाओं के साथ मुठभेड़ हो रही है.
वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता सरकार की इस कार्रवाई को चुनाव से पहले विपक्ष को खामोश करने की साजिश बता रहे हैं. ओधिकार नाम के मानवाधिकार संगठन के प्रमुख अदिलुर रहमान खान कहते हैं, "ऐसी गैर न्यायिक मौतें "कानून व्यवस्था की भावना के खिलाफ हैं. आरोपियों को कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिए."
कई लोग इस कार्रवाई की फिलीपींस से भी तुलना कर रहे हैं. फिलीपींस में 2016 में ड्रग्स के खिलाफ अभियान के दौरान 12,000 से ज्यादा लोग मारे गए. बांग्लादेश में भी संख्या बढ़ती जा रही है.
कार्रवाई से जुड़े अधिकारी इन आरोपों का खंडन कर रहे हैं. अधिकारियों का दावा है कि हर दिन हो रही कार्रवाई में बड़ी मात्रा में ड्रग्स बरामद हो रहs हैं. संदिग्ध अपराधी गैरकानूनी हथियारों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. ज्यादातर मामलों में ऐसी कार्रवाई रात में की जा रही है. अधिकारियों के मुताबिक सुरक्षाकर्मी सिर्फ आत्मरक्षा में गोली चला रहे हैं. लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता खान कहते हैं, "हम नहीं जानते कि इनमें से कितने निर्दोष थे, लेकिन हम निश्चित रूप से गलत पहचान के आधार पर निशाना बनने वाले लोगों की पहचान करेंगे."
बांग्लादेश में ड्रग तस्करी गंभीर समस्या बनी हुई है. देश में भारी मात्रा में मेथाम्फेटामाइंस या याबा नाम की टेबलेटों की भरमार है. ज्यादातर मामलों में ये नशीली दवाएं म्यांमार से बांग्लादेश पहुंचाई गई हैं. बांग्लादेश के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने म्यांमार पर आरोप भी लगाए हैं. बीते साल बांग्लादेश के सुरक्षा बलों ने मेथाम्फेटामाइंस की चार करोड़ गोलियां जब्त की. 2018 के शुरुआती चार महीनों में भी 40 लाख गोलियां जब्त की गईं.
सड़क परिवहन मंत्री ओबेदुल कादेर कहते हैं, "म्यांमार ने न सिर्फ लाखों रोहिंग्या भेजे हैं, बल्कि उन्होंने सूनामी की तरह लाखों याबा टैबलेट्स भी झोंकी हैं." बांग्लादेश के नारकोटिक्स कंट्रोल विभाग के प्रमुख जमाल उद्दीन अहमद के मुताबिक देश में करीब 70 लाख लोग सिंथेटिक ड्रग्स की चपेट में हैं.
(किस नशे से कितना खतरा)
ओएसजे/एमजे (डीपीए)