बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन
बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी छात्रों पर पुलिस ने कार्रवाई की है. इसके खिलाफ छात्रों ने सारे देश में विरोध प्रदर्शन किया और धरना दिया. ये प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक दशक के शासन में सबसे बड़ा विरोध है.
शुरुआत देश के प्रमुख शिक्षा संस्थान ढाका यूनिवर्सिटी से हुई, जहां छात्र सरकारी नौकरियों में विशेष ग्रुपों के लिए भेदभावपूर्ण कोटा का विरोध कर रहे थे.
विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने रबर की गोलियां चलाई और आंसू गैस के गोले छोड़े. पुलिस की कार्रवाई में कम से कम 100 लोग घायल हो गए.
उसके बाद हजारों छात्रों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किया. ढाका में छात्रों और पुलिस के बीच झड़प रविवार रात शुरू हुई और सोमवार सुबह तक चली.
स्थिति पर काबू पाने के लिए राजनीतिक पहल हो रही है और शेख हसीना सरकार के एक मंत्री को ढाका यूनिवर्सिटी में हड़ताली छात्र नेताओं से मिलना है.
चटगांव, खुलना, बारीसाल, राजशाही, रंगपुर, सिलहट और सावर में सरकारी विश्वविद्यालयों में छात्रों ने क्लास का बहिष्कार किया और धरना दिया.
ढाका में विरोध प्रदर्शन के आयोजकों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे, जब पुलिस ने आंसू गैस छोड़े और रबर के बुलेट चलाए. पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया.
यूनिवर्सिटी के केंद्रीय चौक पर जमा छात्रों को हटाने की कोशिश के बाद पूरे कैंपस में हिंसा फैल गई और हजारों छात्रों ने पुलिस के साथ लड़ाई शुरू कर दी.
शेख हसीना की सरकार 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों और अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत का कोटा तय करना चाहती है.
बाकी लोगों के लिए सिर्फ 44 प्रतिशत सीटें बच जाएंगी जो मेरिट के आधार पर भरी जाएंगी. छात्र इसी का विरोध कर रहे हैं.
छात्र नेता अल मामून ने कोटा को भेदभाव वाला बताते हुए कहा है कि 56 प्रतिशत नौकरियां 5 प्रतिशत आबादी के लिए आरक्षित की जा रही हैं.
छात्र नेता अल मामून ने कोटा को भेदभाव वाला बताते हुए कहा है कि 56 प्रतिशत नौकरियां 5 प्रतिशत आबादी के लिए आरक्षित की जा रही हैं.
बांग्लादेश सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2016-17 में देश में 27 लाख लोग बेरोजगार थे.