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समाज

बताओ, कॉफी पर कैंसर का खतरा है

३० मार्च २०१८

कॉफी पीना एक आम बात है. लेकिन क्या आप तब ही इस कॉफी को उतने ही आनंद के पास पी सकेंगे जब इसमें लिखा होगा कि कॉफी सेवन से कैंसर हो सकता है. अमेरिका की एक अदालत ने कॉफी पैकेट पर कैंसर की चेतावनी लिखने की बात कही है.

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Tasse Kaffee mit Schaumherz
तस्वीर: Colourbox/Einar Muoni

कॉफी आपके शरीर को कितना फायदा और कितना नुकसान पहुंचाती है इस बात का सटीक उत्तर अब तक नहीं मिल सका है. लेकिन अमेरिका के कैलोफोर्निया में एक जज ने अपने आदेश में कहा है कि कॉफी पैकों पर कैंसर की चेतावनी दी जानी चाहिए. जज ने कहा कि अमेरिका में कॉफी बेचने वालों को अपने उत्पादों पर कैंसर की चेतावनी जरूर लिखनी चाहिए.

अदालत चाहे कॉफी को कैंसर का संभावित खतरा मान रही हो लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन साल 2016 में कॉफी को संभावित कैंसर तत्वों की सूची से हटा चुका है. 

अमेरिकी संस्था, काउंसिल फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च ऑन टॉक्सिक (सीईआरटी) का मानना है कि कॉफी उद्योग को "एक्रिलामाइड" रसायन के इस्तेमाल को रोक देना चाहिए. या अपने उत्पादों पर इसके इस्तेमाल की चेतावनी लगानी चाहिए. एक्रिलामाइड एक रसायनिक यौगिक होता है जिसका इस्तेमाल कॉफी बीन्स की रोस्टिंग(भूनने) की प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाता है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कॉफी निर्माताओं ने इस मामले में ऐसी दलीलें नहीं दी है जो यह साबित कर सकें कि कॉफी का इस्तेमाल मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. लेकिन ऐसे तमाम सबूत हैं जो साबित करते हैं कि इंसानों में कॉफी की लत भ्रूण, नवजात और बच्चों में मौत का जोखिम बढ़ाती है.

अदालत में इस मामले पर पिछले आठ सालों से बहस चल रही है. स्टारबक्स समेत 90 अन्य कॉफी बेचने वाली कंपनियां के खिलाफ सीईआरटी मामला कोर्ट में ले गई थी. इस मामले का मुख्य कारण था साल 1986 में कैलोफोर्निया में पारित किया गया एक विवादित कानून. इस कानून में 900 रसायनों को कैंसर के संभावित कारणों की सूची में शामिल किया गया था. इन रसायनों में वह भी रसायन शामिल थे जिन्हें आलू चिप्स बनाने वाली कंपनियां इस्तेमाल करती है.

कॉफी उत्पादकों की दलील

अमेरिका के द नेशनल कॉफी एसोसिएशन (एनसीए) के मुताबिक कॉफी पैक पर कैंसर की चेतावनी लोगों को गुमराह कर सकती है. एसोसिएशन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कह चुका है कि कॉफी से कैंसर नहीं होता, वहीं अमेरिकी सरकार के अपने दिशानिर्देशों में कॉफी को एक अच्छी लाइफस्टाइल का हिस्सा माना है. संस्था ने कहा कि यह लोगों में कंफ्यूजन पैदा करेगा और इसका आम लोगों के स्वास्थ्य पर इसका कोई असर नहीं होगा. 

विज्ञान का तर्क

वैज्ञानिक अब तक इस बात की सटीक पुष्टि नहीं कर सके हैं कि कॉफी मानव शरीर पर कितना असर डालती है. लेकिन कॉफी से जुड़े जोखिमों पर चिंताओं व्यक्त की जाती रही है. साल 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कॉफी को कैंसर के संभावित कारणों की सूची से हटाते हुए कहा था कि कॉफी पीने से स्तन और पैंक्रियाटिक कैंसर का कोई संबंध नजर नहीं आता. ऐसा देखा गया है कि यह लिवर और गर्भाशय कैंसर के जोखिम को कम करती है. कॉफी कंपनियों के मुताबिक उनके लिए "एक्रिलामाइड" का इस्तेमाल न करना संभव नहीं है क्योंकि इसका असर कॉफी के स्वाद पर पड़ सकता है.

एए/ओएसजे (एपी)