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बड़ी इमारतों और फ़ुटबॉल का डॉर्टमुंड

शिव प्रसाद जोशी२० अगस्त २००९

कभी तबाही के मंज़र का दूसरा नाम नाम माना जाना वाला जर्मनी का शहर डॉर्टमुंड अब सूचना क्रांति और सॉफ्टवेयर क्रांति का गढ़ माना जाता है. इस ख़ूबसूरत शहर के सीने में जर्मनी का वो दिल भी है जिसे फुटबॉल कहा जाता है.

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लगातार बनता शहर है डोर्टमुंडतस्वीर: AP

डोर्टमुंड- कोयले से कंप्यूटर तक पहचान की पुनर्खोज का शहर

युद्ध, युद्ध और युद्ध. तबाही तबाही और तबाही. यही तो आए थे बदनसीब डोर्टमुंड के हिस्से. लेकिन जर्मनी के सबसे बड़े शहरों में एक, डोर्टमुंड में युद्ध और तबाही की क्रूर स्मृतियों को शांति और विकास के आवरण ने जिस तत्परता से ज़मींदोज़ कर दिया वो देखने लायक है. 1941 में तत्कालीन सोवियत संघ के ख़िलाफ़ नात्सी जर्मनी के ऑप्रेशन बारबरोस में रेडियो कूट शब्द था डोर्टमुंड. सोचिए ऐसी भयानक पहचान से पीछा छुड़ाना और ख़ुद को नया कर देना कितना मुश्किल और कितना जोखिम भरा है. डोर्टमुंड इस लिहाज़ से एक शहर का नहीं एक हौसले का भी नाम है.

नए कलेवर की तलाश में शहर

Fußball-WM 2006 Deutschland: Nordrhein-Westfalen - Dortmund Berswordthalle
स्टील की अद्भुत इमारतेंतस्वीर: dpa

डोर्टमुंड के प्रमुख रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद आप जब बाहर निकलते हैं तो आपके सामने एक विशाल चौक में फैला हुआ शहर का अतीत और वर्तमान दिख जाता हैं. बायीं तरफ़ यूनियन का एक विशाल साइन आकाश चूमता नज़र आता है. जो बीयर बनाने वाले प्रमुख जर्मन शहरों में डोर्टमुंड की प्रतिष्ठा का प्रमाण है. लेकिन बीयर ब्रिउरी बेच दी गई है और इमारत खाली है. इसकी बगल में एक विशाल इमारत है जहां हारेनबर्ग प्रकाशन का दफ़्तर और कई नए सेवा उद्यमों के दफ़्तर हैं. ठीक सामने 1950 की व्यापारिक इमारतों की कतार है. दायीं तरफ़ कांच और इस्पात से बनी विशाल अर्द्धगोलाकार इमारत हैं: नया शहर और स्टेट लाइब्रेरी. एक झलक में आप समझ सकते हैं: तूफ़ानी बदलावों से गुज़र रहा शहर है डोर्टमुंड.

दूसरे विश्व युद्ध के बमों ने अस्सी फ़ीसद शहर को तबाह कर दिया था. 1950 में उसे दोबारा बनाया गया. 1980 में कोयला खनन और इस्पात उद्योग में आयी गिरावट ने शहर से उसकी आर्थिक समृद्धि छीन ली. साल 2000 आते आते इस्पात की भट्टियों में आख़िरी आग भी बुझ गई. दो शताब्दियों तक कोयला और इस्पात का शहर रहे डोर्टमुंड में जब उद्योग के पुनर्निर्माण का दौर शुरू हुआ तो ये शहर की पहचान की पुनर्खोज की विहंगम शुरूआत भी थी.

कोयले की चट्टानों से कंप्यूटर चिप्स तक
कोयला खनन और इस्पात उद्योग के पतन के बाद, शहर में संरचनात्मक बदलावों की सख़्त ज़रूरत थी. और 1968 में स्थापित डोर्टमुंड यूनिवर्सिटी ने इस काम में बड़ा योगदान दिया. इलेक्ट्रिकल और प्रोसेस इंजीनियरिंग के अलावा, औद्योगिक रसायनशास्त्र और पर्यावरण नियोजन जैसे दूसरे नये इंजीनियरिंग विज्ञानों को बढ़ावा दिया गया. उस दौर का नवजात कंप्यूटर विज्ञान, यूनिवर्सिटी की प्रमुख फैकल्टियों में से एक बन गया. अपनी तबाही को भूलकर तरक्की को अग्रसर शहर की ये दूरदर्शिता नहीं तो और क्या था. आज शहर, ई-कॉमर्स और ई-बिजनेस जैसी नई सूचना प्रौद्योगिकियों पर निर्भर है. पुराने उद्योग से अतीत अनुराग की भावना से डोर्टमुंड के लोगों ने पीछा छुड़ाना ही बेहतर समझा. शहर के 16 हज़ार लोग आज नए लगाए गए उद्योगों में काम कर रहे हैं और ये संख्या बढ़ती जा रही है.

H-Bahn in Dortmund
स्काई ट्रेन का जालतस्वीर: TU Dortmund / Jürgen Huhn

नगर निगम के अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को गति देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम चलाया है. थायज़ेन क्रुप्प लिमिटेड और मेककिन्से एंड कंपनी के प्रंबधकीय सलाहकारों के साथ मिलकर शहर ने डोर्टमुंड प्रोजेक्ट नाम से एक अभियान शुरु किया है. इसका मक़सद है शहर को आईटी उद्योगों के लिए एक आकर्षक लोकेशन के तौर पर पेश करना. शहर के प्रौद्योगिकी पार्क में कई नई कंपनियों ने अपने मुख्यालय स्थापित कर दिए हैं. ये पार्क उस यूनिवर्सिटी के ठीक बगल में है जहां आईटी और सॉफ्टवेयर विकास के क्षेत्र में काम कर रहे 25 विभिन्न वैज्ञानिक संस्थान भविष्य की परियोजनाएं बना रहे हैं, नियोजकों और दक्ष कामगारों की फौज तैयार कर रहे हैं.

डोर्टमुंड के लोग और उनकी परंपराएं

आज डोर्टमुंड भले ही हाई टेक उद्योग का केंद्र है लेकिन वेस्टफालिया क्षेत्र के सबसे ज़्यादा हरे भरे शहरों में भी इसका नाम है. विनाश के निशानों को उखाड़कर सुंदर मखमली घास और सुंदर कोमल फ़ूल पेड़ों के बीज रोपे गए और इन सबसे देखते ही देखते डोर्टमुंड का नया संसार प्रकट हो उठा. सुंदर, मनमोहक, रंग बिरंगा, रोशन. दूसरे विश्व युद्ध के बाद शुरू हुए पुनर्निर्माण के दौर में बड़े पैमाने पर जगह जगह पार्क और बागीचे तैयार किए गए.

BdT Motocross in Dortmund
खेलों का दीवाना डोर्टमुंडतस्वीर: AP

डोर्टमुंड आज अपने औद्योगिक और सौंदर्यपरक विस्तार के लिए ही नहीं जाना जाता है, वो खेल का भी एक बड़ा ठिकाना है. ख़ासकर फुटबॉल और शतरंज. हर साल होने वाला डोर्टमुंड शतरंज मुक़ाबला विश्वविख्यात है. एक ज़माने में खदानकर्मी और इस्पात कामगार रहे डोर्टमंड के लोगों के लिए सूचना युग के नागरिकों के रूप में दुनिया के सामने आना कम मुश्किल नहीं था. उन्होंने धीरे धीरे ख़ुद को बदला और बदलते ज़माने के साथ क़दम बढ़ाया. लेकिन अपनी परंपरा को उन्होंने हमेशा जिंदा रखा. जिसके सबूत हैं, वेस्टफालिया पार्क, वेस्टफालिया हाल्ले और फुटबॉल की राष्ट्रीय लीग की टीम बुरूज़िया डोर्टमुंड का घर, वेस्टफालिया स्टेडियम.

Mathe-Tower der Technischen Universität Dortmund
डोर्टमुंड की टेक्निकल यूनिवर्सिटीतस्वीर: TU Dortmund / Jürgen Huhn

सांस्कृतिक विशिष्टता की और मिसालें भी हैं. डोर्टमुंड में इसकी अगुवाई करती हैं ऐतिहासिक चर्च इमारतें. मध्ययुगीन वास्तुशिल्प की नायाब मिसालें हैं राइनोल्डिकिर्शे, पेट्रीकिर्शे और मरीनकिर्शे. सन 800 के आसपास बनी राइनोल्डिकिर्शे की इमारत को दूसरे विश्व युद्ध के बाद फिर से संवारा गया. इसकी 112 मीटर ऊंची गोथिक शैली में बनी मीनार को कभी वेस्टफालिया का आश्चर्य कहा जाता था.

और अब लौटते हैं रेलवे स्टेशन पर. स्टेशन के चौराहे को पार कर आप गुज़रते हैं रिंग वॉल के पास से जो सिटी सेंटर को घेरे हुए है. शहर का आंतरिक हिस्सा पैदल मार्गी ज़ोन में बंटा हुआ है जिससे शहर को क़रीब से देखने में सहूलियत होती है. मुख्य सड़कों पर बड़ी दुकानें और शो रूम और गलियों में छोटे छोटे बुटीक. आल्टर बाज़ार के पब, जो पीने की दावत देते रहते हैं. इन बाज़ारों में, गलियों में, सड़कों पर और सड़क किनारों पर जीवन धड़कता रहता है. मुस्तैदी से, बेफ़िक्री से. कैफे हों या पब या बार हों. लोग अक्सर एक ही चीज़ की चर्चा में मशगूल हैं. बताइये तो वो चीज़ भला क्या होगी. वो है, डोर्टमुंड का अपना ख़ास और प्यारा खेल, फुटबॉल.