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बच्चे पैदा करो, हार्ट अटैक से बचो

२८ सितम्बर २०११

एक शोध में कहा गया है कि जो पुरुष पिता होते हैं उनको हृदय संबंधी परेशानी होने का खतरा कम होता है. करीब डेढ़ लाख लोगों को इस शोध में शामिल किया गया है.

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तस्वीर: Fotolia/PinkShot

हाल ही में हुई यह रिसर्च सुझाती है कि संतानहीन पुरुषों के मुकाबले पिता बनने वालों को हार्ट अटैक से मरने का खतरा कम होता है.

यह रिसर्च एएआरपी और कई विश्वविद्यालयों की तरफ से किया गया है. पुरुष प्रजनन और मृत्यु दर पर किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा शोध है. इस शोध में करीब एक लाख 38 हजार पुरुषों को शामिल किया गया. हालांकि इससे यह साबित नहीं किया जा सकता कि पितृत्व और मृत्यु का कोई संबंध है. हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि इसे मानने के भी कई कारण हो सकते हैं.

पहले के कई शोधों में कहा गया है कि शादी, कई सारे दोस्त बनाने और घर में कुत्ता पालने से भी हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा कम होता है. उसी तरह से बच्चे आपको अपनी देखभाल में मदद कर सकते हैं या फिर उनकी वजह से आप अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं.

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तस्वीर: DW

होंगे बच्चे तो दिल रहेगा चंगा

शोध करने वाले डॉक्टर और स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के मूत्रविज्ञानी और प्रजनन विशेषज्ञ माइकल इसेनबर्ग कहते हैं, "उभरते हुए सबूत हैं कि बच्चे न पैदा कर पाने की समस्या पुरुषों के स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है. शायद यह हमें बता रही हो कि पुरुषों का बच्चे पैदा न कर पाने का कारण कुछ और हो." शोध मानव प्रजनन पत्रिका में छपा है.

फिलीपींस में पिछले हफ्ते आए एक शोध में पता चला था कि पिता बनने के साथ ही खासौतर पर पुरुषों में पाए जाने वाले हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिर जाता है. जिन पुरुषों में इसका स्तर ज्यादा होता है उनके पिता बनने का मौका ज्यादा होता है. जिन पुरुषों में स्तर कम होता है वह सुझाव देता है कि स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्या है. जो प्रजनन को रोकती है. सामान्य रूप से टेस्टोस्टेरोन का उच्च स्तर सही माना जाता है लेकिन बहुत ज्यादा या बहुत कम स्तर होने के कारण एचडीएल या अच्छे कॉलेस्ट्रॉल का स्तर गिरा देता. जिस कारण हृदय से जुड़ी समस्या हो सकती है. एचडीएल से दिल से जुड़ी समस्या नहीं हो होती.

दिल का रखें ख्याल

यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलराडो में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉक्टर रॉबर्ट इकल कहते हैं, "यह बड़ा अहम विषय है. कई कारण हृदय पर असर करते हैं. जैसे नौकरी से जुड़ा तनाव." इस शोध में उन पुरुषों को शामिल नहीं किया गया है जिन्होंने कभी शादी नहीं की. उन पुरुषों को भी इस शोध में शामिल नहीं किया गया जो कैंसर या फिर हृदय रोग के शिकार थे. एक लाख 37 हजार 903 में से 92 फीसदी पुरुष पिता हैं और उनमें से आधे लोग तीन या अधिक बच्चों के पिता हैं. शोध में शामिल लोगों पर औसतन 10 साल तक नजर रखी गई जिनमें 10 फीसदी लोगों की मृत्यु हो गई. शोधकर्ताओं ने मृत्यु दर को बच्चों की संख्या के अंतर को धूम्रपान, वजन, उम्र, घरेलू आय और अन्य कारकों से समायोजित किया.

उन लोगों ने सन्ताहीन पुरुषों और पिता के मृत्यु दर में कोई फर्क नहीं पाया. हालांकि सन्तानहीन पुरुषों के मुकाबले पिता बने पुरुषों में मृत्यु 17 फीसदी कम हुई. शोधकर्ताओं को यह नहीं पता कि कौन अपनी मर्जी से पिता नहीं बन पाया या फिर प्रजनन समस्या के कारण ऐसा हुआ है. उन्हें यह भी नहीं पता कि इन पुरुषों की पत्नियों को प्रजनन संबंधी क्या समस्याएं थीं. जिस कारण वे सन्तानहीन रह गए. शोध में शामिल होने वाले 5 फीसदी से कम लोग अश्वेत या फिर अन्य अल्पसंख्यक हैं.

इसका परिणाम इन लोगों पर लागू नहीं हो सकता है. हालांकि कुछ प्रमुख हृदय रोग विशेषज्ञ शोध में शामिल लोगों की संख्या और शोधकर्ताओं द्वारा उठाए कदम को लेकर आश्वस्त हैं. हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एरिक टोपोल कहते हैं, "मुझे ऐसा लगता है कि जरूर कुछ बात है. चाहे वह पालतू जानवर हो, पत्नी या फिर सामाजिक जुड़ाव. ये सभी चीजें बेहतर परिणाम दे रही हैं."

रिपोर्ट: एपी/आमिर अंसारी

संपादन: वी कुमार

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