बंगाल की मास्क संस्कृति
बंगाल में कोरोना महामारी का उतार चढ़ाव चल रहा है. कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाना जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. फुटपाथ की दुकानों से लेकर शॉपिंग मॉल तक हर कहीं दुकानदार और खरीदार मास्क लगाए दिखते हैं.
हाटे बाजारे
बंगाल के शहरों में सड़क के किनारे फुटपाथ पर दुकान लगाने का चलन है. इन दिनों कोई भी दुकानदार मास्क के बिना नहीं दिखता.
मछली बाजार
इन स्थानीय बाजारों में मीट मछली की दुकानें भी होती हैं. मछली तो बंगाल का प्रिय आहार है. मछुआरे से लेकर मछली बेचने वाले तक मास्क लगाए होते हैं.
मीट की दुकान
भले ही दुकान फुटपाथ पर हो, मीट बेचने वाले भी मास्क लगा रहे हैं. खासकर मीट की दुकानों वायरस की रोकथाम के लिए खास ध्यान देने की जरूरत है.
मास्क का चलन
मास्क की जरूरत इस तरह बढ़ गई है कि हर गली चौराहे मास्क बेचे जा रहे हैं. अब तो किराना और गुटकों की दुकान पर भी मास्क मिल जाता है.
मास्क और गहने
मास्क जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन गया है कि उसे दूसरे पहनावों के साथ ही जोड़ा जा रहा है. नकली गहनों की दुकानों पर भी मास्क दिखने लगा है.
फैन आर्टिकल
कभी संगठनों या क्लबों की अपनी जर्सी होती थी, अपना कोट होता था. अब ईस्ट बंगाल या मोहन बागान जैसे क्लबों का अपना मास्क है.
फैशन बना मास्क
मास्क पहनना यदि पहनावे का हिस्सा हो जाए तो उसका रंग और उसका डिजायन भी अहम हो जाता है. कपड़ों की दुकानों पर ये शोकेस का हिस्सा बन गया है.
हर कहीं सावधानी
सार्वजनिक जीवन में सुरक्षित दूरी और हमेशा मास्क लगाए रहना कोरोना वायरस से बचने का प्रमुख रास्ता बन गया है. रोकथाम के लिए सावधानी जरूरी है.
सुपर मार्केट
इन नियमों को सुपर मार्केट में भी लागू किया जा रहा है. यदि चेहरे पर मास्क और हाथों में दस्ताने न हों तो सुपर मार्केट के अंदर जाने की इजाजत नहीं है.
पुलिस ड्यूटी में सुरक्षा
ट्रैफिक पुलिस हो या सुरक्षा गार्ड, सड़कों पर ड्यूटी करने वाले कर्मचारी मास्क पहन कर अपनी सुरक्षा कर रहे हैं. साथ ही वे दूसरों के लिए मिसाल भी दे रहे हैं.
लापरवाही भी
ऐसा नहीं है कि सब लोग अपनी और दूसरों की सुरक्षा पर ध्यान दे रहे हैं. जैसे ये लोग जिन्होंने गपशप के चक्कर में मास्क को मुंह से हटा लिया है.