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साहित्य

फ्रांत्स काफ्काः मुकदमा

सबीने पेशेल
१४ दिसम्बर २०१८

योसेफ के. को उसके 30वें जन्मदिन पर हिरासत में ले लिया जाता है. पर उसका कसूर क्या है? रहस्यपूर्ण, अतियथार्थवादी, और भविष्यसूचकः काफ्का की मृत्यु के बाद प्रकाशित ये उपन्यास विश्व साहित्य की सबसे पेचीदा रचनाओं में एक है.

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Kafkas Manuskripte im Literaturachiv Marbach
तस्वीर: picture-alliance/dpa

"योसेफ के. पर किसी ने जरूर झूठा इल्जाम लगाया होगा, क्योंकि उसे एक सुबह हिरासत में लिया गया जबकि उसने कुछ भी गलत नहीं किया था." काफ्का के "द ट्रायल" का पहला वाक्य विश्व साहित्य के सबसे प्रसिद्ध शुरुआती वाक्यों में से एक है. अपने 30वें जन्मदिन पर योसेफ के. गिरफ्तार कर लिया जाता है लेकिन उसे लॉकअप में नहीं रखा जाता. रूखी शिष्टता के साथ योसेफ को हिरासत में लेने आए "गार्ड्स" उसे बैंक कैशियर की अपनी नौकरी करने देते हैं. लेकिन इस मोड़ के बाद, योसेफ एक सामान्य कर्मचारी नहीं रह पाता, वो अभियुक्त में तब्दील हो जाता है. लेकिन उसका दोष क्या है?

अदालत में पेशी

लेखक फ्रांत्स काफ्का बिखर चुके थे. लंबे समय से, वो इस बात का फैसला कर पाने में असमर्थ थे कि उन्हें अपनी प्रियतमा, फेलिस बावर से शादी करनी चाहिए या नहीं. शादी कर वे महज एक दफ्तरी बाबू बनकर रह जाते. परिवार के भरणपोषण का अर्थ होता, लेखन से छुट्टी और अपने दोस्तों के बीच कहानियों का जोर जोर से पाठ करने के अवसरों का भी अंत. 12 जुलाई 1914 को उन्हें प्राग से बर्लिन के अस्कानिशेर होफ होटल पहुंचने का आदेश हुआ जहां उन्हें स्टेनोग्राफर के रूप में काम करने वाली लड़की से अपनी सगाई की बात करनी थी. इस मुलाकात को उन्होंने बाद में "द ट्रायल" के रूप में पेश किया. अभियुक्त वो खुद थे. इसके बाद, काफ्का ने खुद को आजाद महसूस किया.

इस उपन्यास का एक ही पहलू जो रहस्य में लिपटा नहीं नजर आता, वो लगता है वही घटना है जिसने काफ्का जैसे आत्म-संदेही व्यक्ति को ये उपन्यास लिखने के लिए प्रेरित किया. 1914 की गर्मियों में, विश्व युद्ध के शुरुआती दिनों के दौरान, काफ्का "द ट्रायल" का पहला अध्याय लिख चुके थे, और इसके बाद उसका अंत भी लिख डाला था. उसके बाद एक के बाद एक वे बहुत सारे अध्यायों पर काम करने लगे. नवंबर में लेखकीय गतिरोध (राइटर्स ब्लॉक) के शिकार हो गए और जनवरी 1915 में उन्होंने अपने काम को पूरी तरह से किनारे कर दिया. अंतिम पांडुलिपि 171 पेज की थी, जो क्वार्टो (आठ छोटे पन्नों की नोटबुक) नोटबुकों से पेज फाड़कर बनी थी. समूचे आधुनिक साहित्य में ये शायद सबसे महंगा पृष्ठ-संग्रह है.  

ये भी एक तथ्य है कि काफ्का के मित्र मैक्स ब्रॉड की बदौलत विश्व साहित्य के एक हिस्से के रूप में एक अपरिहार्य निर्णय की ये दास्तान बची रह पाई. ब्रॉड ने काफ्का की वो आखिरी गुजारिश पूरी नहीं की जो उन्होंने एक नोट में उनसे की थी: "डायरियां, पांडुलिपियां, चिट्ठियां...हर चीज जो मैंने लिखी है..बगैर अपवाद, जला दी जानी चाहिए, हो सके तो बिना पढ़े."

1924 में टीबी से काफ्का की मौत हो गई. रचना को प्रकाशित कराने के लिए काफ्का से ब्रॉड की "भीषण लड़ाइयां" हो चुकी थीं. काफ्का के निधन के आठ महीने बाद ब्रॉड ने अधूरा नॉवल जारी कर दिया जिसमें उनके अपने परामर्श से अध्यायों के क्रम रखे गए थे.

Schriftsteller Franz Kafka
काफ्का 20वीं सदी के सबसे प्रभावी लेखकों में एक हैंतस्वीर: picture alliance/CPA Media

आत्मकथात्मक समानताएं

लेखक और उसके मुख्य किरदार की जीवनियों में कई समानताएं हैं. काफ्का छह साल तक "प्राग में बोहेमिया राज्य के कर्मचारी-दुर्घटना बीमा संस्थान" में कार्यरत थे. उसी दौरान उन्होंने उन अंशों की पहली लाइनें लिखना शुरू कर दिया था जिसे बाद में उनका उपन्यास होना था. युद्ध में उन्हें जाने से रोक दिया गया था क्योंकि उनके वरिष्ठ मानते थे कि उनके बिना काम नहीं चलेगा.

1922 तक वो कर्मचारी के रूप में काम करते रहे, इससे उन्हें भौतिक सुविधाएं ही नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक सुरक्षा भी हासिल हुई, लेकिन जैसे ही बात लेखन की आई, काफ्का ने खुद को विफल मान लिया. इसके उलट, महिलाओं के साथ उनके संबंध हमेशा सफल रहे. अपने मित्र मैक्स ब्रॉड को काफ्का ने लिखा कि महिलाएं अक्सर उनसे इश्क का इजहार करती रहती थीं. दोनों दोस्त साथ साथ वेश्याघरों को जाते और वहां जवान औरतों से उनकी मुलाकात होती, "स्टोर गर्ल्स," काफ्का उन्हें यही कहते थे.

बैंक कर्मचारी योसेफ भी एक व्यवस्थित जिंदगी जीता है. श्रीमती ग्रुबाख के बोर्डिंग हाउस में रहता है और पूरी तरह अपने काम पर ध्यान लगाता है. सप्ताह में एक बार वो एल्जे से मिलता है जो एक कॉर्नर बार में वेट्रेस का काम करती है. दिन भर का काम निपटाकर वो योसेफ से मिलती है और उस दिन वो घर देर से आता है. अपना खाली समय वो टहलते हुए बिताता है और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के एक ग्रुप से नियमित तौर पर मिलता है.

सामर्थ्यहीनता की भावना

अपनी रहस्यमय हिरासत के बाद, योसेफ के. अपने व्यवस्थित व्यस्त जीवन पर ध्यान केंद्रित करने में बहुत कठिनाई महसूस करने लगता है. उसे अदालत में हाजिर होना होता है, लेकिन वो नहीं जान पाता कि कोर्ट परिसर कहां स्थित है, और उसे वहां कब पेश होना है. कभी कभी वो पूछना भूल जाता है, तो कभी उसे सूचना देने से इंकार कर दिया जाता है. अदालत का रुख करने का सामर्थ्य वो नहीं जुटा पाता. गुप्त, अज्ञात, नौकरशाही शक्तियां सक्रिय हैं. योसेफ के. अपनी बेगुनाही पर यकीन खो बैठता है और बार बार ये सोचते हुए कि आखिर उसके साथ क्या घटित हुआ है, वो लगातार सामर्थ्यहीन होता जाता है.

"वो जज कहां है जिसे उसने कभी देखा ही नहीं? वो हाईकोर्ट कहां है जहां वो कभी पहुंचा ही नहीं?" आखिरकार, एक साल बाद, अपने 31वें जन्मदिन के मौके पर, योसेफ के. अपनी किस्मत मानते हुए दो पीले, मोटे आदमियों के हाथों एक पत्थर-खदान में फांसी मंजूर कर लेता है. "अपने चेहरे के ठीक सामने कमजोर नजर से के. उन महाशयों को अब भी देख सकता था. निर्णायक पल का निरीक्षण करते हुए उनके गाल से गाल सटे हुए थे. ‘कुत्ते की तरह!' उसने कहा. ऐसा लगता था कि शर्म ही उसे जिलाए रखेगी."

Franz Kafka Prag
फ्रांत्स काफ्का का प्रागतस्वीर: picture-alliance/akg-images/Archiv K. Wagenbach

शताब्दी की स्वप्नदर्शी रचना

क्या चीज है जो काफ्का के विश्व प्रसिद्ध उपन्यास "द ट्रायल" को आधुनिकता की इतनी बुनियादी रचना बनाती है? करीब सौ साल से, बहुत सारे अलग अलग तरीकों से इस रचना की विवेचना और पुनर्विवेचना की गई है: धर्मशास्त्रीय, अस्तित्वपरक, मनोविश्लेष्णात्मक. क्या कोई उच्चतर कानून है? क्या बुराई का अस्तित्व है, या अंतस्थ मानवीय अपराध बोध का? क्या आप गलत ढंग से जीवन बिताते हुए अपनी ही जिंदगी से नाइंसाफी कर सकते हैं? या काफ्का का ये काम दरअसल सबसे पहले और सबसे ऊपर, नौकरशाही की शक्तियों, उसकी प्रवृत्तियों और शासकीय ढांचों की एक अतिसूक्ष्म प्रत्यालोचना है.  

अमेरिकी लेखक फिलिप रॉथ ने काफ्का की "भविष्यसूचक विडंबना" के बारे में बताया है. आज की 21वीं सदी में निरंतर निगरानी के साए में रहना एक वास्तविक खतरा है, कुछ लोगों के लिए तो ये अस्तित्व के संकट की तरह है. काफ्का की अविश्वसनीय रूप से सटीक भाषा, पाठकों को भय और शक्तिहीनता में और अनजानी अचिंहित शक्तियों के खिलाफ नाउम्मीदी की भावना में उद्वेलित करती है. फ्रांत्स काफ्का का "द ट्रायल" पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पठित और सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है. और ये भी कम नहीं कि ऑरसन वेल्स ने 1962 में इस पर एक अद्भुत फिल्म बनाई थी. किसी भी विवेचना पद्धति से "द ट्रायल" का पाठ किया जाए, ये शताब्दी की एक उत्कृष्ट कृति बनी रहेगी.

फ्रांत्स काफ्का: द ट्रायल, पेंग्विन मॉडर्न क्लासिक्स (जर्मन शीर्षकः डेअ प्रोसेस), 1925

फ्रांत्स काफ्का का जन्म प्राग में 1833 में हुआ था. 20 साल की उम्र में वो मैक्स ब्रॉड से मिले, जो उनके जीवनपर्यंत दोस्त और बाद में उनके प्रकाशक बने. 1906 में कानून विषय से डॉक्टरी करने के बाद उन्होंने पहले एक इतालवी और बाद में एक सरकारी बीमा कंपनी में काम किया. 1912 में उनकी मुलाकात फेलिस बावर से हुई. 1917 में काफ्का को फेफड़ों की बीमारी ने जकड़ लिया. उससे पहले तक काफ्का और फेलिस से बीच भरपूर पत्र व्यवहार हुआ. 1920-23 तक वियना की शादीशुदा पत्रकार और अनुवादक मिलेना येजेन्स्का से उनके संबंध रहे. गरीबी के बीच उन्होंने जीवन के आखिरी वर्ष बर्लिन में अशकेनासिक किंडरगार्टन की अध्यापिका डोरा डियामाट के साथ बिताए. 1924 में वियना के बाहरी इलाके में स्थित क्लोस्टरनॉयबुर्ग के पास एक सैनिटोरियम में काफ्का ने अंतिम सांस ली.