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फुकुशिमा के रिएक्टर में घुसे कर्मचारी

५ मई २०११

फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रिएक्टर में कर्मचारी दाखिल हुए. 11 मार्च को आए भूकंप और सूनामी के बाद यह पहला मौका है जब विशेष कर्मचारी दुर्घटनाग्रस्त परमाणु संयंत्र के भीतर गए हैं. टेप्को का कहना है कि साल भर का समय लगेगा.

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Chief Cabinet Secretary Yukio Edano, second right, gets briefed during his inspection in Minamisoma, Fukushima Prefecture, Japan, Sunday, April 17, 2011. It was his first visit to the area hit by the March 11 earthquake and tsunami. (AP Photo/Kyodo News) JAPAN OUT, MANDATORY CREDIT, NO LICENSING IN CHINA, HONG KONG, JAPAN, SOUTH KOREA AND FRANCE
तस्वीर: AP/Kyodo News

गुरुवार को विशेष कर्मचारियों का एक दल फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रिएक्टर नंबर एक में दाखिल हुआ. दल में 12 लोग शामिल हैं. इनमें दो संयंत्र चलाने वाली कंपनी टेप्को के मैनेजर हैं. 10 दूसरी कंपनियों के विशेषज्ञ हैं. संयंत्र के भीतर रेडियोधर्मी विकिरण अब कुछ कम हुआ है. इसी वजह से यह दल अंदर जा सका.

टेप्को का कहना है कि रिएक्टर के हर कोने की 10 मिनट तक जांच की जाएगी. जांच के बाद वहां एक दूसरे से जुड़ने वाले आठ पाइप फिट किए जाएंगे. पाइपों पर एक फिल्टर लगाया जाएगा ताकि रेडियोएक्टिव तत्वों को बाहर आने से रोका जा सके. फिल्टर रिएक्टर में बाहरी हवा को खींचेगा. ऐसा होने के बाद बाकी कर्मचारियों के लिए रिएक्टरों की मरम्मत करना आसान होने की संभावना बनेगी.

टेप्को के प्रवक्ता जूनची मात्सुतो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''चार लोगों का समूह बारी बारी से जाकर डक्ट्स को जोड़ेगा. काम करने वाली जगह बेहद संकरी है.'' अंदर जाने वाले कर्मचारियों को विशेष सुरक्षा सूट, मास्क और एयर टैंक मुहैया कराए गए हैं. रिएक्टर के गेट पर कर्मचारियों को विकिरण से बचाने के लिए एक विशेष टैंट भी लगाया गया है.

जापान के कानून के मुताबिक परमाणु संयंत्र में काम करने वाले कर्मचारी को पांच साल में 100 मिलीसिवेर्ट्स से ज्यादा विकिरण का सामना नहीं करना चाहिए. लेकिन फुकुशिमा हादसे के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने आपातकालीन स्थिति का हवाला देते हुए कानून में बदलाव किया है. संयंत्र के दुर्घटनाग्रस्त होने के चार दिन बाद ही इमरजेंसी में विकिरण के स्तर का सामना करने की सीमा को 250 मिलीसिविएर्ट कर दिया गया.

इस बीच टेप्को ने फिर कहा है कि संयंत्र की दुर्घटना को पूरी तरह नियंत्रित करने में साल भर का वक्त लग जाएगा. कंपनी के मुताबिक अब रिएक्टरों में हाइड्रोजन विस्फोट होने की आशंका नहीं है. लेकिन रिएक्टरों से परमाणु विकिरण अब भी फैल रहा है. जापान सरकार संयंत्र के 20 किलोमीटर के दायरे को पहले ही प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर चुकी है. वहां रहने वाले लोगों को दूसरी जगहों पर भेज दिया गया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार