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प्रवासी मजदूरों की वजह से बढ़ रही है संक्रमण की रफ्तार

समीरात्मज मिश्र
२२ मई २०२०

प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर एक ओर राजनीतिक दलों में रार चल रही है तो दूसरी ओर इनके पहुंचने की बढ़ती दर के साथ अब शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी कोविड संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ने लगी है.

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Wanderarbeiter in Quarantäne in Uttar Pradesh un Bihar in Indien
तस्वीर: DW/S. Mishra

उत्तर प्रदेश के कई जिले जहां अब तक कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या इकाई में थी, वहां अब एक दिन में ही दर्जनों लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं. वहीं बिहार में संक्रमित लोगों में करीब 46 फीसद लोग प्रवासी बताए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या पांच हजार को पार कर गई है. राज्य सरकार के मुताबिक, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों से अब तक बीस लाख लोग अपने घरों को वापस लाए जा चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दूसरे राज्यों से आए अब तक 1041 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं जो कि राज्य में कुल कोरोना संक्रमित मरीजों का करीब एक चौथाई है. यह स्थिति तब है जबकि बड़ी संख्या में अभी लोग लौट रहे हैं और जो लौटे भी हैं उनमें से ज्यादातर अभी क्वारंटीन में हैं और कोविड टेस्ट बहुत कम संख्या में हुए हैं.

यहां सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि तमाम छोटे शहरों में जहां अब तक संक्रमण की रफ्तार बेहद कम थी, वहां हर दिन ज्यादा संख्या में लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं. मसलन, बस्ती में पिछले दिनों एक ही दिन में पचास लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके अलावा आजमगढ़, जौनपुर, संभल, बहराइच, बाराबंकी जैसे जिलों में भी संक्रमित लोगों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हुई है. राजधानी लखनऊ से लगे बाराबंकी जिले में संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह के मुताबिक, "15 और 16 मई को 245 लोगों के नमूने लिए गए थे जिनमें 95 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इनमें करीब पचास लोग दूसरे राज्यों से आए हैं.”

खुद पहुंचे अपने गांवों में

बताया जा रहा है कि श्रमिक ट्रेनों, सरकारी बसों और अन्य वैध साधनों से आने वालों की संख्या से कहीं ज्यादा ऐसे लोग हैं जो विभिन्न तरीकों से अपने आप ही अन्य राज्यों से चले आए. इनमें से कुछ तो क्वारंटीन सेंटरों में गए लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जो सीधे तौर पर अपने घरों और गांवों में पहुंच गए. जाहिर है, इनका न तो कहीं परीक्षण हुआ और न ही कहीं इन्हें अलग रखा गया. यदि ऐसे लोगों में संक्रमण हुआ तो निश्चित तौर पर यह संक्रमण अन्य लोगों तक भी आसानी से पहुंच जाएगा. आने वाले ज्यादातर प्रवासी मुंबई, दिल्ली और गुजरात से हैं जहां संक्रमण की स्थिति देश में सबसे खराब है.

Indien | Coronavirus | Wanderarbeiter verlassen Neu-Delhi
लगातार पैदल आ रहे हैं प्रवासी मजदूरतस्वीर: Surender Kumar

यूपी और बिहार दोनों ही जगहों पर अभी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है. बिहार में 8 राज्यों से अगले एक हफ्ते के दौरान करीब पांच सौ ट्रेनों के कार्यक्रम बनाए गए हैं जिनसे 8 लाख लोगों के आने की संभावना है. राज्य सरकार के नोडल अधिकारी के मुताबिक रेलवे स्टेशनों से ही बसों के माध्यम से विभिन्न जिलों के मुख्यालयों तक लोगों को भेजा जा रहा है, जहां से उन्हें प्रखंड स्तर पर बने क्वारंटीन सेंटरों पर भेजा जाएगा. बिहार में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 1600 को पार कर गई है. पिछले चार दिनों में बिहार में 400 से ज्यादा पॉजिटिव मामले सामने आए. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के मुताबिक, अन्य राज्यों से विशेष ट्रेनों से आए प्रवासी मजदूरों में से 8337 नमूनों की जांच की गई है, जिसमें 651 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं.

क्वारंटीन सेंटरों की हालत खराब

प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन करने में न सिर्फ शासन-प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है बल्कि क्वारंटीन सेंटरों की स्थिति भी इस तरह की है कि वहां से लोग भाग रहे हैं. यूपी और बिहार के तमाम जगहों से आए दिन क्वारंटीन सेंटरों से लोगों के भागने या फिर अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायतें करने की खबरें आती रहती हैं. लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं, "इस पूरे मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की विफलता दिखती है. बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन शुरू किया, फिर लोगों को अपने घरों को जाने की छूट दी गई, फिर सड़कों पर उमड़ी भीड़ देखकर और राजनीति बढ़ती देखकर ट्रेनों की व्यवस्था की गई लेकिन किसी भी स्तर पर यह ध्यान नहीं रखा गया कि जिस मकसद से लॉकडाउन लागू किया गया है और सोशल डिस्टैंसिंग को प्रचारित किया जा रहा है, ऐसे कदमों से वह कैसे लागू किया जा सकता है.”

योगेश मिश्र कहते हैं कि ग्रामीण स्तर पर लोग सरकारी स्कूलों में बने क्वारंटीन सेंटरों में रह जरूर रहे हैं लेकिन किसी तरह का नियमों का पालन नहीं हो रहा है. वहीं कई जगहों पर, खासकर गांवों में यह भी देखने को मिला है कि लोगों ने बागों में ही खुद को अलग थलग कर रखा है लेकिन दिन भर वहां मजमा लगा रहता है और बड़ी संख्या में लोग वहां इकट्ठा होकर मनोरंजन करते हैं. यही नहीं, ब्लॉक स्तर पर या फिर जिला स्तर पर बने क्वारंटीन सेंटरों की खराब व्यवस्था भी तमाम लोगों को वहां से भागने पर मजबूर कर रही है. इसके अलावा कई बार लोग क्वारंटीन सेंटरों को मनोरंजन की जगह भी बना रहे हैं. कहीं नाच-गाना हो रहा है तो कहीं पार्टियां चल रही हैं. हालांकि क्वारंटीन सेंटरों में किसी तरह के खाने-पीने पर कोई मनाही तो नहीं है लेकिन इन सब वजहों से सोशल डिस्टैंसिंग तो बाधित होती ही है, संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है.

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