प्रलय से पहले पर्यटन
खत्म होती सबसे बड़ी मूंगा चट्टान से लेकर पिघलते ग्लेशियरों तक, पर्यटक ऐसी जगहों को देखने भारी तादाद में पहुंच रहे हैं, जिन पर अस्तित्व खोने और गायब होने का खतरा मंडरा रहा है.
ग्रेट बैरियर रीफ - ऑस्ट्रेलिया
हर साल करीब 20 लाख लोग इसे देखने पहुंचते हैं. संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर काम करने वाली एजेंसी का कहना है कि अगर हम वैश्विक तापमान को दो डिग्री बढ़ने तक सीमित भी कर लें, तब भी इस कोरल रीफ का 99 फीसदी खो देंगे. इतनी बड़ी संख्या में पर्यटकों के छूने से यह और जल्दी खत्म हो सकती है.
ध्रुवीय भालू - कनाडा
कनाडा के चर्चिल इलाके में ध्रुवीय भालू दिखाने के लिए सफारी का आयोजन होता है. 2010 में हुई एक स्टडी से पता चला कि सफारी के कारण यहां का कार्बन फुटप्रिंट कई गुना बढ़ जाता है. पर्यटक हवाई यात्रा कर वहां पहुंचते हैं, जो कि कार्बन डाय ऑक्साइड के उत्सर्जन के बोझ को और बढ़ाता है.
अंटार्कटिक की यात्रा
ध्रुवीय भालू की ही तरह जलवायु परिवर्तन का नाम लेते ही पिघलते ग्लेशियरों की तस्वीर जेहन में आती है. इनको पास से देखने जाने वाले पर्यटक न केवल क्रूज जहाजों को भारी कीमत चुकाते हैं बल्कि ग्लेशियर को भी नुकसान पहुंचाते हैं. 1990 के दशक में सालाना केवल 5,000 लोग पहुंचे थे वहीं 2018 में करीब 46,000 लोग.
अफ्रीकी नेशनल पार्क
यहां के नेशनल पार्कों में सवाना मैदानों के पीछे किलिमंजारो पर्वत की बर्फीली चोटियां देखी जा सकती हैं. हर साल यहां केवल पर्यटन से 5 करोड़ डॉलर की कमाई होती है. कई पर्यटक फर्टवेंगलर ग्लेशियर पर भी चढ़ते हैं. पिछले 100 सालों में इसकी करीब 85 फीसदी बर्फ पिघल चुकी है. बाकी बची बर्फ भी इसी सदी के मध्य तक गल जाएगी.
मोंटाना ग्लेशियर नेशनल पार्क
सन 1920 में खुले मोंटाना पार्क में तब 100 से भी ज्यादा बर्फीली संरचनाएं थीं. आज दो दर्जन से भी कम बची हैं. इतनी तेजी से बर्फ खोने के कारण यह पार्क जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों का केंद्र बन गया है. हर साल इसे देखने करीब 30 लाख पर्यटक पहुंचते हैं.
मालदीव के डूबते द्वीप
मालदीव में सफेद रेतीले तटों वाले करीब 1,200 कोरल द्वीप हैं. नीले समुद्री पानी से ये द्वीप करीब 2.5 मीटर की ही ऊंचाई पर हैं. 2017 में नए हवाई अड्डे और कई मेगा-रिजॉर्ट बना कर यहां पर्यटकों की तादाद सात गुना बढ़ाने की योजना बनी. राष्ट्रपति इसकी कमाई से नए द्वीप बसा कर डूब रहे द्वीपों के लोगों को वहां बसाना चाहते थे. लेकिन सत्ता से बाहर हो चुके पूर्व राष्ट्रपति अब भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे हैं.
खारे पानी के दलदल
केवल द्वीप ही नहीं बल्कि दलदल वाले इलाकों पर भी खतरा है. फ्लोरिडा के एवरग्लेड वेटलैंड तेजी से गायब हुए हैं. पिछली सदी में इसके आधे हिस्से को सुखा कर वहां खेती की जाने लगी है. बाकी बचे प्राकृतिक दलदल में नमकीन पानी घुस रहा है. विश्व धरोहरों में शामिल एवरग्लेड दलदल गंभीर खतरे में है.
गालापागोस की भंग होती शांति
डार्विन के नाम से जुड़े गालापागोस के द्वीप भी भारी बदलाव से गुजर रहे हैं. इसके उलट डार्विन के समय उनकी खासियत ही यही थी कि वे बाकी दुनिया से कटा होने के कारण काफी जैवविविधता संरक्षित किए हुए थे. वहां इतने पर्यटक पहुंचते हैं कि वातावरण में तेज बदलाव हो रहे हैं. समुद्र का तापमान बढ़ने से यहां के खास समुद्री इगुआना जीव भूखे मरने लगे हैं. (रुबी रसेल/आरपी)