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पौधे की तकनीक से जहाज

२ अप्रैल २०१४

खुद पर एक बूंद भी पानी न टिकने देने वाली पत्तियां. इनसे सीख लेते हुए जहाज का निचला हिस्सा बनाया जा सकता है. इससे न केवल समुद्री यात्रा तेज होगी बल्कि ईंधन भी कम खर्च होगा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

बॉन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर हवा की परत वाली एक कृत्रिम सतह बनाने में सफल हुए हैं. इसकी प्रेरणा उन्हें जलकुंभी जैसे एक दक्षिण अमेरिकी पौधे से मिली है. वैज्ञानिक चाहते हैं कि इसकी मदद से वो जहाजों को तेज और किफायती बनाएं.

पानी पर तैरते साविनिया का पौधा जहाजों के तल की तकनीक बदल सकता है. लाखों टन माल ढोने वाले जहाज अगर पानी पर बहुत ही कम घर्षण के साथ चलें तो इससे अथाह तेल बचेगा. सल्फर और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम होगा.

पानी में डूबने या भीगने के बावजूद यह पौधा खुद पर पानी बिल्कुल नहीं टिकने देता. लोटस इफेक्ट की खोज करने वाले विलहेल्म बार्थलोट कुदरत के इन नायाब खेलों की ओर हमेशा आकर्षित रहते हैं. बार्टलोट के मुताबिक, "हमें ऐसा आइडिया सूझा जो भले ही खुद की सफाई करने वाले कमल जैसा न हो लेकिन हवा की परत जिसे हम अब तक कचरा समझते रहे, दिलचस्प हो सकता है. और तब हमें साफ हो गया जो जहाजों के कंस्ट्रक्टर कह रहे थे कि यदि जहाजों पर हवा की परत बनाई जा सके तो वह बहुत दिलचस्प होगा. तो जहाज पानी में तैरने के बदले हवा में ग्लाइडर की तरह चलेगा."

प्रोफेसर और उनकी टीम ये जानने में जुट गए हैं कि आखिर पौधा कैसे हवा को अपनी गिरफ्त में लेता है. पत्ते के रोमों की जटिल रचना ऐसा करती है, इसे समझने के लिए थ्रीडी माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ेगी. बॉन में नेस बायोडाइवर्सिटी इंस्टीट्यूट में भौतिकविद माथियास माइल बताते हैं, "उसके ऊपर व्हिप जैसे बाल हैं. पत्ते के ऊपरी सतह की तरह उनका ऊपरी सतह भी मोम जैसा होता है, जिस पर पानी नहीं टिकता. यहां उनके ऊपरी हिस्से पर हम चार स्याह सेल देख रहे हैं. यहां मोम के टुकड़े नहीं हैं. इसलिए यह पानी को क़रीब आने देते हैं. हम यहां देख रहे हैं कि इस जगह पर पानी की बूंद बनती है, जो मिल कर हवा की परत को स्थिर बनाने का काम करती है."

अंडा फेंटने वाले व्हिप जैसे तरलरोधी बाल पानी को दूर रखते हैं. उनके बीच हवा की एक परत बन जाती है. व्हिप का पानी को आकर्षित करने वाला उपरी हिस्सा इस सिस्टम को स्थिर रखता है और पानी को बांधकर रखता है. उसके नीचे की हवा की परत तूफान आने पर भी महीनों तक बनी रहती है. बॉन के रिसर्चर जानना चाहते हैं कि पानी पर तैरने वाले पौधों के पत्तों पर बाल की प्राकृतिक संरचना को तकनीकी सतह पर कैसे बनाया जा सकता है. इसके लिए उनके असली पत्तों को समझना होगा.

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नई सतह से घर्षण कम होगातस्वीर: picture-alliance/dpa

इस बीच हाइड्रोफोबिक उपरी सतह को प्रकृति की तर्ज पर बनाने में कामयाबी मिली है. कुछ जहाजों के मॉडेल पर ऐसी कृत्रिम दीवारें बनाई गई हैं जिसपर हवा की परत बन सकती हैं. यह जहाज छोटी दूरी हवा की परत को नुकसान पहुंचाए बिना पूरी कर सकता है. जहाज का तल भीगता नहीं. पानी हवा की परत पर रुक जाता है. विलहेल्म बार्टलॉट बताते हैं, "इरादा ये है कि बड़े कंटेनर ढुलाई करने वाले जहाज के तल पर ऐसी बायोमैट्रिक या कहें सल्वीनिया प्रभाव वाली परत डाली जाए. इसका मतलब होगा कि कंटेनर जहाजों की यात्रा के दौरान भी हवा की परतें स्थिर रहेंगी."

कृत्रिम बाल ठीक असली बालों जैसे नहीं दिखते, लेकिन वे भी हवा को रोक सकते हैं. भले ही फिलहाल उतनी देर नहीं. माइल समझाते हैं, "यहां कपड़े की एक सतह है जिसे हमने पानी को दूर भगाने वाला बनाया है. यहां फिलहाल इन संरचनाओं की चोटी पर हाइड्रोफोबिक बनाए गए सतह की कमी है, जो हवा की परत को स्थिर रखने के लिए जरूरी होता है."

एक कृत्रिम बाहरी सतह जो टैंकर या कंटेनर जहाजों को हवा के उपर फिसलने दे, इससे न केवल आर्थिक फायदा होगा बल्कि पर्यावरण को उससे लाभ पहुंचेगा. बार्टलॉट के मुताबिक, "यदि आप कंटेनर वाले जहाजों को इस तकनीक से लैस करते हैं तो घर्षण में कम से कम 10 फीसदी से 30 फीसदी तक कमी संभव है." दुनिया भर में इस तरह से नौवहन में सालाना 60 अरब लीटर भारी तेल की बचत हो सकती है, और उससे जुड़े जहरीले गैसों के निकास में भी.

रिपोर्टः महेश झा

संपादनः अनवर जमाल अशरफ