पोलियो को हराना इतना मुश्किल क्यों
आज तक पोलियो का कोई इलाज नहीं है. सिर्फ इससे बचने की कोशिश की जा सकती है. जिसके लिए भी बार बार ओरल ड्रॉप्स या इंजेक्शन लगाने पर ही बच्चों को जीवन भर इससे बचाया जा सकता है.
साफ पानी नहीं
पोलियो वायरस गंदगी के कारण फैलता है. इंसान के मल से संक्रमित खाने-पीने की चीजों को खाने से वायरस शरीर में पहुंच जाता है. चूंकि अब भी दुनिया भर में पीने का साफ पानी मिलना मुश्किल है, संक्रमण जारी है.
अब भी लाइलाज
पोलियोमाइलिटिस या पोलियो दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड की एक बीमारी है जो वायरस से होती है. इससे कुछ ही घंटों के अंदर शरीर में ऐसा लकवा मारता है, जिसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता.
छोटी उम्र, खतरा बड़ा
पोलियो सबसे ज्यादा पांच साल से कम उम्र के बच्चों को ही प्रभावित करता है. ऐसे हर 200 में से एक बच्चे के पैरों में जिंदगीभर के लिए लकवा मार जाता है. इनमें से 5 से 10 फीसदी बच्चों की सांस लेने में मुश्किल के कारण मौत हो जाती है.
कम हुए, खत्म नहीं
केवल पाकिस्तान में ही 2016 में पोलियो के 35 मामले दर्ज हुए जबकि 1988 में यह तादाद साढ़े तीन लाख थी. पोलियो के टीके लगाने के प्रयासों को भी पाकिस्तान में इस्लामी आतंकवादियों के कारण गहरा धक्का लगता रहा है.
जानलेवा किस्म
विश्व के तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया में पोलियो की एक विशेष इंडेमिक किस्म पाई जाती है, जिसमें लकवा और मौत तक हो सकती है.
एक ही काफी है
जब तक दुनिया में एक भी बच्चा पोलियो वायरस से संक्रमित रहता है, सभी बच्चों पर खतरा बना रहेगा. आज के एक संक्रमित बच्चे से अगले 10 सालों में विश्व भर में पोलियो के दो लाख नए शिकार बन सकते हैं. आरपी/वीके (रॉयटर्स)