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समाज

पॉपकॉर्न बेचने वाले पाकिस्तानी ने बनाया हवाई जहाज

६ मई २०१९

रोडकटर का इंजन, टाट के पंख और ऑटोरिक्शा से निकले पहियों के दम पर पाकिस्तान के एक शख्स ने हवाई जहाज बना दिया. पॉपकॉर्न बेचने वाले इस आदमी ने पाकिस्तान की वायु सेना का ध्यान खींचा है.

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Pakistan Eigenbau-Flugzeug
तस्वीर: AFP/A. Ali

मोहम्मद फय्याज की कहानी ने पाकिस्तान के उन लाखों लोगों के दिल में जगह बनाई है जिन्हें पढ़ने लिखने का मौका कम या नहीं मिला. 32 साल के फय्याज ने टीवी की क्लिप और ऑनलाइन ब्लूप्रिंट देख कर हवाई जहाज बनाना सीखा और पहली उड़ान भरने के बाद कहा, "मैं सचमुच हवा में था, मैं और कुछ महसूस नहीं कर सका." उनके हवा में उड़ान भरने के दावे को पाकिस्तान की वायु सेना गंभीरता से ले रही है. फय्याज ने बताया कि वायु सेना के प्रतिनिधियों ने कई बार उनसे मुलाकात की है और उनके काम की सराहना करते हुए उन्हें एक प्रमाण पत्र भी जारी किया है. पंजाब के ताबूर गांव में उनके तीन कमरे के घर के सामने की खाली जगह में फय्याज के काम को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

Pakistan Eigenbau-Flugzeug
तस्वीर: AFP/A. Ali

फय्याज का बचपन से ही एयरफोर्स में जाने का सपना था. उनके पिता की असमय मृत्यु के कारण आठवीं कक्षा में ही स्कूल छोड़ना पड़ा. छोटे मोटे काम कर उन्होंने अपनी मां और पांच छोटे भाई बहनों का पेट पाला. बड़े होने के बाद भी उड़ान भरने की उनकी आकांक्षा कमजोर नहीं हुई. हवाई जहाज बनाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया. हवाई जहाज बनाने के लिए वो दिन में पॉपकॉर्न बेचते और रात में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते. इस तरह से काम करके वो जितना पैसा बचा सकते थे बचाया.

जहाज बनाने के लिए सबसे पहले उन्होंने जानकारी जुटाई. इसकी शुरुआत नेशनल जियोग्राफिक चैनल के एयर क्रैश इनवेस्टिगेशन की कड़ियां देख कर हुई. इस तरह से उन्हें धक्का, हवाई दबाव, टॉर्क, प्रोपल्शन के बारे में जानकारी मिली. बाकी जानकारी हासिल करने में सस्ते इंटरनेट ने उनका काम आसान किया. फय्याज का दावा है कि उन्हें अपने जहाज के लिए ब्लूप्रिंट ऑनलाइन ही मिला. उन्होंने एक पुश्तैनी जमीन का टुकड़ा बेचा और एक गैरसरकारी संगठन से 50 हजार पाकिस्तानी रुपये कर्ज लिए, जिसे वो आज भी चुका रहे हैं. इस छोटी पूंजी से उन्होंने अपना काम शुरू किया. सबसे पहले टाट के टुकड़े खरीदे. इस काम में उन्हें एक वर्कशॉप के दयालु कर्मचारी ने मदद की. वह उन्हें अकसर प्रोपेलर बनाने के लिए मटीरियल की खोज करते देखा करता था. शुरुआत गलतियों से हुई. कई उपकरणों को बदलना पड़ा, डिजाइन में बदलाव हुआ और दोबारा वायरिंग की गई.

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तस्वीर: AFP/A. Ali

उनका परिवार उनकी दीवानगी को देख कर चिंता में था. उनकी मां मुमताज बीबी कहती हैं, "मैं उसे रुक जाने के लिए कहती रही, उसे परिवार और काम पर ध्यान देने को कहा, वह बेकार की चीज के पीछे पागल हो रहा था लेकिन उसने मेरी एक ना सुनी." फय्याज नहीं रुके और उन्होंने बताया कि इस साल फरवरी में आखिरकार उनकी मेहनत का नतीजा एक छोटे से कमजोर नीले रंग के हवाई जहाज के रूप में सामने आया. फय्याज का दावा है कि उनके दोस्तों ने एक छोटी सी सड़क पर ट्रैफिक रोक दी ताकि उनका विमान पहली उड़ान के लिए रनवे की तरह उसका इस्तेमाल कर सके.

पहली उड़ान के चश्मदीद अमीर हुसैन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि उड़ान भरने के पहले विमान ने 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल कर ली थी. अमीर का दावा है कि वो मोटरसाइकिल पर विमान के साथ साथ जमीन पर चले. अमीर हुसैन ने कहा, "वह दो से ढाई फीट जमीन के ऊपर था और जमीन पर उतरने से पहले विमान दो किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरता रहा." एएफपी उनके इस दावे की पुष्टि नहीं कर सका.

हालांकि इस कोशिश ने फय्याज को इतना साहस दे दिया कि वह गांव वालों के सामने जहाज उड़ाने की कोशिश करे. गांववाले अब तक उनका मजाक ही उड़ाते आए थे. 23 मार्च पाकिस्तान दिवस के मौके पर उन्होंने इसका प्रदर्शन करने की सोची. पुलिस का कहना है कि सैकड़ों लोग उनके छोटे से जहाज के आस पास जमा हो गए. बहुत से लोगों ने हाथ में पाकिस्तान का झंडा ले रखा था. हालांकि इसके पहले कि वो उड़ान भरते पुलिस मौके पर पहुंच गई औऱ उन्हें गिरफ्तार करने के साथ ही उनका विमान भी जब्त कर लिया. फय्याज ने कहा, "मुझे ऐसा लग रहा था कि मैंने दुनिया का सबसे बुरा काम किया है, जैसे मैं पाकिस्तान का सबसे बुरा शख्स हूं, मुझे अपराधियों के साथ बंद किया गया." कोर्ट ने उन्हें 3 हजार रुपये का जुर्मान लगा कर रिहा कर दिया.

पुलिस का कहना है कि उन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उनका विमान सुरक्षा के लिए खतरा है. पुलिस अधिकारी जफर इकबाल ने कहा, "उन्हें विमान लौटा दिया गया है. अगर वो लाइसेंस ले लें तो उड़ान भरने के लिए स्वतंत्र हैं." फय्याज की इस कहानी ने उन्हें सोशल मीडिया पर मशहूर कर दिया. पाकिस्तान की वायु सेना के प्रतिनिधि दो बार उनका विमान देखने गए. पास के एयरफोर्स बेस के कमांडर ने उन्हें प्रमाण पत्र दे कर उनकी तारीफ की. इस प्रमाण पत्र में उनके विमान को, "मिनी बेसिक एयरप्लेन" बताया गया है.

एनआर/आरपी(एएफपी)

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