पैर में छाले, भूखे पेट घर चल दिए प्रवासी मजदूर
भारत में मंगलवार रात से लॉकडाउन लागू है. लेकिन हजारों लोग बड़े शहरों में फंस गए हैं. उनके पास ना काम है और ना ही पर्याप्त खाना. अब वे पैदल ही अपने गांवों की तरफ बढ़ चले हैं. तस्वीरों में देखिए ऐसे लोगों की कहानी.
कैसे सहेंगे यह बोझ?
अहमदाबाद की यह तस्वीर झकझोर देने वाली है. प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ पैदल ही अहमदाबाद से अपने गांव की तरफ बढ़ चले हैं. उन्हें नहीं पता है कि वे कब अपनी मंजिल पर पहुंचेंगे. बस उन्हें इतना पता है कि चलते जाना है. इस तस्वीर में एक बच्ची है, उसकी गोद में उसका छोटा भाई, पीछे एक और छोटी बच्ची दिखाई दे रही है, उसके सिर पर बोरी है. उस बोरी में कुछ जरूरी सामान है.
छलकता दर्द
भारत ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन लागू किया हुआ है. लॉकडाउन लागू होते ही देश के कोने-कोने से ऐसी तस्वीरें आईं हैं. लोग भूख और प्यास से तड़प रहे हैं. प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने को बेताब हैं. यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के हावड़ा रेलवे स्टेशन के बाहर अपने बच्चे को गोद में लिए एक मां की है, वह मां जो रोजगार की तलाश में कभी इस शहर में आई थी.
भूखे पेट कोरोना से लड़ाई
तालाबंदी ने दिहाड़ी मजदूरों की कमर तोड़ दी है. रोज खाना कमाने वाले अब सरकारी इंतजामों पर निर्भर हैं. तालाबंदी के बाद बेघर और बिना काम वाले लोग एक वक्त की रोटी के लिए लंबी-लंबी कतार लगाए बैठ गए. पेट की आग ऐसी कि वे सोशल डिस्टेंसिंग क्या होती है यह भी नहीं जानना चाहते.
प्यासे लोग
कोरोना वायरस से बचने के लिए हैंड सैनेटाइडर और मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है. बार बार कहा जा रहा है कि साबुन और पानी से दिन में कई बार हाथ धोया जाए. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके पास पीने के लिए भी स्वच्छ पानी नहीं है. यह तस्वीर देश के किसी गांव की नहीं है बल्कि राजधानी दिल्ली की है.
शहर-शहर ताला
जो कभी गांवों और कस्बों से निकलकर शहरों में रोजगार की तलाश में आए थे, वह एक वायरस के कारण उसी हालात में वापस आ चुके हैं. उनकी कहानी जहां से शुरू हुई थी लौटकर वहीं आ गई है. आंखों में सपने लेकर गांवों से शहरों में आए लोग पैदल या ट्रक का सहारा लेकर लौट रहे हैं. वे भूखे हैं...प्यासे हैं.
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